बिहार में ‘पकड़ुआ विवाह’ के एक मामले में पटना हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी महिला की माँग में जबरदस्ती सिन्दूर लगाना या लगवाना हिंदू विवाह अधिनियम के तहत शादी नहीं मानी जाएगी। कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह तब तक वैध नहीं है, जब तक कि यह स्वैच्छिक न हो। इसमें ‘सप्तपदी’ (अग्नि के सात फेरे) की रस्म निभाना जरूरी है।
पटना हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति पीबी बजंथ्री और अरुण कुमार झा की खंडपीठ ने 10 नवंबर 2023 को पकड़ुआ विवाह के एक मामले को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों से स्पष्ट है कि जब अग्नि का सातवाँ फेरा लिया जाता है तो विवाह पूर्ण और बाध्यकारी हो जाता है। वहीं, अगर ‘सप्तपदी’ की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है तो विवाह पूर्ण नहीं माना जाएगा।
दरअसल, इस मामले में अपीलकर्ता रविकांत का व्यक्ति है। लगभग 10 साल पहले 30 जून 20213 को बिहार के लखीसराय में रविकांत अपने चाचा के साथ एक मंदिर में प्रार्थना करने गए थे। इसी दौरान कुछ बंदूकधारियों ने दोनों का अपहरण कर लिया गया था। रविकांत उस समय सेना में सिग्नलमैन थे।
अपहरण करने के बाद दूसरे पक्ष ने बंदूक की नोंक पर रविकांत को एक लड़की से शादी करने के लिए मजबूर किया। रविकांत को दुल्हन के माथे पर सिन्दूर लगाने के लिए मजबूर किया था। डर के कारण रविकांत ने महिला की माँग भर दी थी, लेकिन मन से वह इस शादी को मानने के लिए तैयार नहीं था।
वहाँ से छूटने के बाद रविकांत के चाचा ने जिला पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद रविकांत ने लखीसराय में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में एक आपराधिक शिकायत दर्ज की। उन्होंने शादी को रद्द करने के लिए फैमिली कोर्ट का भी रुख किया। हालाँकि, फैमिली कोर्ट ने 27 जनवरी 2020 को उनकी याचिका खारिज कर दी।
इसके बाद रविकांत पटना हाईकोर्ट पहुँचे और कोर्ट के फैसले को चुनौती दी। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि फैमिली कोर्ट के निष्कर्ष त्रुटिपूर्ण थे। खंडपीठ ने निचली अदालत के फैसले पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि जिस पुजारी ने प्रतिवादी की ओर से सबूत दिया था, उसे न तो ‘सप्तपदी’ के बारे में जानकारी थी और न ही उसे वह स्थान याद था, जहाँ विवाह किया गया था।
दरअसल, बिहार के कुछ हिस्सों में पकड़ुआ विवाह का आज भी रिवाज है। इसमें अपने घर की लड़की की शादी के लिए वधू पक्ष के लोग शादी योग्य लड़के का अपहरण कर लेते हैं और उसकी जबरन शादी करवा देते हैं। जब लड़का इस शादी का विरोध करता है तो उसकी पिटाई की जाती और हथियार आदि के दम पर डराया-धमकाया जाता है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अपहरण करके जबरन शादी कराने वाले वधू पक्ष के दबंग लोग दूल्हे और उसके परिजनों को इतना डरा धमकाते हैं कि वे मजबूरी में इस विवाह को मान लेते हैं। वधू पक्ष के लोग लड़की का पहला बच्चा होने तक दूल्हा और उसके परिजनों पर नजर रखते हैं। वे ये तो ध्यान रखते हैं कि ससुराल में उनकी लड़की को किसी तरह से परेशान ना किया जाए।