पालघर जिले के गडचिनचले गाँव में 2 साधुओं सहित 3 लोगों की भीड़ द्वारा मॉब लिंचिंग किए जाने की भयानक घटना के बाद इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों के परिजनों ने भाजपा सरपंच चित्रा चौधरी को पुलिस से मिलीभगत के शक में कथित तौर पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी है। मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपितों के परिजनों को शक है कि सरपंच ने ही मामले की जानकारी पुलिस को दी थी।
मुंबई से गुजरात जाते समय पालघर जिले में 200 लोगों की भीड़ ने एक अफवाह के आधार पर दो साधुओं सहित तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। मामले में पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए 110 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। जानकारी के मुताबिक इलाके में अफवाह थी कि वे लोग बच्चों की किडनी सहित अन्य अंगों की तस्करी के लिए बच्चों का अपहरण करते थे। लोकमत की रिपोर्ट के अनुसार गिरफ्तार किए गए लोगों के परिजनों ने तीन लोगों के हत्यारोपियों की पहचान पुलिस से साझा करने के संदेह में भाजपा सरपंच, उनके दो बच्चों के साथ उनके पति को भी जान से मारने की धमकी दी है।
दरअसल, खूनखराबे की इस घटना को 16 अप्रैल 2020 को महाराष्ट्र के पालघर में अंजाम दिया गया था। जूना अखाड़े से जुड़े दो साधु, 70 वर्षीय कल्पवृक्ष गिरि महाराज और 35 वर्षीय सुशील गिरि महाराज अपने ड्राइवर 30 वर्षीय नीलेश तेलगड़े के साथ मुंबई से गुजरात के लिए एक अन्य साधु के अंतिम संस्कार में शामिल होने जा रहे थे। इसी बीच रास्ते में पड़ने वाले गड़चिनचले गाँव में, 100 से अधिक लोगों की भीड़ ने उन्हें चोर समझकर जानलेवा हमला कर दिया। पुलिस का दावा किया है कि जब पुलिस की टीम पीड़ित व्यक्ति को बचाने के लिए मौके पर पहुँची तो वह भी भीड़ के हमले का शिकार हो गई।
सोशल मीडिया पर वायरल पालघर की घटना के भयावह दृश्य, जिनमें 100 से अधिक लोगों की भीड़ दो साधुओं और उनके ड्राइवर को पीट-पीटकर हत्या कर दी, जबकि इस दौरान पुलिस हमलावरों के सामने मूकदर्शक बनकर खड़ी दिखाई दे रही है।
साधु समुदाय के लोगों का कहना है कि यह गाँव आदिवासि बाहुल्य गाँव है, जिनमें से अधिकांश ईसाई हैं, जबकि कुछ मुस्लिम हैं। कुछ साधुओं का कहना है कि पुलिस ने आदिवासियों के डर से साधुओं को भीड़ के हवाले कर दिया, जिन्होंने बाद में उन साधुओं की लाठियों से पीट-पीटकर हत्या कर दी। आरोप यह भी है कि जब एक विशेष धर्म के आदिवासियों द्वारा साधुओं की पिटाई की जा रही थी तब पुलिस ने इसका किसी भी तरह से विरोध नहीं किया।
एफआईआर के मुताबिक घटनास्थल पर पहुँची पुलिस टीम का नेतृत्व करने वाले सहायक पुलिस निरीक्षक आनंद राव काले का दावा है कि तीन लोगों की जान लेने पर उतारू 400-500 लोगों की भीड़ के सामने कम संख्या वाली पुलिस की टीम बेबस थी। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि पीड़ितों को बचाने के लिए पहुँची पुलिस टीम पर भी भीड़ ने हमला किया था।
यहाँ तक कि जब पुलिस ने अपने वाहन में पीड़ितों को बिठाकर बचाने की कोशिश की तो भीड़ ने पुलिस वाहन को भी क्षतिग्रस्त कर दिया और तीनों लोगों पर लगातार पत्थर फेंकते रहे। वहीं आनंद राव काले ने इस दौरान 400-500 की भीड़ में से पाँच लोगों की पहचान की है, जिनका नाम एफआईआर में शामिल किया गया है, जो कि जयराम भावर (25), महेश सीताराम रावटे (19), गणेश देवजी राव (31), रामदास रूपजी असारे (27) और सुनील सोमजी रावटे (25) के रूप में हैं।
घटना में 400-500 लोगों की भीड़ के साथ ही इन पाँच लोगों पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 120 (बी), 427, 147, 148 और 149 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोनोवायरस के चलते लागू लॉकडाउन के दौरान लोगों की भीड़ इकट्ठा होने के आरोप में आरोपितों के खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत भी मामले दर्ज किया गया है