पटना हाईकोर्ट ने 23 वर्ष के एक युवक की याचिका को ठुकराते हुए कहा कि यदि पत्नी नाबालिग है तो उसे साथ रखने का अधिकार युवक को नहीं मिल सकता। पटना हाईकोर्ट ने यह निर्णय ऐसे मामले में दिया जहाँ उसकी शादी नाबालिग के साथ हुई है।
जानकारी के अनुसार, नीतीश कुमार नाम के एक शख्स ने 14 वर्ष की नाबालिग के साथ विवाह किया था। इसके बाद नाबालिग ने एक बच्चे को जन्म दिया। हालाँकि, नाबालिग के माता-पिता ने इसके बाद इस युवक के खिल मामला दर्ज करवा दिया। इसके बाद नाबालिग को एक बालिका संरक्षण गृह में भेज दिया गया। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि नाबालिग ने अपने माता-पिता के साथ रहने से मना कर दिया था। उसने कहा था कि उसे अपने पति के साथ रहने दिया जाए।
इस मामले में नाबालिग से शादी करने वाले युवक नीतीश कुमार ने पटना हाईकोर्ट के सामने याचिका लगाई थी कि नाबालिग ने उससे अपनी मर्जी से शादी की है और खुद भी साथ रहना चाहती है इसलिए उसे उसके साथ रहने की अनुमति दी जाए।
इस मामले की सुनवाई के दौरान बिहार सरकार के वकील ने कहा कि नाबालिग 17 वर्ष से कम की है इसलिए उसे युवक के साथ नहीं भेजा जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि भले ही युवक यह दावा कर रहा हो कि बालिका ने शादी के लिए अपनी सहमति दी थी लेकिन वह उस दौरान नाबालिग थी इसलिए इसे एक बाल विवाह ही माना जाएगा।
कोर्ट ने सुनवाई के बाद यह याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने यह याचिका खारिज करते हुए कहा, “कोर्ट का यह मानना है कि पति के पास याचिका दाखिल करके पत्नी को साथ रखने का कोई अधिकार नहीं बनता अगर पत्नी नाबालिग है।” कोर्ट ने इस दौरान कहा कि भले ही यहाँ नाबालिग की मंज़ूरी की बात की जा रही हो लेकिन यह हिन्दू मैरिज एक्ट और बाल विवाह संबंधी कानूनों में अपराध है और इसमें सजा भी हो सकती है।
कोर्ट ने बाल विवाह से लड़कियों पर पड़ने वाले प्रभावों पर भी बात की। कोर्ट ने कहा, “बाल विवाह के नतीजे बहुत हानिकारक हैं। यह बच्चे को अधिक स्वास्थ्य समस्याओं और हिंसा की तरफ धकेलती है। उन्हें समाज से दूर कर देती है और उसे गरीब और सामाजिक गैर बराबरी के चक्र में धकेल देती है। नाबालिग के शादी के लिए तैयार होने का बालिका के स्वस्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।”