पटना हाईकोर्ट ने बिहार में एससी-एसटी और ईबीसी वर्ग को दिए जाने वाले 65% आरक्षण को समाप्त कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि बिहार सरकार ने जो पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण 50% से बढ़ाकर 65% किया था, उसे समाप्त किया जाता है।
Patna High Court scraps 65% reservation for Backward Classes, EBCs, SCs & STs.
— ANI (@ANI) June 20, 2024
The Court set aside the Bihar Reservation of Vacancies in Posts and Services (Amendment) Act, 2023 and The Bihar (In admission in Educational Institutions) Reservation (Amendment) Act, 2023 as ultra… pic.twitter.com/FTvY9CzvRn
समाचार पोर्टलों के अनुसार, कोर्ट ने बिहार में ‘पदों और सेवाओं में रिक्तियों में आरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2023‘ और बिहार (शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में) आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 को संविधान के विरुद्ध और संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत समानता के खंड का उल्लंघन मानते हुए रद्द कर दिया।
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— DD News (@DDNewslive) June 20, 2024
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले पर फैसला मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति हरीश कुमार की खंडपीठ ने दिया। उन्होंने गौरव कुमार व अन्य द्वारा इस संबंध में डाली गई याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्णय को 11 मार्च 2024 को सुरक्षित रख लिया था, जिस पर अब फैसला सुनाया गया है।
बता दें कि इस संबंध में डाली गई याचिकाओं में राज्य सरकार के 9 नवंबर 2023 को पारित कानून को चुनौती दी गई थी। इसमें एससी, एसटी, ईबीसी व अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण दिया था व सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए मात्र 35 फीसद ही पदों पर सरकारी सेवा देने की बात थी।
अब हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर आरक्षण की सीमा बढ़ाने की जरूरत पड़ेगी तो ये संवैधानिक बेंच ही तय करेंगी। कोर्ट ने कहा कि आरक्षण की जो सीमा पहले से ही निर्धारित है, उसे बढ़ाया नहीं जा सकता है। ये मामला संवैधानिक है। सुनवाई के बाद ही कोई भी निर्णय होगा।
वहीं रिपोर्ट्स के मुताबिक अधिवक्ता गौरव ने बताया कि इस याचिका को सुनने के बाद पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने माना कि ये निर्णय नियमावली के खिलाफ है। अब बिहार सरकार इस मामले को सुप्रीम कोर्ट लेकर जा सकती है, जहाँ इस मामले में आगे सुनवाई होगी।