अमेरिका वाशिंगटन में स्थित थिंक टैंक ‘Pew Research Centre’ ने भारत में विभिन्न धर्मों को लेकर अध्ययन किया है और अपना रिपोर्ट जारी किया है। Pew के रिसर्च के अनुसार, भारत की जनसंख्या विविधता भरी है और धर्म में खासी आस्था रखती है। दुनिया के अधिकतर हिन्दू, जैन और सिख भारत में ही रहते हैं, लेकिन साथ ही ये दुनिया की सबसे ज्यादा मुस्लिम जनसंख्या वाले देशों में से भी एक है। यहाँ बौद्ध और ईसाईयों की जनसंख्या भी दसियों लाख में है।
‘Pew Research Centre’ के अनुसार, उसने कोरोना काल से पहले 2019-20 में 29,999 भारतीयों को लेकर एक सर्वे किया, जिसमें यहाँ राष्ट्रवाद, धार्मिक आस्था और सहिष्णुता को लेकर अध्ययन किया गया। भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 17 भाषाओं में स्थानीय स्तर के लोगों द्वारा सर्वे कराया गया। इसमें पाया गया कि भारत के लोग धार्मिक रूप से सहिष्णु हैं, लेकिन वो अपना धार्मिक जीवन अलग-अलग जीना पसंद करते हैं।
रिसर्च के अनुसार, 84% लोगों ने खुद को ‘सच्चा भारतीय’ बताते हुए सभी धर्मों के सम्मान की बात कही, जबकि 80% ने कहा कि अपने धर्म का एक हिस्सा होने भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना दूसरे धर्मों का सम्मान करना। 6 धर्मों के लोगों ने बताया कि वो भारत में अपने धर्म के क्रियाकलाप स्वतंत्रता से करते हैं। अधिकतर ने बताया कि दूसरे धर्मों के लोग भी यहाँ पूरी आज़ादी के साथ आने धार्मिक क्रियाकलाप करते हैं।
इस रिसर्च में दावा किया गया है कि 85% हिन्दुओं ने माना कि एक सच्चा भारतीय सभी धर्मों का सम्मान करता है, जबकि 78% मुस्लिमों ने ऐसा कहा। हालाँकि, रिसर्च का ये भी दावा है कि यहाँ सभी धर्मों के लोग अलग-अलग जीना पसंद करते हैं क्योंकि अधिकतर ने अपने सबसे विश्वासी मित्र के रूप में अपने ही धर्म के व्यक्ति का नाम लिया। 67% हिन्दुओं ने कहा कि उनकी महिलाओं द्वारा किसी अन्य धर्म में शादी करना ठीक नहीं है।
पुरुषों को लेकर भी 65% हिन्दुओं की यही राय थी। वहीं मुस्लिमों में 80% ने महिलाओं और 76% ने पुरुषों को लेकर ये बात कही। 64% हिन्दुओं ने कहा कि भारत का सच्चा नागरिक होने के लिए हिन्दू होना ज़रूरी है और उनमें से 80% ने कहा कि इसके लिए हिंदी भाषा भी आवश्यक है। हिन्दू धर्म को भारतीयता से जोड़ कर देखने वालों में 76% ने खुद को अंतरधार्मिक विवाह के खिलाफ बताया। जबकि हिन्दू धर्म को भारतीयता से जोड़ कर न देखने वालों में ने ये राय रखी।
उत्तर भारत में 69%, मध्य भारत में 83% और दक्षिण भारत में 42% हिन्दुओं ने हिन्दू पहचान को राष्ट्रवाद के साथ जोड़ा। हिन्दू और हिंदी को जोड़ कर देखने वालों में से 60% भारतीयों ने बताया कि उन्होंने भाजपा को वोट दिया था। 72% हिन्दुओं ने कहा कि बीफ खाने वाला हिन्दू नहीं हो सकता। रिसर्च में इसकी पुष्टि की गई कि गाय को हिन्दू पवित्र मानते हैं। 49% ने कहा कि ईश्वर में विश्वास न करने वाले हिन्दू नहीं हो सकता और 48% ने कहा कि मंदिर नहीं जाने वाले हिन्दू नहीं हो सकता।
‘Pew Research Centre’ के अध्ययन के मुताबिक, 74% मुस्लिमों ने कहा कि मुस्लिमों को अपने मजहब की शरिया अदालत में ही जाना चाहिए। 1937 से ही भारत में मुस्लिमों के लिए मजहबी मामलों को निपटाने के लिए एक अलग न्यायिक व्यवस्था है, जिसे ‘दारुल-उल-क़ज़ा’ कहते हैं। काजी के अंतर्गत काम करने वाले इन अदालतों का फैसला मानने के लिए कानूनी रूप से किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता।
Nearly two-thirds of Hindus in India (64%) say being Hindu is very important to being truly Indian https://t.co/6ruk1LBxop pic.twitter.com/YIWwKpb5uV
— Pew Research Religion (@PewReligion) June 29, 2021
हालाँकि, रिसर्च में ये भी पाया गया कि दूसरे धर्मों के लोगों द्वारा मुस्लिमों की इस माँग का समर्थन करने की संभावना न के बराबर है। 48% मुस्लिमों ने कहा कि 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन से हिन्दू-मुस्लिम संबंधों पर बुरा असर पड़ा, जबकि हिन्दुओं में ऐसा मानने वाले मात्र 37% हैं। वहीं सिखों में 66% की यही राय है। 37% हिन्दुओं ने इसे हिन्दू-मुस्लिम संबंधों के लिए अच्छा बताया। 43% हिन्दुओं ने कहा कि भारत-पाक विभाजन से हिन्दू-मुस्लिम संबंधों पर अच्छा असर पड़ा।
‘Pew Research Centre’ ने पाया कि 97% भारतीय नागरिक ईश्वर में विश्वास करते हैं। वहीं उनमें से 80% ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि ईश्वर का अस्तित्व है। साथ ही बताया गया है कि 29% सिख, 22% ईसाई और 18% मुस्लिम महिलाओं ने कहा कि वो बिंदी लगाती हैं। वहीं 77% मुस्लिम और 54% ईसाई हिन्दू धर्म के ‘कर्म सिद्धांत (Karma)’ में विश्वास रखते हैं। हिन्दुओं में से 7% ईद और 17% क्रिसमस मनाते हैं।