मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में धार स्थित भोजशाला में नमाज़ पर रोक की माँग वाली याचिका पर सुनवाई होगी। यह याचिका ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’ नाम के संगठन ने दायर की है। इसी मामले में हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश राज्य सरकार, केंद्र सरकार और पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI: Archaeological Survey Of India) को नोटिस जारी किया है।
यह याचिका ASI के डायरेक्टर जनरल द्वारा 7 अप्रैल 2003 को भोजशाला मामले में दिए गए आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई है। उस आदेश में भोजशाला के अंदर मुस्लिमों को नमाज पढ़ने की अनुमति दे दी गई थी।
धार जिले की इस भोजशाला को मुस्लिम पक्ष 11वीं सदी में बनी ‘कमाल मौला मस्जिद’ बताता है। वहीं हिन्दू पक्ष इसको सनातन धर्म से जुड़ी धरोहर कहता है। हिन्दू पक्ष ने हाईकोर्ट में जो याचिका दायर की है, उसमें मूल तर्क दिया गया है:
“भोजशाला के नाम पर बना एक भव्य हिन्दू मंदिर इस्लामी शासकों द्वारा सन 1305, 1401 और 1514 ईसवी में ध्वस्त किया गया था। लेकिन इसके बाद भी वो हिन्दुओं की भावनाओं को नहीं दबा पाए। तब से अब तक हिन्दू यहाँ अपनी आस्था के चलते पूजा करते आ रहे हैं। हर साल यहाँ बसंत उत्सव भी मनाया जाता है।”
हिन्दू संगठन ने अपनी माँग में भोजशाला के अंदर देवी सरस्वती प्रतिमा की स्थापना और अंदर बने रंगीन चित्रों की जाँच की माँग की। इसी के साथ केंद्र सरकार से भोजशाला में बनी कलाकृतियों और मूर्तियों की रेडियो कार्बन डेटिंग करवाने की भी गुजारिश की है। इसी याचिका में आगे कहा गया:
“मंदिर तोड़े जाने के बाद अब तक उसी रूप में बने रहना श्रद्धालुओं की आस्थाओं पर आघात है। ऐसा होने से हिन्दू समाज अपने पूजा स्थल से आध्यात्मिक शक्ति नहीं हासिल कर पा रहा है। भोजशाला का वर्तमान स्वरुप हर दिन श्रद्धालुओं को चिढ़ाने के समान है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 और 25 के साथ 13 (1) धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए हैं। आक्रमणकरियों के समय से चली आ रही गलती को अब सुधारा जाना चाहिए।”
इस याचिका की सुनवाई जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस अमर नाथ केसरवानी ने की। उन्होंने इस याचिका को मेरिट के आधार पर सुनवाई लायक पाया। इसी के साथ उन्होंने पाया कि इसी मामले में कुछ अन्य याचिकाएँ भी उनके पास पहले से ही पेंडिंग थीं।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “याचिकाकर्ता के वकील द्वारा कुछ और दस्तावेज अपने दावों की पुष्टि के लिए दाखिल करने का दावा किया गया है, जो रिट में मौजूद नहीं है। इस मामले में पहले से ही W.PNo.(s) 6514/2013, 1089/2016 और 28334/2019 अदालत में पेंडिंग है। यह केस जनहित याचिका के तौर पर दाखिल करने योग्य है। अतः नोटिस जारी की जाए।”
ASI के लिए हवन-पूजा गलत
कुछ दिन पहले 8वीं शताब्दी के मार्तंड सूर्य मंदिर में पूजा-अर्चना करके श्रद्धालुओं ने हर-हर महादेव के नारे लगाए। इसके बाद प्रदेश के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी नवग्रह अष्टमंगलम हवन व पूजा में सम्मिलित हुए। इस पूजा अर्चना को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने नियमों का उल्लंघन बताया है। साथ ही गवर्नर द्वारा इस मंदिर में पूजा करने पर आपत्ति जहिर की है।
एएसआई अधिकारियों ने तब कहा कि नियमानुसार राज्यपाल को एएसआई द्वारा संरक्षित स्थान पर पूजा अर्चना करने से पहले मंजूरी लेनी चाहिए थी। एएसआई का कहना है कि भले ही पूजा मंदिर के बाहर की गई मगर तब भी ये नियमों का उल्लंघन है।