पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान उनकी सुरक्षा के उल्लंघन के मामले में सात पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। जिन अधिकारियों को निलंबित किया गया है, उनमें फिरोजपुर जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के अलावा दो डीएसपी रैंक के अधिकारी भी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने फिरोजपुर के तत्कालीन पुलिस प्रमुख और अब बठिंडा के एसपी गुरबिंदर सिंह को पहले निलंबित कर दिया गया था। 22 नवंबर 2023 के आदेश में कार्रवाई का सामना करने वालों में छह और पुलिसकर्मियों के नाम हैं।
राज्य सरकार के गृह विभाग के आदेश के अनुसार, डीएसपी रैंक के अधिकारी पारसन सिंह और जगदीश कुमार, इंस्पेक्टर जतिंदर सिंह और बलविंदर सिंह, सब-इंस्पेक्टर जसवंत सिंह और सहायक सब-इंस्पेक्टर रमेश कुमार को भी निलंबित कर दिया गया है।
आदेश में कहा गया है कि सभी सात पुलिसकर्मियों को पंजाब सिविल सेवा (दंड और अपील) नियम, 1970 के नियम 8 के तहत कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। इन नियमों के तहत दिए जाने वाले दंड में पदोन्नति रोकने से लेकर सेवा से बर्खास्तगी तक हो सकता है।
बता दें कि इससे पहले साल मार्च 2023 में पंजाब सरकार ने राज्य के तत्कालीन डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय, फिरोजपुर के तत्कालीन डीआईजी इन्द्रबीर सिंह, तत्कालीन एसएसपी हरमनदीप हंस के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के आदेश दिए थे।
प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक के मामले में केंद्र ने मार्च के पहले सप्ताह में पंजाब सरकार से कार्रवाई में हुई देरी को लेकर जवाब माँगा था। इसके बाद पंजाब सरकार हरकत में आई थी। सरकार ने पूर्व डीजीपी, पूर्व डीआईजी और एसएसपी के खिलाफ कार्रवाई का आदेश देने के अलावा कुछ अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
इनमें तत्कालीन एडीजीपी लॉ एंड ऑर्डर नरेश अरोड़ा, तत्कालीन एडीजीपी साइबर क्राइम जी नागेश्वर राव, तत्कालीन आईजीपी पटियाला रेंज मुखविंदर सिंह, तत्कालीन आईजी काउंटर इंटेलिजेंस राकेश अग्रवाल, तत्कालीन डीआईजी फरीदकोट सुरजीत सिंह और मोगा के तत्कालीन एसएसपी चरणजीत सिंह का नाम शामिल थे।
इन सभी अधिकारियों को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी कर के पूछा गया था कि जाँच समिति की सिफारिश के अनुसार उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए? बाद में इन अधिकारियों ने सरकार को अपने जवाब भेज दिए थे।
गौरतलब है कि इस मामले की जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस इंदु मल्होत्रा की अगुवाई में 5 सदस्यों की एक समिति गठित की थी। इस समिति ने 6 महीने पहले ही अपनी जाँच रिपोर्ट पेश कर चुकी है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी, डीजीपी सिद्धार्थस चट्टोपाध्याय समेत अन्य अधिकारियों को पीएम की सुरक्षा में चूक के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।
दरअसल, 5 जनवरी 2022 को पीएम मोदी का विमान बठिंडा में लैंड हुआ था, जहाँ से उन्हें हैलीकॉप्टर से हुसैनीवाला स्थित ‘नेशनल मार्टियर्स मेमोरियल’ जाना था। वहाँ उन्हें ‘राष्ट्रीय शहीदी स्मारक’ में बलिदानी क्रांतिकारियों भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि अर्पित करनी थी।
बारिश और विजिबिलिटी कम होने के कारण उन्हें मौसम के ठीक होने के लिए 20 मिनट तक इंतजार करना पड़ा। जब मौसम ठीक नहीं हुआ तो निर्णय लिया गया कि सड़क मार्ग से ही प्रधानमंत्री हुसैनीवाला तक का सफर तय करेंगे। जब प्रधानमंत्री का काफिला एक फ्लाईओवर पर पहुँचा तो वहाँ पता चला कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने रास्ता जाम कर के रखा हुआ था।
हुसैनीवाला से 30 किलोमीटर दूर पीएम मोदी का काफिला फँसा रहा। लगभग 15-20 मिनट तक पीएम मोदी वहाँ फँसे रहे। यह प्रधानमंत्री की सुरक्षा में एक बड़ी सेंध था। सड़क मार्ग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा दो घंटे में तय होनी थी, जिसके लिए पंजाब के पुलिस महानिरीक्षक (DGP) को ज़रूरी प्रबंधन करने के निर्देश दे दिए गए थे।