प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आंध्र प्रदेश और केरल के दौरे पर हैं। वे बुधवार (17 जनवरी 2024) को केरल पहुँचेंगे और सुबह त्रिशूर जिले के गुरुवयूर मंदिर में पूजा अर्चना करेंगे। इसके बाद वो त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर जाएँगे। इस मंदिर में भगवान राम की की पूजा होती है और यहाँ उनकी 6 फुट ऊँची प्रतिमा स्थापित है, जिसका कनेक्शन भगवान कृष्ण, द्वारका और गुजरात से भी है।
गुरुवयूर मंदिर में सुबह करेंगे पूजा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह 7.30 बजे त्रिशूर जिले में स्थित गुरुवयूर मंदिर में पूजा अर्चना करेंगे। भगवान विष्णु के कृष्णावतार को समर्पित इस मंदिर को वैष्णवों का खास तीर्थस्थल माना जाता है। इसमें गैर-हिंदुओं का प्रवेश भी वर्जित है। माना जाता है कि गुरुवयूर मंदिर को भूलोक वैकुंठ (पृथ्वी पर स्वर्ग) की संज्ञा दी जाती है। ये वैष्णवों के 108 अभिमान क्षेत्रों में से एक है। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर पहुँचेंगे।
भगवान राम को समर्पित है त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर
त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर भगवान राम को समर्पित है। इस मंदिर में भगवान राम की 6 फुट ऊँची प्रतिमा है। इस मंदिर के मुख्य देवता राम हैं, जो विष्णु के सातवें अवतार हैं, जिनकी चार भुजाओं में शंख, चक्र, धनुष और माला हैं। भगवान राम यहाँ राजघराने के पीठासीन देवता हैं, जिन्हें ‘ब्रह्मांड में सभी देवताओं से ऊपर’ का स्थान दिया गया है।
भगवान राम को यहाँ पर त्रिप्रयार थेवर या त्रिप्रयारप्पा के रूप में भी जाना जाता है। यह मंदिर करुवन्नूर नदी के तट पर स्थित है, जिसे त्रिप्रयार से बहते हुए थेवरा नदी कहा जाता है। मंदिर परिसर में भगवान राम के साथ-साथ दक्षिणमुखी शिव, गणेश और कृष्ण के मंदिर स्थापित हैं। यहाँ हनुमान की भी पूजा होती है। इस मंदिर का संबंध द्वापर युग में भगवान कृष्ण से भी जोड़ा जाता है।
मुख्य पुजारी थराननेल्लूर पदिनजारे मन पद्मनाभन नंबूथिरीपाद ने 1 जनवरी 2024 को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मंदिर आने के लिए आमंत्रित किया था। उन्होंने बताया कि भगवान कृष्ण द्वारा गुजरात के द्वारका में भगवान राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न की मूर्तियों को समुद्र से निकालकर एक ही समय में स्थापित किया गया था। द्वारका के चारों कोनों पर भगवान राम के चारों भाइयों के मंदिर बनाए गए थे।
केरल का प्रमुख नालंबलम
केरल में नालंबलम का मतलब है कि एक खास क्षेत्र में राजा दशरथ के चारों पुत्रों के अलग-अलग मंदिर। इसमें त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर से जुड़े समूह को प्रमुख माना जाता है। त्रिप्रयार से 20-22 किलोमीटर की दूरी पर इरिंजलाकुडा में कूडलमानिक्यम मंदिर है, जो राम के भाई भरत का मंदिर है। लक्ष्मण का मंदिर थिरुमुझिकुलम में है। वहीं, पायम्मल मंदिर को शत्रुघ्न का मंदिर माना जाता है।
कहा जाता है कि अगर मलयालम माह कड़कडकम के किसी भी एक दिन में कोई अगर इन मंदिरों में पूजा कर ले, वो बहुत किस्मत वाला होता है। चूँकि चारों मंदिरों की आपस में दूरी लगभग 20-22 किलोमीटर है। ऐसे में ये कठिन व्रत माना जाता है। केरल में 4 अन्य नालंबलम भी हैं। हालाँकि, वो अपेक्षाकृति कम मशहूर है।