साल 2016 के बाद आज एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान भवन में देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और मुख्य न्यायाधीशों के साथ बैठक की। इस बैठक में भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमना के अलावा 25 हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और कानून मंत्री भी मौजूद थे। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहाँ स्थानीय लोगों का विश्वास जीतने के लिए स्थानीय भाषा के प्रयोग पर अपनी बात रखी। वहीं सीजेआई ने इस बैठक में जनहित याचिका का मुद्दा उठाया और बताया कि कैसे आज जनहित की जगह इसका इस्तेमाल निजी स्वार्थ के लिए हो रहा है।
Addressing the Joint Conference of Chief Ministers and Chief Justices of High Courts. https://t.co/P1jsj2N1td
— Narendra Modi (@narendramodi) April 30, 2022
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बैठक में कोर्ट में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, “हमें अदालत में लोकल भाषाओं को बढ़ावा देने की जरूरत है। इससे देश के नागरिकों का न्याय प्रणाली में भरोसा बढ़ेगा और वो खुद को उससे जुड़ा हुआ महसूस कर पाएँगे।” पीएम ने कहा, “देश में 3.5 लाख कैदी अंडर ट्रायल हैं। इनमें से अधिकांश लोग गरीब या सामान्य परिवारों से हैं। इनके मसले को निपटाने पर जोर दिया जाए। मैं सभी मुख्यमंत्रियों और हाईकोर्ट के जजों से इस पर ध्यान देने की अपील करता हूँ।”
जजों और मुख्यमंत्रियों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने बताया कि भारत सरकार भी न्याय व्यवस्था में तकनीक की संभावनाओं को डिजिटल इंडिया मिशन का हिस्सा मानती है। इसीलिए ई-कोर्ट प्रोजेक्ट को आज मिशन मोड में लागू किया जा रहा है। उन्होंने आम आदमी और कानून पेचिदगियों का मुद्दा उठाया। वह बोले- “2015 में हमने करीब 1800 ऐसे क़ानूनों को चिन्हित किया था जो अप्रासंगिक हो चुके थे। इनमें से जो केंद्र के कानून थे, ऐसे 1450 क़ानूनों को हमने खत्म किया। लेकिन, राज्यों की तरफ से केवल 75 कानून ही खत्म किए गए हैं।”
PIL का गलत इस्तेमाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले बैठक को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने भी आज की न्याय व्यवस्था पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “न्याय का मंदिर होने के नाते कोर्ट को लोगों का स्वागत करना चाहिए। कोर्ट की अपेक्षित गरिमा और आभा होनी चाहिए। आज जनहित याचिकाओं का इस्तेमाल लोग अब अपने पर्सनल इंटरेस्ट के हिसाब से कर रहे हैं। इसका प्रयोग अधिकारियों को धमकाने के लिए हो रहा है। जनहित याचिका राजनीतिक और कॉर्पोरेट विरोधी के खिलाफ एक टूल बन चुका है।”
One should be mindful of 'Lakshman Rekha': CJI Ramana at event with PM Modi, CMs https://t.co/yqosSQS2Sr pic.twitter.com/zONUEJExQs
— The Times Of India (@timesofindia) April 30, 2022
उन्होंने कहा, “संविधान ने लोकतंत्र के तीनों अंगों के बीच शक्तियों का बँटवारा किया है। तीनों को अपने अपने कर्तव्यों का पालन करते समय लक्ष्मण रेखा पार नहीं करनी चाहिए। सरकारें जानबूझकर न्यायिक निर्देशों को नजरअंदाज करती हैं, ये सब करना हेल्दी डेमोक्रेसी के लिए उचित नहीं है।”
We must be mindful of 'Laxman Rekha', judiciary will never come in way of governance if it's as per law. If municipalities, gram panchayats perform duties, if police investigate properly &illegal custodial torture comes to end, people need not have to look to courts:CJI NV Ramana pic.twitter.com/amgosbcX5i
— ANI (@ANI) April 30, 2022
HC के जजों और मुख्यमंत्रियों से 39वीं कॉन्फ्रेंस
गौरतलब है कि न्यायधीशों के साथ ये 39वीं कॉन्फ्रेंस है। इससे पहले 38वीं कॉन्फ्रेंस का आयोजन साल 2016 में हुआ है और और उसके बाद साल 2022 में इसका आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू भी मौके पर मौजूद थे, जिन्होंने कहा, “यह प्रोग्राम सरकार और ज्यूडिशियरी के बीच ईमानदार और कंस्ट्रक्टिव बातचीत का अनूठा मौका है। इससे लोगों को ठोस न्याय दिलाने में मदद मिलेगी।”