प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने लौहपुरुष के नाम से विख्यात सरदार वल्लभभाई पटेल की 148वीं जयंती पर गुजरात में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ पर पुष्पांजलि अर्पित की और उन्हें याद किया। इस अवसर पर पीएम मोदी ने एकता की शपथ लेते हुए देशवासियों को भी राष्ट्रीय एकता, अखंडता और सुरक्षा की शपथ दिलाई। दरअसल, सरदार पटेल आजादी के बाद भारत के एकीकरण में अहम भूमिका निभाई थी। इसलिए जन्मदिन को राष्ट्र राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) के तौर पर मनाया जाता है।
इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा, “सरदार पटेल की जयंती पर हम उनकी अदम्य भावना, दूरदर्शी राजनेता और असाधारण समर्पण को याद करते हैं, जिसके साथ उन्होंने हमारे देश की नियति को आकार दिया। राष्ट्रीय एकता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता हमारा मार्गदर्शन करती रहती है। हम उनकी सेवा के सदैव ऋणी रहेंगे।”
उन्होंने कहा, “आज मेरे सामने लघु भारत का स्वरूप दिख रहा है। राज्य अलग है, भाषा अलग है, परंपरा अलग है, लेकिन यहाँ मौजूद हर व्यक्ति एकता की मजबूत डोर से जुड़ा हुआ है। 15 अगस्त को दिल्ली के लाल किले पर होने वाला आयोजन, 26 जनवरी को दिल्ली के कर्तव्यपथ पर परेड और 31 अक्टूबर को Statue Of Unity के सानिध्य में माँ नर्मदा के तट पर राष्ट्रीय एकता दिवस का ये मुख्य कार्यक्रम, राष्ट्र उत्थान की त्रिशक्ति बन गए हैं।”
पीएम ने कहा कि देश की एकता और विकास यात्रा में सबसे बड़ी रुकावट तुष्टिकरण की राजनीति है। भारत ने बीते कई दशकों में देखा कि तुष्टिकरण करने वालों को आतंकवाद, उसकी भयानकता, विकरालता कभी दिखाई नहीं देती। तुष्टिकरण करने वालों को मानवता के दुश्मनों के साथ खड़े होने में संकोच नहीं हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले आतंकी गतिविधियों की जाँच में कोताही करते हैं। वो देश विरोधी तत्वों पर सख्ती करने से बचते हैं। तुष्टिकरण की ये सोच इतनी खतरनाक है कि वो आतंकियों को बचाने के लिए अदालत तक पहुँच जाती है। ऐसी सोच से किसी समाज या देश का भला नहीं हो सकता।”
पीएम ने कहा कि आज ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है, जो भारत पा न सके। ऐसा कोई संकल्प नहीं है, जो हम भारतवासी मिलकर सिद्ध न कर सकें। बीते 9 वर्षों में देश ने देखा है कि जब सबका प्रयास होता है, तो कुछ भी असंभव नहीं रह जाता। उन्होंने कहा, “किसने सोचा था कि कश्मीर कभी धारा 370 से मुक्त भी हो सकता है! लेकिन, आज कश्मीर और देश के बीच ये दीवार गिर चुकी है।”
दुनिया भर में भारत की बढ़ती ताकत को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। आज भारत उपलब्धियों के नए शिखर पर है। G20 के सफल आयोजन को लेकर उन्होने कहा कि भारत के सामर्थ्य को देखकर दुनिया हैरान हो गई है। उन्होंने दुनिया भर में विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की साख को नई ऊँचाई पर ले जाने की बात कही।
सरदार की पटेल की जयंती यानी राष्ट्रीय एकता दिवस या नेशनल यूनिटी डे पर देश भर में रैलियाँ निकाली गईं। वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने एकता की शपथ ली और लोगों को दिलाई । दिल्ली के पटेल चौक पर आयोजित एक खास समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, गृहमंत्री अमित शाह एवं अन्य नेताओं ने सरदार पटेल की जयंती पर उन्हें याद किया।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में Run4Unity को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, “सरदार वल्लभभाई पटेल जी को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम एकता, अखंडता और समावेशिता के मार्ग पर चलें। इन आदर्शों को सरदार साहब बहुत महत्व देते थे।”
वहीं, लखनऊ में आयोजित ‘रन फॉर यूनिटी’ को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरी झंड़ी दिखाकर रवाना किया। इसमें भारी संख्या में युवाओं ने हिस्सा लिया। इस मौके पर उन्होंने कहा, “मेरे युवा साथियों, सरदार पटेल की जयंती एकजुटता के संकल्प का दिन है, एकता के संकल्प का दिन है और अखंडता बनाए रखने का संकल्प लेने का भी दिन है। इसलिए मैं आप सब लोगों को एकता का संकल्प भी लेने का आग्रह करूँगा।”
गौरतलब है कि गुजरात के भरुच के निकट नर्मदा जिले में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भारत के प्रथम उप प्रधानमन्त्री तथा प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित एक स्मारक है। इसे गुजरात के तत्कालीन मुख्यमन्त्री रहे नरेन्द्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2013 को सरदार पटेल के जन्मदिन के मौके पर इस मूर्ति के निर्माण शुरू करवाया था। उन्होंने ही पीएम बनने के बाद साल 2018 में ‘स्टैचू ऑफ यूनिटी’ को देश को समर्पित किया था
यह विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति है जिसकी लम्बाई 182 मीटर (597 फीट) है। यह स्मारक सरदार सरोवर बाँध से 3.2 किमी की दूरी पर साधू बेट नामक जगह पर नर्मदा नदी पर एक टापू है। भारत सरकार ने 2014 में ऐलान किया था की कि 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस या राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाएगा।