हरियाणा पुलिस के डीसीपी विक्रम कपूर की आत्महत्या मामले में पुलिस ने निलंबित इंस्पेक्टर अब्दुल सईद को गिरफ़्तार कर लिया है। पुलिस की जाँच में इस बात का ख़ुलासा हुआ है कि अब्दुल न सिर्फ़ अपने भांजे को एक केस से निकलवाने का दबाव बना रहा था बल्कि एक मामले में अपनी महिला मित्र के काम करने का दबाव भी बना रहा था। इसके लिए वो डीसीपी को लगातार धमका रहा था कि वो अपनी महिला मित्र के ज़रिए उन्हें किसी केस में फँसा देगा।
पुलिस की जाँच में पता चला है कि निलंबित इंस्पेक्ट अब्दुल सईद और उसका पत्रकार साथी सतीश पिछले तीन महीने से डीसीपी को ब्लैकमेल कर रहे थे। 13 जुलाई 2018 को सईद ने डीसीपी के घर जाकर उन्हें डराते-धमकाते हुए कहा था, “अगर मेरे काम न हुए तो ऐसी ख़बरें छपवाऊँगा कि तू आत्महत्या करने को मजबूर हो जाएगा।”
दरअसल, अब्दुल सईद का भांजा मुजेसर थाने में एक मामले में नामजद था, उसे वो बाहर निकलवाना चाहता था। वहीं, उसकी महिला मित्र का उसके ससुर के साथ प्रॉपर्टी को लेकर एक विवाद था, जिसके लिए उसने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस मामले में महिला के अनुसार, उसके पक्ष में जाँच करवाने का दबाव था। वहीं, सतीश ने इकॉनमिक ऑफेंस विंग (EOW) में 55 लाख रुपए की धोखाधड़ी की शिक़ायत दी थी। इस धोखाधड़ी की पुष्टि किए बिना अब्दुल यह केस डीसीपी से दर्ज करवाने का दबाव बना रहा था।
ग़ौरतलब है कि बुधवार (14 अगस्त) को डीसीपी विक्रम कपूर ने अपने सरकारी आवास पर सुबह क़रीब 5.45 बजे ख़ुद को गोली मार ली थी। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में इंस्पेक्टर अब्दुल सईद, SHO थाना भूपानी को अपनी आत्महत्या का दोषी ठहराते हुए लिखा था,
“आई एम डूइंग दिस ड्यु टू अब्दुल, इंस्पेक्टर अब्दुल सईद वाज ब्लैकमेलिंग, विक्रम।”
ख़बर के अनुसार, क्राइम ब्रांच की पूछताछ में पता चला है कि डीसीपी विक्रम से अब्दुल सईद और उसकी महिला मित्र की अलग-अलग माँगे थीं। शनिवार (17 अगस्त) को क्राइम ब्रांच अब्दुल को NIT ऑफ़िस लेकर गई, इसके बाद उसे शहर में दो-तीन और जगह ले जाया गया। यह भी पता चला है कि अब्दुल का मोबाइल मुंबई में है, फ़िलहाल उसकी रिकवरी की कोशिशें जारी हैं।