पुणे पोर्श कांड के आरोपित किशोर के पिता और दादा को जमानत मिल गई है। दोनों को ड्राइवर के अपहरण के मामले में जमानत मिली है। जमानत मिलने के बाद नाबालिग के दादा सुरेंद्र कुमार अग्रवाल को जेल से रिहाई मिल जाएगी, लेकिन अभी आरोपित के पिता और मशहूर बिल्डर विशाल अग्रवाल को जेल में ही रहना होगा। चूँकि विशाल अग्रवाल पर कई आरोप हैं, ऐसे में 2-3 मामलों में जमानत मिलने के बावजूद अभी खून की अदला-बदली के मामले में उसे जमानत नहीं मिल पाई है। वहीं, सोमवार को महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि आरोपित किशोर की रिहाई के बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की तैयारी की जा रही है।
बुजुर्ग दादा जेल से रिहा, पिता अभी जेल में ही रहेगा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अपने पारिवारिक ड्राइवर का अपहरण करने और उसे गलत तरीके से कैद करने के मामले में दोनों को जमानत मिली है। दोनों पर आरोप था कि उन्होंने ड्राइवर को मामले का दोष अपने सिर पर लेने के लिए मजबूर किया, इसके लिए उसका अपहरण किया गया था। पुणे की कोर्ट ने इस अपहरण के मामले में दोनों लोगों को जमानत दे दी है। अदालत के फैसले के बाद आरोपित किशोर के दादा जेल से रिहा हो जाएँगे, लेकिन पिता को जेल में ही रहना होगा। पिता विशाल अग्रवाल पर खून के अदला-बदली करने में मिली-भगत के आरोप हैं।
इस मामले में पुणे पुलिस ने दावा किया कि 19 मई की आधी रात को दुर्घटना के बाद सुरेंद्र कुमार अग्रवाल ने ड्राइवर का अपहरण कर लिया था और उसे अपने बंगले में ले गए थे। क्राइम ब्रॉन्च ने कोर्ट को बताया कि उसकी पत्नी और बच्चों को भी यहीं लाया गया था। इस संबंध में क्राइम ब्रॉन्च ने अग्रवाल के बंगले के सीसीटीवी फुटेज की जाँच की थी। तलाशी अभियान भी चलाया गया। हालाँकि बचाव पक्ष के वकील प्रशांत पाटिल ने अदालत को बताया कि ड्राइवर खुद ही बंगले पर आया था। इसके साथ ही पाटिल ने कोर्ट को बताया कि मॉब लिंचिंग के डर से ड्राइवर उस रात अपने परिवार के साथ अग्रवाल के बंगले पर रुका था।
विशाल अग्रवाल को भी इस मामले में जमानत मिल गई है, लेकिन खून की अदला-बदली मामले में उनकी हिरासत जारी रहेगी। पहले के एक मामले में जमानत हासिल करने के बावजूद, विशाल अग्रवाल तीन अन्य चल रहे मामलों के कारण यरवदा सेंट्रल जेल में ही रहेंगे। विशाल अग्रवाल पर एक मामला सबूतों से छेड़छाड़ से संबंधित है। जिसमें आरोप है कि जाँच शराब का पता लगाने से बचने के लिए नाबालिग के खून के नमूने को उसकी माँ के साथ बदल दिया गया था।
किशोर की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी महाराष्ट्र सरकार
पुणे पुलिस पोर्श कार दुर्घटना मामले में नाबालिग की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगी। अपनी इस याचिका में पुलिस बॉम्बे हाईकोर्ट के नाबालिग की हिरासत को गैरकानूनी बताते हुए जमानत देने के फैसले को चुनौती देगी। इसके लिए पुलिस को मुख्यमंत्री और राज्य के गृह मंत्रालय ने याचिका दायर करने की मंजूरी दे दी है। बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस भारती डांगरे और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की बेंच ने पुणे पोर्श कांड के मुख्य नाबालिग आरोपी हिरासत को गैरकानूनी बताते हुए 25 जून को रिहाई का आदेश दिया था। कोर्ट ने नाबालिग की कस्टडी उनकी मौसी को देने का निर्देश दिया था, क्योंकि नाबालिग के माता-पिता और दादा भी जेल में बंद हैं। इसके बाद 26 जून को किशोर को बाल सुधार गृह से रिहा कर दिया गया था।