बिहार के बक्सर जिले में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के पुश्तैनी मकान के एक हिस्से पर शुक्रवार (फरवरी 12, 2021) को प्रशासन का बुलडोजर चला। जदयू के नेता रहे प्रशांत किशोर की मकान की चहारदीवारी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में आड़े आ रही थी, इसलिए ये कार्रवाई की गई।
स्थानीय लोग लगातार आरोप लगा रहे थे कि जहाँ रसूखदार लोगों के अवैध निर्माणों को तोड़ने में प्रशासन कोताही बरत रहा है, वहीं आम लोगों के साथ इस मामले में कोई नरमी नहीं दिखाई जा रही है। इसी क्रम में प्रशासन ने प्रशांत किशोर के घर के परिसर की बाउंड्री और अंदर के कुछ हिस्से को ध्वस्त किया है। इन हिस्सों का NH निर्माण के लिए अधिग्रहण हो चुका है, जिसका मुआवजा भी बनकर तैयार है। प्रशांत किशोर के पिता श्रीकांत पांडेय बक्सर के एक बड़े डॉक्टर हुआ करते थे। उन्होंने ही इस मकान का निर्माण करवाया था। उनका 2019 में दिल्ली में निधन हो गया था। फ़िलहाल ये घर खाली है और यहाँ परिवार का कोई सदस्य नहीं रहता है।
प्रशांत किशोर के घर पर चली JCB, प्रशासन ने ढहा दी दीवार
— Utkarsh Singh (@UtkarshSingh_) February 12, 2021
दरअसल बक्सर में NH84 का चौड़ीकरण हो रहा है जिसके लिए अहिरौली में प्रशांत किशोर के पैतृक घर की चहारदीवारी भी गिरानी पड़ी। pic.twitter.com/6IXtEy2mfj
केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि बक्सर-पटना राष्ट्रीय राजमार्ग-84 के निर्माण का कार्य इस वर्ष के अंत तक पूरा कर लिया जाना चाहिए, जिस कारण रास्ते में आने वाले हर अवरोध को हटाया जा रहा है। इस दौरान चुरामनपुर के नजदीक स्थित यशोदाब्रह्म स्थान को भी हटाया जाना है, लेकिन यहाँ प्रशासन को विरोध का सामना करना पड़ा। वरिष्ठ अधिकारियों ने लोगों को समझा-बुझाकर भरोसे में लिया और ब्रह्म बाबा को स्थानांतरित किया।
प्रशांत किशोर की संपत्ति पर हुई कार्रवाई को 15 मिनट में जल्दी निपटा दिया गया, क्योंकि लोगों की भीड़ जमा हो गई थी। अनुमंडल अधिकारी (SDM) केके उपाध्याय ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय राजमार्ग-84 के चौड़ीकरण के दौरान भूमि अधिग्रहण के क्रम में दोनों किनारे पर बने मकान तथा धार्मिक स्थलों को हटाया जा रहा है। भूस्वामियों को मुआवजा दिया जा रहा है, वहीं धार्मिक स्थलों को स्थानांतरित किया जा रहा है।
2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी और 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के साथ काम कर चुके प्रशांत किशोर को बिहार में कैबिनेट मंत्री स्तर की सुविधाएँ दी गई थीं और जदयू में उपाध्यक्ष पद से भी नवाजा गया था। लेकिन, कुछ ही दिनों में नीतीश से उनकी दूरी बढ़ती चली गई। फ़िलहाल वे पश्चिम बंगाल में TMC के लिए काम कर रहे हैं। उनका विरोध करते हुए कई नेताओं ने हाल में तृणमूल छोड़ा है।