उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले की एक अदालत ने हलीम और रिजवान को मौत की सजा सुनाई है। दोनों नाबालिग लड़की को अगवा कर बलात्कार के दोषी ठहराए गए हैं। हलीम ऑटो मैकेनिक है, जबकि रिजवान दर्जी। इस मामले के एक अन्य आरोपित का मामला अदालत ने किशोर न्यायालय को ट्रांसफर कर दिया था।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने हलीम और रिजवान को ‘पिशाच’ करार देते हुए कहा कि उन्होंने नाबालिग के मंदिर जैसे शरीर में न केवल प्रवेश किया, बल्कि उसे तोड़ने की भी कोशिश की। उल्लेखनीय है कि गैंगरेप के बाद पीड़िता को गंभीर चोटें भी पहुँचाई गई थी। उसका चेहरा विकृत कर दिया गया था। बाईं आँख से वह स्थायी रूप से अंधी हो चुकी है।
कोर्ट ने गुरुवार (3 नवंबर 2022) को सजा सुनाते हुए इसे जघन्य अपराध बताया। पचास हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। इससे पहले 21 अक्टूबर 2022 को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश/बलात्कार और पॉक्सो कोर्ट के जज पंकज कुमार श्रीवास्तव ने हलीम और रिजवान को दोषी करार दिया था।
कोर्ट ने कहा था, “अपनी हवस को पूरा करने के लिए न केवल पीड़िता के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया, बल्कि जानबूझकर उसे ऐसी चोटें भी पहुँचाई कि वह शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग हो गई। जब भी पीड़िता खुद को आईने में देखती होगी, उसे खुद पर अफसोस होता कि वह इस दुनिया में लड़की के रूप में क्यों पैदा हुई। लोग अपने जीवन में एक बार मरते हैं और यह पीड़िता हजारों, लाखों बार मरेगी।”
कोर्ट ने 10 पेज के आदेश में मौत की सजा को सही ठहराते हुए कहा है कि अगर कड़ी सजा नहीं दी गई तो लड़कियों के माता-पिता हर पल इस डर में जिएँगे कि कोई उनकी बेटी को हवस का शिकार न बना ले। गौरतलब है कि 30 दिसंबर 2021 को इस मामले में प्रतापगढ़ के नवाबगंज थाने में मामला दर्ज कराया गया था। 27 दिसंबर 2021 को बाजार जाते समय नाबालिग पीड़िता को अगवा किया गया था। रेलवे लाइन के पास गैंगरेप के बाद उसे छोड़ दिया गया था। उससे पहले क्रूरता से उसके सिर पर वार किए गए। आँखों पर चाकू से हमला किया गया। पैर तोड़ दिया गया था।