Sunday, November 17, 2024
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‘स्वार्थ की गंध नहीं आनी चाहिए, बात दूसरों की प्रियता की और मन में कपट’: राकेश टिकैत को प्रेमानंद महाराज की खरी-खरी, बोले – भोले-भाले हैं हमारे किसान

इस दौरान पीत वस्त्र धारण करने वाले प्रेमानंद महाराज ने ये भी कहा कि किसानों के लिए आवाज़ उठाने की प्रक्रिया में स्वार्थ की गंध नहीं आनी चाहिए।

लगातार आंदोलन करने वाले और मोदी सरकार को धमकियाँ देने वाले राकेश टिकैत अब मथुरा के वृन्दावन स्थित प्रेमानंद महाराज के आश्रम पहुँचे। प्रेमानंद महाराज ने भी उन्हें कुछ ‘कड़वे सलाह’ दे डाले। बता दें कि राकेश टिकैत BKU (भारतीय किसान यूनियन) के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं, उनके भाई नरेश टिकैत संगठन के अध्यक्ष हैं। राकेश टिकैत उन किसान नेताओं में शामिल हैं, जिनके नेतृत्व में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं को 1 साल तक घेरे रखा गया था।

‘श्री हित राधा केली कुञ्ज’ आश्रम के संत प्रेमानंद महाराज ने राकेश टिकैत से कहा, “हमारे जो भारतीय किसान हैं वो बड़े भोले-भाले हैं। हमलोग किसान के घर में पैदा हुआ तो जानते हैं, फसल नष्ट हो गई तो समझो किसान नष्ट हो गया। कितनी मेहनत कर के वो अपनी फसल तैयार करता है और प्राकृतिक व नाना प्रकार की आपदाओं के कारण वो नष्ट हो जाती है। किसानों के पक्ष में खड़े होकर किसानों को अनुकूलता दिलाना और सुविधा दिलाना बहुत उत्तम कार्य है।”

इस दौरान पीत वस्त्र धारण करने वाले प्रेमानंद महाराज ने ये भी कहा कि किसानों के लिए आवाज़ उठाने की प्रक्रिया में स्वार्थ की गंध नहीं आनी चाहिए। उन्होंने समझाया कि स्वार्थ में कपट होती है, हम बात अपनी प्रियता की कर रहे हैं लेकिन उसमें मेरी स्वार्थ की पूर्ति है। प्रेमानंद महाराज ने कहा कि ऐसी स्थिति में ये परमार्थ नहीं रहेगा, दूसरों के हित के लिए हम अपने प्राणों की बाजी भी लगा देते हैं तो इस लोक में और परलोक में भी मंगल होगा।

इस दौरान उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानस की चौपाई ‘परहित सरिस धर्म नहीं भाई, परपीड़ा सम नहीं अधमाई’ का जिक्र करते हुए कहा कि वो चाहेंगे कि परमार्थ की भावना से युक्त होकर किसानों की उन्नति हो, उनकी समस्याओं में सब साथ खड़े होकर उनकी सहायता करें। उन्होंने कहा कि कई किसान असमर्थता के कारण आत्महत्या कर देते हैं, क्योंकि उनकी पहुँच नहीं होती और वो अपनी बात सरकार तक नहीं पहुँचा सकते। उन्होंने कहा कि कोई धनवान है फिर भी वो रुपया या सोना-चाँदी नहीं, वो खाएगा तो अन्न ही, इसीलिए किसानों की उन्नति आवश्यक है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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