तेलंगाना में सोमवार को समाजिक समता और समरसता की एक अनूठी मिसाल देखने को मिली। यहाँ एक अर्चक (पुजारी) ने रवि नामक दलित को कंधे पर उठाया और मंदिर के अंदर ले गए। यह किस्सा तेलंगाना के खम्मम स्थित रंगनायकुला गुट्टा का है।
‘Muni Vahana Seva’ performed in Khammam – Priest from Scheduled Caste carried on shoulders into the temple in Bhadrachalam: https://t.co/9h9E4RfGEH via @eOrganiser
— Organiser Weekly (@eOrganiser) February 25, 2020
सोमवार (फरवरी 24, 2020) को खम्मम में ऐतिहासिक श्री लक्ष्मी रंगनाथ स्वामी मंदिर (रंगनायकुला गुट्टा) में समाजिक समरसता वेदिका, नरसिंह वाहिनी और अन्य संगठनों के साथ मंदिर संरक्षण आंदोलन (टीपीएम) का आयोजन किया गया।
मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित गाँधी प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ शुरुआत करते हुए, सड़क के दोनों ओर सैकड़ों महिलाओं द्वारा नादस्वरम और कोल्लम के साथ एक बड़ी शोभा यात्रा निकाली गई। इसी दौरान भद्राचलम नरसिंह स्वामी मंदिर के अर्चक (पुजारी) कृष्ण चैतन्य ने श्रद्धेय तिरुप्पनलवार के चित्रण के रूप में वैष्णव नमम को धारण करने वाले रवि को उठा लिया और उन्हें मंदिर तक ले गए।
इस उत्सव में चिलकुर बालाजी मंदिर के मुख्य पुजारी सीएस रंगराजन भी शामिल थे। रंगराजन ने इस मौके पर कहा कि इसे एक वैष्णव आचार्य भगवद रामानुज की शिक्षाओं के उत्सव के रूप में देखा जाता है, जिन्होंने एक गैर-भेदभावपूर्ण और समतावादी समाज के लिए संघर्ष किया। रंगराजन ने कहा, “सनातन धर्म में ईश्वर के बाद सभी को एक समान माना जाता है। तथाकथित भेदभाव केवल हाल के दिनों में ही शुरू हुआ है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम दुनिया में अलग-अलग लोगों के बीच आने वाले भेदभावों को खत्म करें।”
इस अवसर पर सीएस रंगराजन ने कहा, “आचार्य रामानुज ने उपदेश दिया कि हर कोई भगवान की दृष्टि में समान है और कोई भी ऊँचा या नीचा नहीं है। संत रविदास ने अपने उपदेशों से सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को भक्ति मार्ग में मार्गदर्शन किया। दुनिया में विभिन्न प्राणियों के बीच आई विषमताओं को दूर करने की जिम्मेदारी हमारी है।”
रंगराजन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने बस यह दिखाने का प्रयास किया है कि सनातन धर्म ने सभी को भगवान के समान माना है और तथाकथित भेदभाव ने हाल ही के कुछ समय में सनातन की व्यवस्थाओं में बदलाव कर दिया है।
ऐसे समय में, जब देश में मजहबी तनाव पर चर्चा जारी हैं, तेलंगाना निरंतर ऐसे उदाहरण पेश करता आया है।
दो साल पहले भी चिलकुर बालाजी मंदिर के मुख्य पुजारी सीएस रंगराजन ने ही सबसे पहले अप्रैल 2018 में एक दलित युवक आदित्य परासरी को कंधे पर बिठाकर जियागुड़ा स्थित रंगनाथ स्वामी मंदिर के अंदर पहुँचाया था। तेलंगाना में होने वाली मुनि वाहन सेवा तमिलनाडु में 2700 साल से चले आ रहे समारोह का ही एक रूप है। यह समारोह मुख्य रूप से वैष्णव मंदिर में होते हैं और इनमें सनातन धर्म के रीति-रिवाज माने जाते हैं।