पुणे के कोंधावा मे हिंदू बहुल इलाके में सरकारी प्लॉट को कब्रिस्तान नहीं बनाया जाएगा। पुणे नगर निगम ने कब्रिस्तान बनाने के प्रस्ताव को कैंसिल कर दिया है। ये आदेश ऑपइंडिया द्वारा इस मुद्दे के उठाने के कुछ महीने बाद आया।
रिपोर्ट में हमने इलाके के लोगों का पक्ष रखा था और उनकी चिंता को बताया था कि जहाँ कब्रिस्तान बनाने की बात हो रही है वहाँ पास में उनका मंदिर है। लोगों का कहना था कि अगर ऐसा हुआ तो इससे धार्मिक भावनाएँ आहत हो सकती हैं।
इस संबंध में एनसीपी के पूर्व विधायक चेतन तुपे और बीजेपी नेता योगेश टिलेकर ने मई 2023 में पुणे नगर निगम (पीएमसी) को एक पत्र लिखा था। पत्र में हिंदू सोसायटीज के पास स्थित इस जमीन को कब्रिस्तान के लिए मुफीद बताया था। इसमें कहा गया था कि कोंढवा में मुस्लिमों की अच्छी-खासी आबादी है। करीब में कब्रिस्तान होना उनके लिए सहूलियत भरा होगा।
हालाँकि, बाद में भाजपा योगेश तिलेकर से जब ऑपइंडिया ने बात की और स्थानीयों की चिंता को उठाया, तो उन्होंने बताया कि उन्हें इलाके को लेकर गलत जानकारी दी गई थी कि वो मुस्लिम बहुल है। बाद में पता चला कि उस इलाके में तो 12-15 हजार हिंदू रहते हैं। इसकी वजह से उन्हें गलती का एहसास हुआ।
इसके बाद उन्होंने कब्रिस्तान न बनने देने का आश्वासन दिया और अक्टूबर 2023 में पीएमसी से गुहार लगाई कि हिंदू इलाके में कब्रिस्तान के लिए कोई परमिशन न दी जाए। अब इसी मामले में 28 दिसंबर 2023 को बताया गया कि जिस जगह को अभी जॉगिंग ट्रैक की तरह प्रयोग किया जाता है। उसे कब्रिस्तान नहीं बनाया जाएगा। जो परमिशन मिली थी उसे कैंसिल कर दिया गया है।
बता दें कि ये पूरा मामला आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ पारितोष जवारे पाटिल की आरटीआई से खुला था। इसमें उन्होंने रविराज कोलोराडो को-ऑप हाउसिंग सोसायटी की डिटेल्स की जानकारी माँगी थी। इसी दौरान पता चला था कि जमीन को पीएमसी ने वो जमीन प्ले ग्राउंड के लिए दे रखी है जिसमें 43 लाख रुपए खर्च होने के बावजूद वो अब तक ऐसी ही है। इसका निर्माण कार्य सलीम कंस्ट्रक्शन को मिला था, पर जमीन फिर भी खाली रही। बाद में इसे मुस्लिम कब्रिस्तान बनाने का प्रस्ताव रखा गया जिसके बारे में जानकर स्थानीयों ने विरोध किया।
पाटिल ने 2 जनवरी को ऑपइंडिया से बात करते हुए पुष्टि की कि पीएमसी ने अपना निर्णय वापस ले लिया है। पाटिल ने कहा, “हमें खुशी है कि फैसला वापस ले लिया गया है। हम मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नहीं हैं। हम बस इतना चाहते हैं कि हमारा स्वास्थ्य और हमारे बच्चे सुरक्षित रहें। अगर वहाँ हिंदू कब्रिस्तान बनाने का अनुरोध होता तो भी हम इसी तरह विरोध करते।”
नोट: सिद्धि सोमानी की यह मूल रिपोर्ट अंग्रेजी में प्रकाशित है। आप इसे इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।