Monday, November 18, 2024
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‘नाबालिग लड़की को अपनी ओर खींचना यौन अपराध नहीं’: बॉम्बे HC ने आरोपित को रिहा किया, उधर लड़की को ‘आइटम’ कहने पर 1.5 साल की सज़ा

आरोपित को अदालत द्वारा यौन उत्पीड़न का दोषी और डेढ़ साल की सजा सुनाए जाने से पहले उसके वकील ने दावा किया था कि पीड़िता के माता-पिता उसके मुवक्किल और पीड़िता की दोस्ती के खिलाफ थे, इसलिए उसे मुवक्किल झूठे मामले में फँसाया जा रहा है।

मुंबई की एक पॉक्सो अदालत ने यह कहा है कि किसी लड़की के लिए ‘आइटम’ शब्द का उपयोग करना यौन उत्पीड़न के दायरे में आता है। दरअसल, एक युवक ने किशोरी के बाल खींचकर पूछा था, “क्या आइटम, किधर जा रही हो?” इस केस में हुई सुनवाई को लेकर अदालत ने युवक को यौन उत्पीड़न का दोषी मानते हुए डेढ़ साल की सजा सुनाई है। वहीं, एक अन्य मामले में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की को अपनी ओर खींचने वाले युवक को जमानत दे दी है।

लड़की को ‘आइटम’ कहने पर पॉक्सो कोर्ट ने सुनाई सज़ा

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 2015 में 16 साल की एक लड़की जब स्कूल से अपने घर जा रही थी तब आरोपी 25 वर्षीय युवक ने लड़की को ‘आइटम’ कहा था। इस मामले में, पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया था कि आरोपित बीते 1 महीने से उसका पीछा कर रहा था।

इस मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने माना है कि आरोपी युवक ‘यौन उत्पीड़न’ के इरादे से पीड़िता का पीछा कर रहा था। सुनवाई में विशेष न्यायाधीश एसजे अंसारी ने कहा, “ऐसे अपराधों से सख्ती से निपटने की जरूरत है, क्योंकि महिलाओं को अनुचित व्यवहार से बचाने के लिए ऐसे सड़क छाप रोमियो को सबक सिखाने की जरूरत है।”

आरोपित को अदालत द्वारा यौन उत्पीड़न का दोषी और डेढ़ साल की सजा सुनाए जाने से पहले उसके वकील ने दावा किया था कि पीड़िता के माता-पिता उसके मुवक्किल और पीड़िता की दोस्ती के खिलाफ थे, इसलिए उसे मुवक्किल झूठे मामले में फँसाया जा रहा है। हालाँकि, कोर्ट ने पीड़िता के बयान के आधार पर इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि कोर्ट में ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया गया है जिससे यह साबित हो सके कि पीड़िता ने किसी कारण से आरोपित के खिलाफ झूठा बयान दिया है।

नाबालिग लड़की को अपनी ओर खींचना यौन उत्पीड़न नहीं: बॉम्बे HC

उधर बॉम्बे हाईकोर्ट ने पाक्सो एक्ट के एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि नाबालिग लड़की को अपनी ओर खींचना यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण (POCSO) एक्ट, 2012 के अंतर्गत यौन उत्पीड़न के दायरे में नहीं आता है। इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस भारती डांगरे ने आरोपित की जमानत अर्जी स्वीकार करते हुए उसे रिहा करने का निर्देश दिया। हडपसर पुलिस ने 22 सितंबर, 2021 को आरोपित के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC), आईटी एक्ट और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था।

न्यायमूर्ति डांगरे ने आरोपित युवक की जमानत अर्जी स्वीकार करते हुए कहा, “आवेदक को पीड़िता के यह कहने पर कि आरोपित ने उसे अपनी ओर खींचा, लेकिन उसने तुरंत उसे धक्का दे दिया, आरोप का सामना करना पड़ रहा है। हालाँकि, प्रथम दृष्टया यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपित का ऐसा करना यौन उत्पीड़न के दायरे में आएगा।”

दरअसल, पीड़िता ने आरोप लगाते हुए कहा था कि उसके पुरुष मित्र ने उसे अपने दो दोस्तों से मिलवाया था, जिसके बाद वह 15 सितंबर 2021 को अपने दोस्त से मिलने गई थी। वहाँ उसके दो अन्य दोस्त भी मौजूद थे। इस दौरान वे चारों (पीड़िता, उसका दोस्त और दोनों लड़के) गणपति पंडाल देखने चले गए। आरोप है कि वहाँ आरोपित ने उसे अपनी ओर खींचा, लेकिन पीड़िता ने उसे तुरंत धक्का दे दिया। सुबह करीब 4 बजे जब वह घर लौटी तो उसे एक वीडियो मिला। जब उसकी माँ ने वीडियो देखा तो उसने शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद पुलिस ने तीनों लड़कों को गिरफ्तार कर लिया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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