पंजाब में ज़हरीली शराब की वजह से 86 लोगों की मौत हो गई है। पंजाब सरकार ने इस मामले में एक्शन लेते हुए 6 एक्साइज अधिकारियों और 4 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है। इनमें से 2 डीएसपी लेवल के अधिकारी हैं और 2 SHO हैं। 86 लोगों की मौत के बाद इन अधिकारियों के खिलाफ जाँच के भी आदेश दे दिए गए हैं। मृतकों में 3 जिलों के लोग शामिल हैं। विपक्ष ने सरकार की आलोचना की है।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने सभी मृतकों के पीड़ित परिवारों को दो-दो लाख मुआवजा देने का भी ऐलान किया है। मरने वालों में सबसे ज्यादा तरण तारन के हैं, जहाँ के 63 लोगों की मौत हुई है। इसे बाद अमृतसर ग्रामीण क्षेत्र के 12 और गुरदासपुर के 1 व्यक्ति की मौत हुई है। सीएम ने कहा कि इन मौतों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक्साइज और पुलिस विभाग की लापरवाही से ज़हरीली शराब की बिक्री हुई, जो बेशर्मी वाली हरकत है।
पंजाब पुलिस का कहना है कि नकली शराब से मौत के पहले 5 मामले बुधवार (जुलाई 29, 2020) की रात अमृतसर के तारसिक्का के तांगड़ा और मुच्छल गाँव से सामने आए थे। इसके बाद लगातार मरने वालों की संख्या बढ़ती ही रही है। अभी आँकड़ों के और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है, जो कहीं से भी ठीक नहीं है। कई कई पीड़ितों के परिवार तो अपने बयान दर्ज करने के लिए भी आगे नहीं आ रहे थे।
हालाँकि, पुलिस का कहना है कि उन परिवार वालों को ऐसा करने के लिए मना लिया गया है। कइयों का तो पोस्टमॉर्टम तक नहीं हो पाया है। पीड़ित परिवारों का कहना है कि वो इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं, जो अजीब है। डिप्टी कमिश्नर मोहम्मद इश्फाक का कहना है कि कई परिवारों ने तो इस बात को स्वीकार करने से भी इनकार कर दिया है कि उनके परिजनों की मौत ज़हरीली शराब से हुई है।
86 dead in Punjab hooch tragedy, over 100 raids in massive crackdown: What has happened so far#Punjab #Hooch https://t.co/In30bq5ZuD pic.twitter.com/eXOpEsefhz
— India TV (@indiatvnews) August 1, 2020
परिवार वाले कह रहे हैं कि उनके परिजनों की मौत हार्ट अटैक से हुई है, इसका ज़हरीली शराब से कोई लेनादेना नहीं है। ‘नवभारत टाइम्स’ की ख़बर के अनुसार, अमृतसर के एसएसपी (ग्रामीण) विक्रमजीत सिंह दुग्गल ने बताया कि तारसिक्का थाना के प्रभारी विक्रमजीत सिंह को निलंबित कर दिया गया है। विपक्षी आम आदमी पार्टी का कहना है कि मजिस्ट्रेट जाँच से कुछ नहीं होने वाला है। साथ ही मुख्यमंत्री के इस्तीफे की माँग की।
विपक्षी पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने माँग की है कि इस मामले की जाँच पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की निगरानी में कराई जाए, ताकि सच्चाई समाने आ सके और दोषियों को सज़ा मिले। कुछ परिवारों ने तो पुलिस को सूचना दिए बिना ही शवों का अंतिम संस्कार तक कर दिया है। पुलिस ने अब तक इस मामले में कुल 17 लोग को गिरफ्तार करने में सफलता पाई है। अन्य आरोपितों की तलाश जारी है। 100 से भी अधिक जगह छापेमारी हुई है।