रूपनगर जेल में बंद बाहुबली और माफिया मुख्तार अंसारी को पंजाब सरकार ने उत्तर प्रदेश पुलिस के हवाले करने से मना कर दिया है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि मुख्तार अंसारी की गैरमौजूदगी की वजह से उत्तर प्रदेश में मामलों की सुनवाई नहीं हो पा रही है।
पंजाब सरकार ने जेल में बंद मुख्तार अंसारी को यूपी सरकार को सौंपने से किया इनकार, बीमारियों की दलील दी।
— Deepak Chaurasia (@DChaurasia2312) February 5, 2021
दरअसल, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को 14 आपराधिक मामलों के लिए मुख्तार अंसारी की हिरासत की दरकार है। इसके लिए योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है लेकिन इसके जवाब में पंजाब सरकार ने हलफ़नामा दायर किया है। इसके ज़रिए मुख्तार अंसारी को योगी सरकार की हिरासत में भेजने से मना कर दिया है। पंजाब सरकार ने मुख्तार अंसारी के स्वास्थ्य को इसकी वजह बताया है।
जेल अधीक्षक ने इस संबंध में दायर किए गए हलफ़नामे में कहा है कि मुख्तार अंसारी रक्तचाप, मधुमेह, अवसाद, पीठ दर्द, त्वचा की एलर्जी से पीड़ित हैं। इसके अलावा पंजाब सरकार ने योगी सरकार की याचिका को खारिज करने की माँग की है और कहा है कि वह चिकित्सकों के निर्देशानुसार काम कर रही है। योगी सरकार की याचिका विचार करने लायक नहीं है क्योंकि अंसारी को पंजाब की जेल में रखना मौलिक अधिकार है और योगी सरकार इसका उल्लंघन नहीं कर सकती है।
वहीं योगी सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया है कि मुख्तार अंसारी पर प्रदेश के भीतर गंभीर धाराओं में मुक़दमे लंबित हैं। इसके बावजूद वह पंजाब की जेल में एक छोटे अपराध की वजह से दो साल से मौजूद है। योगी सरकार के मुताबिक़ कई बार गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया गया लेकिन पंजाब सरकार अब तक इस बात को टालती रही है। पंजाब सरकार स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए मुख्तार अंसारी को सौंपने में टालमटोल कर रही है।
वहीं दूसरी तरफ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी बैनामे से सरकारी ज़मीन पर होटल बनाने के मामले में मुख्तार अंसारी की पत्नी आशफां अंसारी की अग्रिम जमानत को मंज़ूरी दी है। हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत के साथ-साथ नियमों का पालन करने का आदेश भी दिया है। दरअसल, आशफां अंसारी पर अनधिकृत बैनामे के ज़रिए सरकारी बंजर ज़मीन पर ग़ैरकानूनी रूप से होटल बनाने का आरोप है।
इस मामले की जाँच के लिए बनाई गई समिति ने रिपोर्ट पेश की थी जिसके आधार पर गाजीपुर कोतवाली में सदर तहसील के लेखपाल ने षड्यंत्र, धोखाधड़ी और अन्य गंभीर आरोपों के अंतर्गत एफ़आईआर दर्ज की गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक़ सरकारी ज़मीन का बैनामा दो नाबालिग बेटों अब्बास अंसारी और उमर अंसारी के नाम कराया गया था।