राजस्थान के भरतपुर में मंगलवार (18 जून) को मवेशी तस्करों ने कथित रूप से एक गौशाला (गाय-आश्रय) पर हमला किया, महंत की पिटाई की और तीन गायों को लेकर भाग गए। पुलिस ने आरोपितों को पकड़ने के लिए प्रयास शुरू कर दिया है। हालाँकि, स्थानीय निवासियों को लगता है कि पुलिस की लापरवाही के कारण पशु तस्करों के हौसले दिन-प्रतिदिन बुलंद होते जा रहे हैं।
एसएचओ विनोद सावरिया के अनुसार, “गौशाला के कार्यवाहक कन्हैया लाल, जिन्हें बाबाजी के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने शिक़ायत दर्ज की थी कि कुछ पशु तस्करों ने उन पर हमला किया और गायों को लेकर भाग गए।”
एसपी (एएसपी) देग महेश मीणा ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया से कहा, “संदिग्धों की पहचान नहीं हो पाई है। कार्यवाहक ने कहा कि आरोपित एक वाहन में आया था, लेकिन वह उस वाहन का नंबर नहीं याद रख सके। कार्यवाहक ने आरोप लगाया कि जब वो उनसे भिड़ गया तो अभियुक्तों ने उनकी पिटाई कर दी। हमारी टीमें इस मामले को देख रही हैं और हमने राजस्थान गोजातीय पशु अधिनियम के तहत FIR दर्ज कर ली है।”
मेवात क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में कैटल स्मगलिंग हमेशा से ही एक बड़ी समस्या रही है। यह संगठित अपराध, मवेशी तस्करी, अवैध रोहिंग्या बस्ती और हिंसात्मक गतिविधियों का अड्डा है।
पिछले साल भी यूपी के औरैया में कुछ घटनाएँ हुई थीं, जहाँ साधुओं ने इलाक़े में गोहत्या को रोकने के लिए काम किया था, उनके आवासों में घुसकर क्रूरतापूर्वक उनकी हत्या कर दी गई थी।
इससे पहले की एक घटना में, अलवर ज़िले के तिजारा क्षेत्र में, जो मेवात के अंतर्गत आता है, पुलिस ने अरंडका गाँव में निषाद नाम के एक व्यक्ति के घर पर छापा मारा था और गायों का माँस और खाल बरामद की थी। पुलिस ने पास के खेत में 4-5 संदिग्धों को हिरासत में लिया था। जब पुलिस वहाँ गई तो उन्हें पास के खेत में मौजूद कुएँ से लगभग 20-22 किलोग्राम गोमाँस पड़ा मिला था और 5-6 गायों की खाल मिली। गुरुवार (20 जून) को भी, पुलिस ने 18 भैंसों को बचाने में क़ामयाबी हासिल की थी और दो दोषियों को गिरफ़्तार भी किया था।