राजस्थान के करौली में 2 अप्रैल 2022 (शनिवार) को हिन्दू नववर्ष पर निकली शोभायात्रा पर मुस्लिम भीड़ के हमले के बाद हिंसा भड़क गई थी। इस हमले में कई हिन्दू कार्यकर्ताओं के साथ कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे। पुलिस ने दोनों पक्षों पर केस दर्ज किया था जिसके बाद दोनों पक्षों के लोगों को गिरफ्तार किया गया था। हमले का मास्टरमाइंड मतलूब अहमद बताया गया था। साथ ही इसके तार PFI से जुड़े बताए गए थे। ऑपइंडिया ने 10 जून 2022 (शनिवार) को इस घटना पर वर्तमान हालातों की जानकारी ली।
पूछताछ के लिए बुलाया फिर कर लिया गिरफ्तार
इस घटना में जेल से 44 दिनों बाद छूट कर आए भल्लू सिंह गुर्जर ने ऑपइंडिया से बात की। उन्होंने बताया, “मैंने कुछ गलत किया ही नहीं था इसलिए मैं कहीं भागा नहीं था। हम खुद ही पीड़ित थे। मेरे पास पुलिस वाले पूछताछ के नाम पर 3 अप्रैल 2022 को आए और मुझे ले कर कोतवाली गए। 1 पूरा दिन मुझ से कुछ पूछा ही नहीं गया। 5 अप्रैल को पुलिस वालों ने मेरा फोन जमा कर लिया और मुझ से रैली में शामिल लोगों के बारे में पूछताछ की। मैंने सिर्फ रैली में शामिल हिन्दू सेना के प्रदेश अध्यक्ष साहब सिंह गुर्जर का नाम बताया। पर मेरी कोई बात मानी ही नहीं गई।”
SHO के नीचे का प्रशासन काफी अच्छा था पर ऊपर के अधिकारी नहीं
भल्लू सिंह गुर्जर ने आगे बताया, “थाने में हमारे साथ कोई मारपीट नहीं की गई। TI से नीचे का पुलिस स्टाफ काफी अच्छा था। उन्होंने हमारा ध्यान रखा। लेकिन ऊपर के अधिकारी उतने ही बुरे। खास तौर पर वो अधिकारी जो जाँच कमेटी के साथ बाहर से आए थे। असल में उन्हें कॉन्ग्रेस सरकार ने भेजा था।”
3 दिनों तक रखा कस्टडी में
भल्लू गुर्जर के आगे कहा, “हमें 3 अप्रैल को ले जाया गया और 6 अप्रैल को जेल भेजा गया। ऑन रिकार्ड पुलिस ने मेरी गिरफ्तारी 4 अप्रैल को दिखाई है। मेरे CCTV में बस 15 दिनों की फुटेज आती है इसलिए शायद मेरे पास मेरी गिरफ्तारी का वीडियो सबूत न मिल पाए। लेकिन थानों के अंदर लगे कैमरों से सबूत मिल जाएगा। जबकि पुलिस को बिना अदालत को बताए किसी को भी 24 घंटे से ज्यादा कस्टडी में रखने का अधिकार नहीं है।”
इधर मैं कस्टडी में, उधर मुझ पर ही आगजनी की FIR
भल्लू सिंह गुर्जर ने आगे बताया, “3 अप्रैल, 2022 को शाम 5 बजे पुलिस मुझे कटड़ी में ले चुकी थी। जब मैं थाने में था तब उसी दिन रात 10 बजे रिहान नाम के एक व्यापारी की दुकान में आगजनी हुई। इस आगजनी की भी FIR पुलिस ने मुझ पर ही कर दी। जबकि मैं उस समय उसी पुलिस की कस्टडी में था। मैं आज भी उस झूठे मुकदमे को झेल रहा हूँ।”
मेरे साथ कुल 8 हिन्दू भेजे गए थे जेल
भल्लू सिंह ने आगे बताया, “मेरे साथ कुल 8 हिन्दू जेल भेजे गए थे। उनके नाम वीरेंद्र बैंसला, गजेंद्र सिंह गुर्जर, रविंद्र जाट, पुष्पेंद्र मुद्गल, विपिन शर्मा, राजा पराशर, नीरज योगी है। बाद में भी कुछ हिन्दू जेल आए। जेलर और डिप्टी जेलर का व्यवहार हमारे लिए ठीक रहा। इसके अलावा जेल के बाकी स्टाफ में जातिवाद हो रहा था। भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा एक बार और मनोज राजौरिया 2 बार जेल में मिलने आए। इस से हम लोगों को काफी सपोर्ट मिला। भाजपा ने हमारी काफी मदद की।”
बेहद घटिया था जेल का खाना
भल्लू सिंह ने आगे बताया, “जेल का खाना काफी बेकार था। मैं लगभग 44 दिनों तक जेल में रहा। मेरी जमानत में भी हिन्दू संगठनों ने काफी सहयोग किया। जिले की अदालत में ख़ारिज होने के बाद मेरी जमानत हाईकोर्ट से हो पाई थी। हमारे साथ मुस्लिम आरोपित भी जेल में बंद थे लेकिन उनकी बैरकें अलग थीं। उनकी संख्या लगभग 19 थी। उनसे मिलने कौन-कौन आया ये हम नहीं जान पाए। हालाँकि सबको मिली सुविधाएँ एक जैसी थीं। जेल में कोई वाद-विवाद नहीं हुआ। मुस्लिम आरोपितों को हमारी तरफ आने नहीं दिया जाता था।”
भल्लू सिंह गुर्जर ने खुद को धार्मिक प्रवृत्ति का बताया। स्थानीय कैला देवी धाम आने वाले देश भर के श्रद्धालुओं का वो अपनी यथाशक्ति रहने आदि का इंतजाम भी करते हैं। हिंसा से ठीक पहले 29 मार्च, 2022 को उन्होंने कई श्रद्धालुओं के रहने की व्यवस्था अपने पते पर करवाई थी।
जेल से छूटने के बाद कोई धमकी या दबाव नहीं
भल्लू सिंह गुर्जर ने बताया, “मैं 19 मई 2022 को जेल से छूट कर आया। तब से अब तक मुझे किसी प्रकार की धमकी या कोई दबाव नहीं आया। तब से आराम से हूँ। थाने में फोन लेने गया था तब पुलिस वालों ने कहा कि कुछ दिन शाँत रहना। हालाँकि मैंने उनसे कहा कि हम पहले से शाँत है। हमें हमारा फोन वापस मिल गया। फोन में कोई छेड़छाड़ नहीं हुई थी। पुलिस वालों का व्यवहार भी संतोषजनक था।”
3 हिन्दू बनाए गए मुख्य आरोपित
भल्लू सिंह ने बताया, “हमारे केस में हिन्दुओं की तरफ से 3 लोग मुख्य आरोपित बनाए गए हैं। इनके नाम साहिब सिंह, राजाराम गुर्जर और नीरज शुक्ला हैं। ये तीनों फिलहाल अभी नहीं पकड़े गए हैं। इसके अलावा हिन्दुओ की तरफ से कई अन्य लड़के फरार चल रहे हैं। मेरे साथ जेल गए सभी 8 लोग जमानत पा चुके हैं। इसी केस में मुस्लिमों की तरफ से जो जेल गए थे वो भी छूट चुके हैं।”
टूट चुका कारोबार फिर से खड़ा करने की कोशिश में हूँ
भल्लू सिंह ने बताया, “मैं पुलिस और सेना में भर्ती के दौरान फिजिकल टेस्ट की तैयारी करवाता हूँ। इसके लिए मैंने 40 हजार रुपए प्रतिमाह पर हॉस्टल ले रखा है। कोचिंग का नाम चेतक डिफेन्स अकादमी है जो 3 साल से चल रही है। साथ ही स्टाफ का खर्च भी अलग। मेरे सेंटर से तैयारी कर के निकले कई लड़के दिल्ली पुलिस, राजस्थान पुलिस, सेना और पैरामिलिट्री में पोस्टेड हैं। मेरी फीस बस 6 हजार रुपए प्रतिमाह है जिसमें कैंडिडेट का रहना, खाना और तैयारी फीस शामिल हैं।”
भल्लू सिंह गुर्जर अपने अकादमी में ‘भारत माता की जय’ के नारों के साथ अभ्यर्थियों के दिन की शुरुआत करवाते हैं।
भल्लू गुर्जर के मुताबिक, “मेरी अकादमी का नाम चेतक डिफेन्स अकादमी है जो 3 साल से चल रही है। इस पूरे विवाद के बाद लगभग 2 माह तक मेरे कारोबार पर बहुत बुरा असर पड़ा। कई लड़के मेरे केस की वजह से मेरे हॉस्टल से चले गए। इसके चलते मुझे आर्थिक संकट से गुजरना पड़ा। पहले मेरे यहाँ सीटें फुल रहा करती थीं। फ़िलहाल मैं कोशिश कर के अपने टूट चुके उसी कारोबार को फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रहा हूँ।”