राजस्थान के भरतपुर जिले के पसोपा गाँव में अवैध खनन पर रोक लगाने में सरकार की नाकामी के खिलाफ साधु बाबा विजयदास ने आत्मदाह कर बलिदान दिया था। अशोक गहलोत की अगुवाई वाली कॉन्ग्रेस सरकार ने तभी आनन-फानन में आदिबद्री और कनकांचल क्षेत्र में अवैध खनन (Illegal Mining) रोकने का वादा तो कर दिया था, लेकिन न तो खनन रुका और न ही क्रेशर हटे।
इसी के विरोध में पसोपा में 3000 साधु-संत जुट गए और विरोध-प्रदर्शन किया, लेकिन कॉन्ग्रेस सरकार के पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह उलटे संत समाज को ही धमकी देने लगे। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी बदमाशी करेंगे तो सरकार अपने तरीके से निपटेगी।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, संरक्षण समिति के महासचिव ब्रज दास ने कहा, “सबकी भावनाओं को देखते हुए हम यह घोषणा करते हैं कि क्रेशरों को हटाने के लिए साधु-संतों, ग्रामवासियों, कृष्ण भक्तों की ओर से एक दिसंबर से एक बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा।” पसोपा में जुटे संतों ने करीब डेढ़ घंटे तक धरना दिया फिर आंदोलन की चेतावनी देकर करीब 10:30 बजे केदारनाथ की ओर कूच कर गए।
श्री मान मंदिर सेवा संस्थान, गहवर वन बरसाना से शुरू चौरासी कोस की यात्रा पसोपा में रुकी थी। इसमें करीब 3000 साधु-संत शामिल थे। श्री मान मंदिर, पसोपा ट्रस्ट के कार्यकारी अध्यक्ष राधा कृष्ण शास्त्री ने डीग के एसडीएम हेमंत कुमार को ज्ञापन सौंपा। इसमें ब्रज क्षेत्र से संपूर्ण क्रेशर को हटाने की माँग की गई।
शास्त्री ने कहा अवैध तरीके से चल रहे क्रेशरों को नहीं हटाया गया तो वह आंदोलन करेंगेl इस दौरान किसी तरह की जनहानि होती है सरकार व प्रशासन की जिम्मेदारी होगीl उनका कहना है, “अभी हमने नवंबर तक आंदोलन को स्थगित कर दिया है।”
पर्यटन मंत्री ने दी धमकी
इस बीच संतों के धरने-प्रदर्शन और आंदोलन की चेतावनी पर पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने संत समाज को धमकाते हुए कहा, ”आदिबद्री पर्वत को खनन मुक्त करा दिया गया, वह सरकार का वादा था। क्रेशर प्लांटों को भी सरकार बंद कराए, यह वादा नहीं है। वे लाइसेंस लेकर क्रेशर चला रहे हैं तो क्रेशर चलेंगे ही। अगर साधु-बाबाओं ने ज्यादा बदमाशी करने की कोशिश की तो फिर सरकार अपना काम करेगी।”
अवैध खनन पर रोक लगाने में सरकार की नाकामी के विरोध में आत्मदाह करने वाले साधु बाबा विजयदास की दिल्ली के एक अस्पताल में 23 जुलाई को निधन हो गया था। उन्होंने 20 जुलाई को केरोसिन डालकर खुद के शरीर में आग लगा ली थी। संतों ने राज्य सरकार को क्षेत्र में खनन पर रोक लगाने के लिए मनाने का हर संभव कोशिश की थी। हालाँकि, 500 से अधिक दिनों के इंतजार और कई खोखले वादों के बाद संतों ने मामले को आगे बढ़ाने का फैसला किया। अब फिर से कॉन्ग्रेस सरकार वही कर रही है।
उल्लेखनीय है कि ब्रज के पहाड़ पूजे जाते हैं, उनकी परिक्रमा की जाती है। इन पहाड़ों को खनन से बचाने के लिए सालों साल आंदोलन चल रहा है। माना जाता है कि ये पहाड़ भगवान कृष्ण के आह्वान पर अवतरित हुए थे। इनका उतना ही महत्व है, जितना बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम का है।