दशकों के इंतजार के बाद अब जल्द ही वो घड़ी आने वाली है जिसका हर हिंदू को इंतजार था। 5 अगस्त को अयोध्या नगरी में राम मंदिर का भूमि पूजन होगा। इसे सुनकर हर जगह उत्सव मनाया जा रहा है। इसी बीच खबर आई है कि देश भर के बड़े दलित मंदिरों से इस भूमि पूजन के लिए मिट्टी एकत्रित की जा रही है।
इसकी जानकारी विश्व हिंदू परिषद ने गुरुवार (जुलाई 30, 2020) को दी। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि संत रविदास मंदिर (काशी), महर्षि वाल्मिकी आश्रम (सीतामढ़ी), वाल्मिकी आश्रम (दिल्ली) और तांत्या भिल मंदिर (मध्यप्रदेश ) की मिट्टी भूमि पूजन के लिए इकट्ठा की जा रही है। इसके अलावा भीम राव आंबेडकर के जन्मस्थान व नागपुर स्थित उस वाल्मिकी मंदिर की मिट्टी भी ली जाएगी जहाँ आंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाया।
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय महासचिव मिलिंद परांडे ने इस संबंध में कहा कि भगवान राम ने सामाजिक एकता के संदेश पर जोर दिया था और राम मंदिर भारत की एकता का प्रतिनिधित्व करेगा।
वहीं, संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा, “दलित समुदाय हिंदू समाज का एक अभिन्न अंग है… इस समुदाय ने धर्मांतरण का विरोध किया है और गौ रक्षा के लिए सबसे ज्यादा लड़ाई लड़ी है। विहिप उनका ऋणी है।”
गौरतलब है कि एक ओर जहाँ राम मंदिर भूमि पूजन की तैयारियाँ अपने चरम पर हैं। वहीं विश्व हिंदू परिषद कुल 11 पवित्रस्थलों से मिट्टी इकट्ठा करके अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए भेजने वाला हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, राम मंदिर आंदोलन की अगुवाई करने वाले विहिप ने हिंदू, जैन मंदिरों और सिख गुरुद्वारों को मिलाकर 11 पवित्रस्थलों के पानी और मिट्टी को इकट्ठा किया है।
मौजूदा जानकारी के अनुसार, इनमें सिद्ध कालका पीठ, प्राचीन भैरव मंदिर, गुरुद्वारा शीशगंज, गौरीशंकर मंदिर, श्री दिगंबर जैन, लाल मंदिर, प्राचीन हनुमान मंदिर, प्राचीन शिव नवग्रह मंदिर, प्राचीन काली माता मंदिर, श्री लक्ष्मी नारायण बिरला मंदिर, भगवान वाल्मिकी मंदिर और बद्री घाट झंडेवालान मंदिर शामिल हैं।