अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) से भव्य राम मंदिर का नक्शा पास होने के बाद से कार्य में तेजी देखी जा रही है। सबसे पहले मंदिर निर्माण के लिए नींव की खुदाई होनी है। नींव की खुदाई में प्रयोग होने वाली बड़ी मशीनें कानपुर से अयोध्या पहुँच चुकी है।
राम मंदिर की आधारशिला के लिए धरातल से करीब 200 फीट नीचे 1200 खंभे स्थापित किए जाएँगे। इन पिलरों का निर्माण पत्थरों से होगा और इसमें लोहे का प्रयोग नहीं किया जाएगा। इन पिलरों पर अन्य स्तर की आधारशिला रखी जाएगी। प्रस्तावित राम मंदिर 360 फीट लंबा, 235 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊँचा होगा। ट्रस्ट के अनुसार, मंदिर की आधारशिला आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर बनाई जाएगी, ताकि इसे 1500 वर्षो तक और इसकी संरचना को 1000 वर्ष तक संरक्षित किया जा सके।
Ayodhya Development Authority in its board meeting om 2nd September 2020,has approved the final map of proposed structure of Shri Ram Janmbhoomi Mandir. Documents related to approval were handed over to Trust office bearers by the officials of authority. pic.twitter.com/WzZFCGjmYm
— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) September 4, 2020
ट्रस्ट ने अयोध्या विकास प्राधिकरण को विकास शुल्क, रखरखाव शुल्क और श्रम उपकर के रूप में 2.11 करोड़ रुपए जमा किए हैं। अयोध्या विकास प्राधिकरण ने साइट पर धार्मिक/मेला मैदान, बाग, आध्यात्मिक मैदान, और पर्यटक निवास के रूप में मँजूरी दी है।
5 अगस्त को राम मंदिर भूमि पूजन के बाद ट्रस्ट ने स्वामित्व, साइट मानचित्र, डिजाइन, आदि से संबंधित कागजी कार्रवाई को पूरा करना शुरू कर दिया। 29 अगस्त को ट्रस्ट ने मंदिर का प्रस्तावित नक्शा प्रस्तुत किया। उन्होंने मंदिर से संबंधित 4,000 पृष्ठों के दस्तावेज भी अयोध्या विकास प्राधिकरण को सौंपे। इसमें 67 एकड़ में फैले परिसर की विस्तृत योजना थी। ट्रस्ट को पहले ही आग और बिजली विभागों के साथ ही मंदिर के लिए भूकंप प्रतिरोधी उपायों की मँजूरी मिल चुकी है।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी डॉ अनिल मिश्र जी ने आज श्री राम जन्मभूमि मन्दिर के मानचित्र व अन्य आवश्यक दस्तावेज़ स्वीकृति के लिये अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व सचिव महोदय को सौंपे ताकि मानचित्र स्वीकृति पश्चात निर्माण कार्य प्रारम्भ हो सके। pic.twitter.com/oY7ffqDlfL
— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) August 29, 2020
अयोध्या में राम मंदिर हवाई पट्टी से 6.5 किलोमीटर दूर स्थित है, इसलिए यह भारतीय एयरपोर्ट प्राधिकरण द्वारा प्रतिबंधों के दायरे में नहीं आएगा। बता दें कि नियमों के अनुसार, यदि किसी हवाई अड्डे के निकट परिसर में किसी इमारत का निर्माण करना होता है, तो इसके लिए एयरपोर्ट के अधिकारियों से अनुमति लेनी होती है। इसी तरह, चूँकि मंदिर मणि पर्वत, कुबेर पर्वत और सुग्रीव पर्वत के निकट नहीं है, इसलिए ट्रस्ट को पुरातत्व विभाग से NOC लेने की आवश्यकता नहीं है।
ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल के अनुसार, मंदिर में 1 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए जगह होगी। मंदिर में अधिक भीड़ से बचने के लिए, तीन दिशाओं में चार द्वार होंगे। महंत सत्येंद्र दास ने रविवार एक्सप्रेस को दिए एक बयान में कहा कि मंदिर के प्रवेश द्वार पर आवश्यक मंदिरों के नाम वाले कई पत्थर लगाए जाएँगे।
महंत ने कहा, “अतीत में, सभी मुख्य मंदिरों के प्रवेश द्वार और धार्मिक महत्व के स्थानों पर पत्थर लगाए गए थे। हमने अब तक करीब 85 ऐसे पत्थर पाए हैं। उनमें से तीन सुमित्रा भवन, सीता रसोई और राम जन्मभूमि के रूप में चिह्नित हैं। राम जन्मभूमि का पत्थर 100 मीटर से कम गर्भगृह के सबसे करीब है, और हमने इसे नहीं छुआ है। इसे हटाने से गर्भगृह का संपूर्ण रूप और अर्थ बदल जाएगा।”
5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राम मंदिर आंदोलन के नेताओं और संतों के बीच राम मंदिर भूमि पूजन हुआ। नवंबर 2019 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या में विवादित भूमि पर दशकों से चली आ रही लड़ाई को समाप्त करते हुए राम मंदिर निर्माण की अनुमति दे दी। मंदिर निर्माण के प्रबंधन के लिए फरवरी 2020 में भारत सरकार द्वारा एक ट्रस्ट का गठन किया गया था।