भगवान राम के स्वरुप को लेकर किसे जिज्ञासा नहीं होगी? हर कोई उस स्वरुप का निहारना चाहता होगा। भगवान राम के दिव्य स्वरुप पर मीडिया समूह आजतक के ‘साहित्य आजतक’ कार्यक्रम में शनिवार (25 नवंबर, 2023) के एक सेशन में वेद-वेदांत, शास्त्र मर्मज्ञ, राम मंदिर आंदोलन के पुरोधा जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने जनता के सामने अपने भाव प्रकट किए।
इस कार्यक्रम में जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने राम मंदिर से चर्चा शुरू करते हुए कहा कि जनवरी में राम मंदिर का उद्घाटन होना है। इसे उन्होंने जीवन का सबसे महत्तम क्षण बताया। उन्होंने कहा कि उसी समय वे 75 साल के हो जाएँगे। उन्होंने राम मंदिर आंदोलन को मंच से याद करते हुए कहा, “1984 से अब तक राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़ा रहा और पुलिस के डंडे खाए। गवाही भी दी और हमको हमारी रामजन्म भूमि मिल गई।”
उन्होंने अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा कि रामजन्म भूमि के इस आंदोलन के समय जब सभी पीछे हट गए थो तो उन्होंने कहा था, “मैंने भगवान राम का नमक खाया है मैं गवाही दूँगा।” लोगों ने कहा कि आपके पास आँखे नहीं हैं तो गवाही कैसे देंगे? ऐसे में उन्होंने कहा, “शास्त्र ही सबके नेत्र हैं जिसके पास शास्त्र नहीं वो अंधा है।”
इसलिए वह खुद को और उनके आस-पास के लोग कभी उन्हें अंधा नहीं मानते। हर कक्षा में 99 प्रतिशत अंक लाने वाले रामानंदाचार्य बिना आँखों के भी सब देख लेते हैं। क्योंकि शास्त्र को वह अपनी आँखें मानते हैं और वह तो उनकी जिह्वा से बहती है। जगद्गुरु रामानंदाचार्य ने इसी मंच से एक और घटना को याद करते हुए बताया कि एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने उनसे कहा था, “मैं आपकी आँखे ठीक करा सकती हूँ” तो उन्होंने बताया कि मैंने जवाब में कहा था, “मैं इस संसार को नहीं देखना चाहता हूँ।”
जो भीतर उतर गया हो, जिसने मन की आँखों से संसार को देखना सीख लिया हो वह अंतर्दृष्टि की ही बात करता है ऐसा उनके वक्तव्य से भी स्पष्ट होता है।
जब उनसे पूछा गया- भगवान राम कैसे दिखते हैं?
‘साहित्य आजतक’ के इस कार्यक्रम में जब उनसे पूछा गया कि साधारण लोगों ने तो केवल तस्वीरें और मूर्तियाँ देखी हैं। आप बताएँ कि भगवान राम कैसे दिखते हैं? इसपर जगदगुरू स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा, “मैंने भगवान राम को बहुत निकट से देखा है। मैं उन्हें रमणीकता से देखता हूँ, दिव्य कपोल, मंद मुस्कान, नीले शरीर पर पितांबर, मानो तिसी के फूल पर किसी ने सरसों का पराग लेप दिया हो।”
इसी मंच से उस घटना का भी उन्होंने जिक्र किया जब भगवान राम के बालस्वरूप ने उनका पथ-प्रदर्शन किया। उन्होंने उस घटना पर बात करते हुए कहा, “मैंने तो भगवान राम को देखा है। एक घटना बताता हूँ, कोई असत्य न समझे, मैं झूठ नहीं बोलता। उत्तर प्रदेश के उन्नाव में मेरी कथा थी तब टेंट में रहना पड़ता था। सुबह के समय सभी साथी काम में व्यस्त थे। तभी मैं लघुशंका को जाते हुए रास्ता भूल गया। वहाँ मैंने देखा कि 3 साल का बच्चा मुझे हाथ पकड़कर बाथरूम में ले गया और क्रिया संपन्न होने के बाद मुझे वापस लेकर आया। मैंने उसे पकड़ना चाहा तो वह पकड़ में नहीं आया। आज भी मैं उस राजाधिराज राम के चरणों में झुकना और उन्हें दुलारना चाहता हूँ।”