पत्रकार राणा अयूब ने संभावित अनियमितताओं के सामने आने के बाद अपना Covid-19 के लिए फंड इकट्ठा करने का कैम्पेन समाप्त कर दिया। इस कैम्पेन के बारे में यह आशंका जताई जा रही थी कि इस कैम्पेन में राणा देश के FCRA कानूनों का उल्लंघन कर रही थीं।
केटो (ketto) पर बनाए गए फंड कैम्पेन में राणा आयूब ने लिखा कि विदेशी दान के लिए FCRA कानून के तहत योग्य भारतीय एनजीओ के साथ टाई-अप किया गया। राणा ने बताया कि इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों को चिकित्सकीय उपकरण की आपूर्ति का लक्ष्य रखा गया। राणा ने कहा कि इसके बाद उनके खिलाफ कई प्रोपेगेंडा वेबसाइट द्वारा कैम्पेन चलाए गए।
राणा आयूब ने कहा कि एक पत्रकार होने के नाते उनका कर्त्तव्य है कि उनको फॉलो करने वालों में उनके प्रति विश्वास बना रहे और उन्होंने हमेशा यह सुनिश्चित किया है कि भारत के टैक्स और अन्य कानूनों का पूरा पालन किया जाए।
अपने फंड इकट्ठा करने वाले कैम्पेन को समाप्त करते हुए राणा आयूब ने लिखा कि वह दानदाताओं और अपने लिए किसी प्रकार की कोई असुविधा नहीं चाहती हैं इसलिए उन्होंने दान में जो भी मिला है उसे विदेशी दानदाताओं को वापस करने का निर्णय लिया गया है। हालाँकि राणा ने इसे राहत कार्यों को एक बड़ा झटका बताया है और कहा है कि ऐसे कठिन समय में ऐसा निर्णय लेना दुर्भाग्यपूर्ण है।
28 मई 2021 को समाप्त हुए इस फंड कैम्पेन के बारे में @parixit111 नाम के एक ट्विटर यूजर ने प्रश्न उठाया था और कैम्पेन के बारे में संभावित गड़बड़ी की आशंका जताई थी। यूजर ने ketto की दान रिसीप्ट पोस्ट की जिसमें स्पष्ट तौर पर लिखा हुआ था कि यह दान एक व्यक्ति के खाते में जाएगा और दान टैक्स में छूट के लिए भी मान्य नहीं होगा। इसका मतलब था कि यह दान किसी ट्रस्ट या संगठन के लिए नहीं था। अयूब ने यह स्वीकार किया कि वह अपने निजी खाते में दान ले रही थीं।
हाल ही में गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी भी संदेह के दायरे में आए थे जब उन्होंने एक एनजीओ के लिए दान देने की अपील की थी। FCRA के तहत यह कहा गया है कि विदेशी दान लेने के लिए या तो एक संगठन के रूप में रजिस्टर होकर FCRA सर्टिफिकेट लेना होगा या फिर संबंधित प्राधिकरण से अनुमति प्राप्त करनी होगी। बाद में हाल के संशोधनों में यह कहा गया कि FCRA के तहत रजिस्टर्ड संगठन या ट्रस्ट किसी गैर- FCRA संगठन या ट्रस्ट के लिए दान एकत्र नहीं कर सकता है। हालाँकि हमने इस मामले में ketto से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन हमें कोई जवाब नहीं मिला है।
पहले भी कई फंड कैम्पेन रहे संदेह के दायरे में :
राणा आयूब का यह पहला कैम्पेन नहीं है जो संदेह के दायरे में आया है। राणा ने 2 फंड कैम्पेन पहले भी चलाए थे। एक कैम्पेन महाराष्ट्र, बिहार और असम में राहत कार्यों के लिए चलाया गया था। इस कैम्पेन में 68 लाख रुपए इकट्ठा भी हुए थे। हालाँकि ketto ने बिना किसी उचित कारण के यह कैम्पेन समाप्त कर दिया था।
एक दूसरा फंड कैम्पेन 25 सितंबर 2020 को समाप्त हुआ था। इस फंड कैम्पेन में विदेशों से भी दान मिला था। इस कैम्पेन में सबसे बड़ी राशि 2000 पाउंड (लगभग 2,05,453 रुपए) थी, साथ ही 1500 डॉलर (लगभग 1,08,590 रुपए) तक का दान भी मिला था। ऐसी संभावना भी है कि वर्तमान में Covid-19 राहत कार्यों के लिए चलाए गए कैम्पेन की तरह ही पहले के कैम्पेन भी अनियमितता से भरे रहे होंगे। हालाँकि राणा अयूब की तरफ से कोई स्पष्टीकरण नहीं मिला है बजाय दूसरों पर आरोपों के।