झारखंड की राजधानी राँची में मुहर्रम के चंदे के नाम पर दुकानदारों के साथ मारपीट का मामला सामने आया है। राज्य में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी इस घटना का वीडियो शेयर करते हुए कार्रवाई की माँग की है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राँची में मुहर्रम की चंदा वसूली के नाम पर गुंडों द्वारा दुकानदारों के साथ मारपीट और बदसलूकी की जा रही है। उन्होंने आशंका जताई कि ऐसी घटनाओं से पूरे शहर का शांति-सौहार्द बिगड़ सकता है।
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राँची मेन रोड अति संवेदनशील क्षेत्र है, पूर्व में भी ऐसे असामाजिक तत्वों द्वारा शहर को दंगों की आग में झोंकने का प्रयास किया जा चुका है। उन्होंने माँग की कि उक्त घटना में संलिप्त आरोपितों को गिरफ्तार कर मुहर्रम के चंदा वसूली में हो रही इस गुंडागर्दी को तुरंत बंद कराया जाए, साथ ही मेन रोड के सभी दुकानदारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। बता दें कि राँची के इस इलाके में कई मॉल और दुकानें स्थित हैं, सबसे ज़्यादा चहल-पहल भी यहीं रहती है।
CCTV वीडियो में कुछ लोगों को मारपीट करते हुए देखा जा सकता है। राँची पुलिस ने जानकारी दी है कि घटना का संज्ञान लेते हुए त्वरित प्राथमिकी दर्ज कर कांड में संलिप्त दोनों अभियुक्तों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। बता दें कि अभी मुस्लिमों का पाक कहा जाने वाला मुहर्रम का महीना चल रहा है। इसे इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना माना जाता है। 7 जुलाई, 2024 को भारत में मुहर्रम शुरू हुआ, जो इसके एक महीने बाद ख़त्म होता है।
रांची में मुहर्रम की चंदा वसूली के नाम पर गुंडों द्वारा दुकानदारों के साथ मारपीट और बदसलूकी की जा रही है। ऐसी घटनाओं से पूरे शहर का शांति-सौहार्द बिगड़ सकता है।
— Babulal Marandi (@yourBabulal) July 15, 2024
रांची का मेन रोड अति संवेदनशील क्षेत्र है। पूर्व में भी ऐसे असामाजिक तत्वों द्वारा शहर को दंगों की आग में झोंकने का… pic.twitter.com/N8Rg2TOzOQ
इससे पहले बाबूलाल मरांडी ने झारखंड में घुसपैठ के कारण शिक्षा के इस्लामीकरण का मुद्दा उठाया था। उदाहरण के लिए उन्होंने 4 साल पुरानी एक खबर भी साझा की थी। तब घाटशिला के एक स्कूल में बच्चों को बांग्लादेश और पाकिस्तान का राष्ट्रगान याद करने का होमवर्क दिया गया था। बाबूलाल मरांडी ने कहा था कि अपने संरक्षण में बांग्लादेशी घुसपैठियों के फ़र्जी कागजात तैयार कर उन्हें झारखंड में बसाने वाली झामुमो-कॉन्ग्रेस गठबंधन सरकार से ऐसे संवेदनशील विषयों में कार्रवाई की उम्मीद नहीं की जा सकती, इसीलिए NIA को इस मामले को देखना चाहिए।