मणिपुर के जिरीबाम में कुकी अपराधियों ने तीन महिलाओं एवं तीन बच्चों की निर्मम तरीके से हत्या करके लाश फेंक दी थी। इसके बाद राज्य में नए सिरे से हिंसा भड़क उठी थी। जिरीबाम हिंसा के शिकार लोगों के परिजन शनिवार (7 सितंबर 2024) को दिल्ली पहुँचे और केंद्र सरकार से न्याय की गुहार लगाई। पीड़ित परिजनों ने कहा कि हत्या को अंजाम देने वालों को ‘कुकी शहीद’ कहा जा रहा है।
बता दें कि 11 नवंबर 2024 को कुकी समुदाय के अपराधियों ने 6 मैतेई लोगों का अपहरण कर लिया था। इनमें तीन महिलाएँ, दो नाबालिग और एक 10 महीने का बच्चा शामिल था। इन्हें अगवा करने के बाद इन्हें बुरी तरीके से प्रताड़ित किया गया। इसके बाद उनकी बर्बर तरीके से हत्या कर दी गई। कहा जा रहा है कि इनमें कुछ लोगों को जलाकर मार दिया गया था।
मृतकों के परिजनों ने बताया कि इस हत्याकांड में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मृतक मैतेई लोगों के परिजनों ने कहा, “मेरी पत्नी और बच्चों सहित परिवार के 6 सदस्यों के शवों को देखने पर यातना और यौन उत्पीड़न के निशान मिले। मुझे संदेह है कि मारने से पहले रेप किया गया था और फिर बराक नदी में शव को फेंक दिया गया था।”
‼️Family of the butchered Jiribam Victim travels to #Delhi and appeals for justice as the killers have been hailed as ‘#KukiMartyrs’ ‼️
— TheBlueHills (@TheBlueHills49) December 7, 2024
Please hear their heart wrenching story and help bring justice .
“While seeing the deceased bodies of my 6 family members including my
wife… pic.twitter.com/UwekaBImWn
मृतक टेलीम थोइबी देवी के 38 वर्षीय पति और थजमनबी (8 वर्ष) के पिता टेलीम उत्तम सिंह ने कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे पूरे परिवार के सदस्यों को सीआरपीएफ के सामने अपहरण कर लिया जाएगा और उन्हें मार दिया जाएगा। इसलिए, मैं अधिकारियों से अपील करता हूँ कि वे जाँच करें और उन हमलावरों को कड़ी सजा दें।”
घटना को याद करते हुए टेलीम ने कहा, “जब मैं घर में था तो मेरी माँ ने मुझे बताया कि कुकी उग्रवादियों ने घर को घेर लिया है। माँ ने मुझसे कहा कि अगर संभव हो तो भागकर छिप जाऊँ, ताकि मेरी जान बच जाए। जब मैं बाहर गया तो देखा कि कुकी उग्रवादी मेरी माँ और बहनों को घसीटकर गाड़ियों में डाल रहे थे। 30 से ज़्यादा कुकी उग्रवादियों ने हमारे गाँव को घेर लिया था।”
उन्होंने बताया कि इस दौरान कुकी उग्रवादियों ने मैतेई समुदाय के लोगों के घरों पर गोलीबारी शुरू कर दी। पीड़ित परिवार ने बताया कि घटना वाली जगह से सीआरपीएफ़ की चौकी ज़्यादा दूर नहीं थी, फिर भी सीआरपीएफ़ की टीम अगवा की गईं महिलाओं को कुकी उग्रवादियों से नहीं बचा पाई और वे उनका अपहरण करके अपने साथ ले गए।
पीड़ितों की बेटी और बहन संध्या ने बताया, “जब मेरी माँ और बहनों की लाशें मिलीं तो वे अर्धनग्न थीं। मेरी बहन के सिर का ऊपरी हिस्सा फटा हुआ था और उनके शरीर पर कई चोट के निशान थे। मुझे संदेह है कि कुकी उग्रवादियों ने उनके साथ बलात्कार किया और फिर उन्हें मार डाला।”
वहीं, 12 वर्षीय नोंगयाई ने बताया कि उन्हें हमले के बारे में कुछ भी पता नहीं था क्योंकि वे झाड़ियों में छिपे हुए थे। उन्हें इस बारे में बहुत बाद में पता चला, जब सीआरपीएफ के लोगों ने आकर उन्हें बचाया। उन्होंने बताया कि उन्हें तब पता चला कि उनकी माँ, बहन, दादी, चाची और उनके बच्चों का अपहरण कर लिया गया है।
मणिपुर सरकार ने कैबिनेट प्रस्ताव में जिरीबाम नरसंहार के अपराधियों को ‘कुकी उग्रवादी’ कहा है। मारे गए मैतेई लोगों के परिवार के सदस्यों ने संवाददाताओं से कहा कि वे चाहते हैं कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि जिरीबाम नरसंहार में शामिल सभी कुकी उग्रवादियों को मृत्युदंड दिया जाए।