Monday, November 18, 2024
Homeदेश-समाज26 कब्रों के ऊपर रेस्टोरेंट, मालिक हैं कृष्णन कुट्टी... ताजे फूल चढ़े कब्रों के...

26 कब्रों के ऊपर रेस्टोरेंट, मालिक हैं कृष्णन कुट्टी… ताजे फूल चढ़े कब्रों के बीच बैठ लोग खाते-पीते हैं

“सिर्फ एक ही खुदा है, और वह है अल्लाह और मोहम्मद उनके पैगंबर हैं।“ - अहमदाबाद में कब्रिस्तान के ऊपर बने इस रेस्टोरेंट में एक पेंटिंग में यह लिखा है। इस पेंटिंग को एमएफ हुसैन ने बनाया था।

लोग कब्रिस्तान में लाशों को दफनाने या अपने करीबियों को श्रृद्धांजलि देने जाते हैं लेकिन अगर आप अहमदाबाद में हैं तो आप कब्रिस्तान में बने रेस्टोरेंट में लंच या डिनर करने भी जा सकते हैं।

पुराने अहमदाबाद के खमाशा इलाके में एक रेस्टोरेंट है जो कब्रिस्तान पर बना हुआ है, नाम है ‘द न्यू लकी रेस्टोरेंट’। यह अपनी तरह की एक अनूठी जगह है जहाँ कब्रों के बीच बैठकर लंच या डिनर किया जाता है। यह रेस्टोरेंट उस स्थान पर बना, जहाँ कभी कब्रिस्तान हुआ करता था। रेस्टोरेंट के मालिक कृष्णन कुट्टी ने रेस्टोरेंट के निर्माण के समय कब्रिस्तान को यथावत बने रहने देने का निर्णय किया। इसके लिए उन्होंने कब्रों के बीच बचे स्थान में ही बैठने का बंदोबस्त कर दिया।

रेस्टोरेंट में हैं 26 कब्र, कुछ सैकड़ों साल पुरानी :

वैसे तो कब्रिस्तान के पास से गुजरने में भी हालत खराब हो जाए लेकिन द न्यू लकी रेस्टोरेंट में लोग मजे से बैठकर खाना कहते हैं और चाय पर चर्चा करते हैं। इस जगह पर कुल 26 कब्र हैं। यहाँ आने वाले ग्राहक भी इन कब्रों के बीच बैठकर नाश्ता करने या खाना खाने में किसी प्रकार का कोई संकोच नहीं करते हैं। 

द न्यू लकी रेस्टोरेंट में कब्रों के बीच बैठे ग्राहक (फोटो : पत्रिका)

भारत की स्वतंत्रता के बाद इस प्राचीन कब्रिस्तान को केएच मोहम्मद और कृष्णन कुट्टी नायर ने खरीदा। उन्होंने यहाँ एक नीम के पेड़ के नीचे एक चाय का स्टॉल शुरू किया। चाय के अलावा वो एक क्रीम बन भी बेचा करते थे, जिसे ‘मस्का बन’ के नाम से जाना जाता था।

जल्दी ही उनकी मसाला चाय पूरे इलाके में चर्चित हो गई। बढ़ते ग्राहकों की सुविधा के अनुसार उन्होंने पेड़ के चारों ओर एक निर्माण कराया और रेस्टोरेंट शुरू किया। कृष्णन कुट्टी की मसाला चाय और मस्का बन की जोड़ी दूर-दूर से ग्राहकों को खींच कर लाने लगी। तब उन्होंने इसके अलावा और भी स्वादिष्ट व्यंजनों को अपने मेनू में जोड़ लिया।

पहले तो अहमदाबाद के लोग कब्रिस्तान में खाना खाने या चाय पीने से डरते थे लेकिन जब उन्हें यह पता चल कि यहाँ स्थित कब्रें 19 वीं सदी के लोगों की हैं, तब उनके मन से डर निकलता गया। आज भी प्रत्येक सुबह कब्रों को साफ किया जाता है और उन पर ताजे फूल चढ़ाए जाते हैं।

पेंटर एमएफ हुसैन थे रेगुलर कस्टमर

द न्यू लकी रेस्टोरेंट प्रत्येक आयु वर्ग के लोगों में बराबर प्रसिद्ध है। दूर-दूर से अहमदाबाद आने वाले लोग भी इस रेस्टोरेंट में आते हैं और कब्रों के बीच बैठकर खाना खाने का अनुभव लेते हैं। यह जगह चित्रकार एमएफ हुसैन की कुछ पसंदीदा जगहों में से थी। हुसैन जब भी अहमदाबाद रुकते, इस रेस्टोरेंट में जरूर आते थे।

अहमदाबाद के द न्यू लकी रेस्टोरेंट की दीवार पर टँगी एमएफ हुसैन की पेंटिंग

एमएफ हुसैन रेस्टोरेंट के एक अन्य मालिक केएच मोहम्मद के दोस्त थे। नब्बे के दशक में उन्होंने लगातार इस रेस्टोरेंट में आना शुरू कर दिया था। 1994 में मसाला चाय और मस्का बन का स्वाद लेते हुए उन्होंने एक पेंटिंग बनाई थी, जो आज भी रेस्टोरेंट की दीवार पर टँगी हुई है। पेंटिंग में दो ऊँट, एक दुर्ग अथवा किले के जैसा कोई निर्माण और रेगिस्तान दिखाई देता है। पेंटिंग में लिखा हुआ है, “सिर्फ एक ही खुदा है, और वह है अल्लाह और मोहम्मद उनके पैगंबर हैं।“

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

महाराष्ट्र में महायुति सरकार लाने की होड़, मुख्यमंत्री बनने की रेस नहीं: एकनाथ शिंदे, बाला साहेब को ‘हिंदू हृदय सम्राट’ कहने का राहुल गाँधी...

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने साफ कहा, "हमारी कोई लड़ाई, कोई रेस नहीं है। ये रेस एमवीए में है। हमारे यहाँ पूरी टीम काम कर रही महायुति की सरकार लाने के लिए।"

महाराष्ट्र में चुनाव देख PM मोदी की चुनौती से डरा ‘बच्चा’, पुण्यतिथि पर बाला साहेब ठाकरे को किया याद; लेकिन तारीफ के दो शब्द...

पीएम की चुनौती के बाद ही राहुल गाँधी का बाला साहेब को श्रद्धांजलि देने का ट्वीट आया। हालाँकि देखने वाली बात ये है इतनी बड़ी शख्सियत के लिए राहुल गाँधी अपने ट्वीट में कहीं भी दो लाइन प्रशंसा की नहीं लिख पाए।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -