कबीरदास का एक प्रसिद्ध दोहा है ‘परमारथ के कारने, साधुन धरा शरीर’। इसका अर्थ ये है कि सज्जन लोग इस संसार में दूसरों के काम आने के लिए ही आते हैं। इस दोहे को पूरी तरह से चरितार्थ भारतीय सेना के एक पूर्व जवान ने किया है, जिनका नाम अर्जुन सिंह संगोत्रा है। अपना पूरा जीवन राष्ट्र की सेवा में समर्पित करने वाले इस जवान ने देहांत के बाद भी भारतीय सेना के 3 सैनिकों को जीवन दे गए।
अब अर्जुन सिंह संगोत्रा के अंगों से गंभीर रूप से बीमार 3 सैनिक स्वस्थ होकर इस देश की सेवा करेंगे। हम अर्जुन सिंह संगोत्रा नाम के जिस जवान की बात कर रहे हैं, वो मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के पालमपुर क्षेत्र के निवासी थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अर्जुन सिंह ने सेना में बतौर सूबेदार रिटायरमेंट लिया था।
लगभग 70 वर्षीय अर्जुन सिंह ने 30 वर्षों तक भारतीय सेना की जम्मू-कश्मीर रायफल्स बटालियन में रह कर देश की रक्षा और सेवा की थी। मंगलवार (14 मई 2024) को उनका ब्रेन हेमरेज हुआ। इस आघात की वजह से अर्जुन सिंह कोमा में चले गए। भरसक इलाज के बाद भी डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया।
अर्जुन सिंह के देहांत के बाद उनके परिजनों ने उनका अंगदान करने का फैसला किया। परिजनों ने उनका लीवर, किडनी और कॉर्निया (आँख का हिस्सा) दान करने की इच्छा जताई। सहमति बन जाने पर हरियाणा के चंडीमंदिर क्षेत्र में मौजूद भारतीय सेना के पश्चिमी कमांड के अस्पताल में विशेषज्ञों की एक टीम पहुँची।
इस टीम के डॉक्टरों ने बेहद सधे ढंग से अर्जुन सिंह द्वारा दान किए गए अंगों को निकाला। इन अंगों को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर महज एक घंटे के अंदर दिल्ली स्थित सैन्य छावनी पहुँचाया गया। दिल्ली कैंट इलाके में सेना के अस्पताल (अनुसंधान और रेफरल) में इसे रिसीव किया गया। यहाँ पर गंभीर रूप से बीमार तीन सैनिक अपना इलाज करवा रहे थे।
इन सैनिकों को अर्जुन सिंह द्वारा दान किए गए अंगो को ट्रांसप्लांट किया गया। यह मेडिकल प्रकिया विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में पूरी रात चली और आखिरकार यह प्रक्रिया सफल रही। अंगदान जैसा सराहनीय कार्य करने के लिए वेस्टर्न कमांड अस्पताल के सैन्य अधिकारियों ने दिवंगत सूबेदार अर्जुन सिंह संगोत्रा के परिजनों को सम्मानित किया।