देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि देश में मध्यस्थता (Arbitration) पर पूरी तरह से रिटायर्ड जजों का कब्जा है। इस क्षेत्र में अन्य प्रतिभाशाली लोगों को आगे आने का मौक़ा नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा है कि यह एक ‘ओल्ड बॉयज क्लब’ की तरह है।
उपराष्ट्रपति ने ये बातें इंटरनेशनल चेंबर ऑफ़ कॉमर्स के एक कार्यक्रम में कही, जो कि मध्यस्थता पर आयोजित किया गया था। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में ऐसा कहीं भी नहीं होता है, सिवाय भारत के। उन्होंने इस दौरान भारत के मुख्य न्यायधीश डीवाई चन्द्रचूड़ की तारीफ भी की।
उपराष्ट्रपति धनखड़ व्यापारिक विवाद को मध्यस्थता के जरिए सुलझाने पर बात कर रहे थे। गौरतलब है कि देश में आपसी विवादों को मध्यस्थता के जरिए सुलझाने के लिए हाल ही में एक कानून भी संसद में लाया गया था। उपराष्ट्रपति का कहना था कि देश की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है, ऐसे में विवाद बढ़ेंगे जिसका आसानी से सुलझना आवश्यक है।
उन्होंने इस कार्यक्रम के दौरान कहा, “इस पूरी पृथ्वी पर, कहीं किसी देश में, किसी भी व्यवस्था में मध्यस्थता के सिस्टम पर रिटायर्ड जजों ने इस तरह से मुट्ठी बाँध कर कब्जा नहीं किया हुआ है। हमारे देश में यह काफी बड़े स्तर पर हो रहा है।”
The Vice-President of India, while inaugurating the 6th ICC India Arbitration Day today, echoed the sentiments of Hon'ble Chief Justice, Dr. DY Chandrachud who had reflected on the lack of diversity in appointing arbitrators, noting that retired judges dominate the field while… pic.twitter.com/FaGXgrHOJv
— Vice President of India (@VPIndia) December 2, 2023
कार्यक्रम में देश के मुख्य न्यायधीश डीवाई चन्द्रचूड़ की तारीफ़ करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “मैं उनके इस स्पष्ट कथन के लिए उन्हें सलाम करता हूँ।” गौरतलब है कि फरवरी 2023 में मुख्य न्यायधीश चन्द्रचूड़ ने भी इस पर चिंता जताई थी। उनका कहना था कि मध्यस्थता के मामलों में रिटायर्ड जजों का कब्जा है।
उन्होंने कहा था, “अगर भारत की विधिक व्यवस्था को ‘ओल्ड बॉयज़ क्लब’ के टैग से बाहर निकलना है तो उन्हें इस व्यवस्था में विविधता लानी होगी। इस सिस्टम में जजों के अलावा भी अन्य क्षेत्रों के महिलाओं और पुरुषों को शामिल करना होगा।”
उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब कोई मामला कोर्ट में अधिक दिन फँसता है तो वकीलों का फायदा होता है, लेकिन यह फायदा देश के फायदे की कीमत पर नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, “हमें एक ऐसा सिस्टम चाहिए, जो मजबूत और किफायती हो।”
गौरतलब है कि वर्ष 2016 में आई एक रिपोर्ट से पता चला था कि देश के सुप्रीम कोर्ट से रिटायर अंतिम 100 जजों में से 70 जजों ने कोई ना कोई पद दोबारा लिया है। इनमें देश के विभिन्न ट्रिब्यूनल, कमिटी से लेकर लोकायुक्त और राज्यपाल जैसे पद शामिल हैं।