राज्यसभा में उप-राष्ट्रपति नीति-निर्माण की प्रक्रिया को संचालित करते हैं, ऐसे में उन्हें संवैधानिक मसलों पर बोलने का हक़ कैसे नहीं? TOI और The Wire को समझना चाहिए कि कई पूर्व जजों ने न्यायपालिका में पारदर्शिता की बात की है।
कश्मीर से हिन्दुओं को भगा दिया गया, तो क्या उनकी संपत्तियाँ 'वक़्फ़ बाय यूजर' हो गईं? कल को मुर्शिदाबाद में भी यही होगा। सुप्रीम कोर्ट हिन्दुओं के मामले में क्यों माँगता है काग़ज़?