इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार संदीप घोष को लेकर मेडिकल कॉलेज के पूर्व डिप्टी सुप्रीटेंडेंट अख्तर अली ने दावा किया कि संदीप घोष तो अस्पताल से बायोमेडिकल वेस्ट और मेडिकल सप्लाई की तस्करी बांग्लादेश में भी करते थे। अख्तर अली का दावा है कि साल 2023 में उन्होंने इस बात की चिंता राज्य सतर्कता आयोग के समक्ष उठाई थी। जाँच में वह दोषी भी पाए गए लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
बीवी को बेरहमी से पीटा, पड़ोसी आज तक नहीं भूले
इंडिया टुडे की एक अन्य मीडिया रिपोर्ट बताती है कि आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल अपनी पत्नी को बेरहमी से मारने के कारण भी बदनाम हो चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार संदीप घोष पहले बारासाट में रहते थे। वहीं के पड़ोसी ने इंडिया टुडे को बताया कि कैसे 12 साल पहले जब संदीप ने अपनी पत्नी को उस समय बुरी तरह पीटा था जब उसकी सिजेरियन हुए 14 दिन ही हुए थे।
रिपोर्ट में खुद को संदीप का पूर्व पड़ोसी बताने वाला शख्स कहता है, “एक बार मेरे और घोष के बीच बहस हुई थी। उनका व्यवहार हमेशा खराब रहता था। बाद में मुझे पता चला कि वह एक डॉक्टर थे। यहाँ रहने के दौरान एक घटना हुई जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी को इतनी बुरी तरह पीटा कि उनके सिजेरियन टांके फट गए और उन्हें खून बहने लगा। शुरुआत में स्थानीय लोगों ने हस्तक्षेप नहीं किया क्योंकि इसे पारिवारिक मामला माना गया, लेकिन जब मामला बहुत गंभीर हो गया तो सभी ने विरोध करना शुरू कर दिया।”
इसी तरह एक अन्य पड़ोसी ने भी बताया, “घोष यहाँ बहुत कम समय के लिए रहा और फिर उसने अपना घर बेच दिया। इसी घर में उसने अपनी पत्नी को पीटा था। जब यह घटना हुई तो पूरा इलाका बाहर इकट्ठा हो गया। मुझे ठीक से याद नहीं है कि यह उसकी गर्भावस्था के दौरान हुआ था या बच्चे के जन्म के तुरंत बाद, लेकिन यह एक चौंकाने वाली घटना थी।”
गौरतलब है कि आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के रेप और हत्या के मामले में घोष को 12 अगस्त को रिजाइन देना पड़ा था। बाद में सीबीआई ने उनसे पूछताछ शुरू की और संदीप से जुड़े विवाद सामने आते रहे। बांग्लादेश में तस्करी, बीवी से मारपीट के अलावा संदीप घोष पर जून 2023 में भ्रष्टाचार का आरोप लगा था। उस समय उन्हें वित्तीय गड़बड़ी के आरोप में मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज ट्रांसफर किया गया था। हालाँकि बाद में दोबारा उनका आरजी कर अस्पताल में कार्यभार मिल गया।
अस्पताल में हुई रहस्यमयी मौतें, देह व्यापार का भी दावा
बता दें कि जिस तरह आरजी कर अस्पताल के प्रिंसिपल का नाम पहली बार विवादों से नहीं जुड़ा, उसी तरह इस अस्पताल का नाम भी विवादों में पहली बार नहीं आया है। कहा जा रहा है कि इस अस्पताल मेंपहले भी रहस्यमयी मौते हुई हैं। कभी यहाँ मेडिकल प्रोफेशनल मारे गए तो कभी प्रोफेसर और कभी हाउस स्टाफ।
- 25 अगस्त, 2001 को ऐसी एक घटना हुई थी जब चौथे वर्ष के छात्र सौमित्र विश्वास को छात्रावास के कमरे में ही फंदे से मृत लटका हुआ पाया गया था। उनकी मौत को भी प्रशासन ने आत्महत्या बताया था, लेकिन तब भी हॉस्टल में अश्लील फिल्मों के निर्माण की बात उड़ी थी। अरोमिता दास और अमित बाला नामक उसके 2 सहपाठियों की गिरफ़्तारी के बावजूद ये मामला अनसुलझा रहा, जबकि कलकत्ता हाईकोर्ट ने CID जाँच का आदेश दिया था
- 5 फरवरी, 2003 को अरिजीत दत्ता नामक हाउस स्टाफ ने आत्महत्या की थी। बताया गया कि उसने पहले खुद को हाथ में एनेस्थीसिया का इंजेक्शन दिया, फिर कलाई की नस काट ली और फिर छत से कूद गया। वो बीरभूम के सिउरी के रहने वाले थे। न कोई सुसाइड नोट मिला, न आत्महत्या का कारण पता चला।
- घटना के कुछ ही दिन बाद 16 फरवरी को प्रवीण गुप्ता ने आत्महत्या का प्रयास किया। हरियाणा के प्रवीण मानिकतल्ला स्थित लालमोहन हॉस्टल में रहते थे, उन्होंने अपनी दोनों कलाई की नस काटने का प्रयास किया था। प्रवीण के पिता ने बेटे के किसी बात से परेशान होने की बात कही थी, वहीं पुलिस ने प्रेम-प्रसंग बता कर कहा कि उसने अपनी प्रेमिका को सुसाइड नोट भेजा था। हालाँकि, उसके साथियों ने उसे कभी अवसादग्रस्त नहीं पाया।
- 24 अक्टूबर, 2016 को 52 वर्षीय मेडिसिन के प्रोफेसर गौतम पाल का सड़ा-गला शव दक्षिणी दमदम स्थित उनके किराए के घर से बरामद हुआ था। दरवाजा अंदर से बंद था तो हार्ट अटैक से अचानक मौत की बात कह पुलिस ने पल्ला झाड़ लिया।
- कोरोना महामारी के दौरान स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष की छात्रा पौलमी साहा की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई थी। पुलिस ने अस्पताल की छठी मंजिल से कूद कर आत्महत्या की बात कही, सहपाठियों ने उसके अवसाद में होने की बात कही थी। आज तक ये भी रहस्य है।
इन रहस्यमयी मौतों के अलावा इस अस्पताल में देह-व्यापार का धंधा चलने से लेकर यहाँ ड्रग्स तस्करों तक के सक्रिय रहने की बातें होती रही हैं… अब इन बातों की सच्चाई क्या है जाहिर सी बात है ये जाँच के बाद ही सामने आ पाएगा, लेकिन सवाल तो उठता है कि अगर एक राज्य में किसी अस्पताल से जुड़ी इतनी गड़बड़ घोटालों को लेकर खुलासे हो रहे हैं तो फिर जाँच क्यों नहीं हुई। क्यों संदीप घोष को मुर्शिदाबाद से दोबारा आरजीकर अस्पताल में अपनी नौकरी वापस मिल गई, क्यों बार-बार ट्रांसफर होते-होते रह गया।