पश्चिम बंगाल के कोलकाता में जूनियर डॉक्टर्स की ओर से शुरू किए गए आमरण अनशन ने एक बार फिर से राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं और डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 9 अगस्त को एक महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और उसकी हत्या के खिलाफ जूनियर डॉक्टर्स न्याय की माँग कर रहे हैं। यह मामला अब राज्य सरकार के लिए सिरदर्द बन चुका है, क्योंकि डॉक्टर्स का गुस्सा शाँत होने का नाम नहीं ले रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जूनियर डॉक्टर्स का आरोप है कि राज्य सरकार उनकी माँगों को लगातार नजरअंदाज कर रही है। डॉक्टरों ने 21 सितंबर को 42 दिनों के लंबे विरोध प्रदर्शन को समाप्त किया था, जब सरकार ने उनकी माँगों पर बातचीत करने का वादा किया था। इसके बाद डॉक्टर्स ने अपनी ड्यूटी पर लौटने का निर्णय लिया, लेकिन शनिवार (05 अक्टूबर 2024) शाम को उन्होंने आमरण अनशन शुरू कर दिया।
Kolkata, West Bengal: Junior doctors of the West Bengal Junior Doctors Front sit on a hunger strike regarding RG Kar medical college incident pic.twitter.com/dJSdLmpDKi
— IANS (@ians_india) October 6, 2024
उनकी माँगें हैं—आरजी कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर की बलात्कार और हत्या की घटना पर त्वरित न्याय हो, स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम को हटाया जाए, सभी अस्पतालों में सुरक्षा उपाय मजबूत किए जाएँ, और चिकित्सा संस्थानों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार हो। उनकी सबसे महत्वपूर्ण माँग यह है कि अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में केंद्रीयकृत रेफरल प्रणाली लागू की जाए, ताकि अस्पतालों में बेड और इलाज की सुविधाओं की उपलब्धता पारदर्शी तरीके से सुनिश्चित हो सके।
डेडलाइन खत्म, अनशन शुरू
शुक्रवार (4 अक्टूबर 2024) को धर्मतला स्थित डोरीना क्रॉसिंग पर धरने पर बैठे डॉक्टर्स ने राज्य सरकार को अपनी माँगें पूरी करने के लिए 24 घंटे की डेडलाइन दी थी, लेकिन जब सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो उन्होंने शनिवार (05 अक्टूबर 2024) की शाम को अनशन शुरू कर दिया।
जूनियर डॉक्टर्स की ओर से जारी बयान में कहा गया, “हमने सरकार को 24 घंटे का समय दिया था, लेकिन हमारी माँगें पूरी नहीं की गईं। अब तक छह डॉक्टर्स ने आमरण अनशन शुरू किया है। हम ड्यूटी पर जाएँगे, लेकिन कुछ भी नहीं खाएँगे। अगर किसी डॉक्टर की तबियत बिगड़ती है, तो इसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी।”
अनशन पर बैठीं डॉक्टर सायंतनी घोष हाजरा ने कहा, “जब तक हमारी मानवीय माँगों को पूरा नहीं किया जाता, हम यहाँ से नहीं हटेंगे। ‘अभया’ के साथ जो हुआ, वह किसी के साथ भी हो सकता था। यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि अब और ‘अभया’ न हों। हम भूख हड़ताल पर हैं, लेकिन वहीं दूसरी ओर हम देख रहे हैं कि एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार और हत्या हो गई… 9 अगस्त के बाद भी कई मामले सामने आए हैं, फिर भी सिर्फ हम छह लोग यहाँ अनशन पर बैठे हैं, जबकि बाकी डॉक्टर्स नवरात्रि के दौरान अपनी ड्यूटी पर लौट चुके हैं।”
#WATCH | Esplanade, Kolkata: Dr Sayantani, West Bengal Junior Doctors Front, says, "Till the time our demands of justice on humanitarian grounds is not fulfilled, we will sit here… Before her rape and murder, Abhaya went through multiple threats… Anyone could have been… https://t.co/w5BXdqwjE1 pic.twitter.com/RXSi6AH7qK
— ANI (@ANI) October 6, 2024
जूनियर डॉक्टर्स का यह बयान राज्य सरकार के स्वास्थ्य तंत्र पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। वे अस्पतालों में मौजूदा बुनियादी सुविधाओं की कमी, जैसे सीसीटीवी कैमरों की अनुपस्थिति, ऑन-कॉल रूम की हालत और सुरक्षा की घोर लापरवाही पर भी रोष जता रहे हैं।
डॉक्टरों का यह भी आरोप है कि कोलकाता पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया और उन्हें धरनास्थल पर मंच लगाने की अनुमति नहीं दी। पुलिस का दावा था कि यह इलाका ट्रैफिक के लिए अहम है, जिससे ट्रैफिक में दिक्कत हो सकती है। जिसके बाद डॉक्टरों ने पुलिस पर अपने अधिकारों का हनन करने का भी आरोप लगाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई थी फटकार
आरजी कर अस्पताल में हुई इस घटना के बाद देशभर में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर एक बड़ी बहस शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य सरकार की सुस्त प्रगति पर कड़ी आपत्ति जताई है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर 15 अक्टूबर तक अस्पतालों में सुरक्षा उपायों में सुधार नहीं किया गया तो सरकार को सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, “पश्चिम बंगाल के अस्पतालों में सुरक्षा के उपाय बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रहे हैं। अब तक सिर्फ 22% सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। आखिर क्यों 50% से अधिक काम किसी भी क्षेत्र में पूरा नहीं हुआ है?” सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को अस्पतालों में बुनियादी सुरक्षा सुविधाओं, जैसे सीसीटीवी कैमरे, ड्यूटी रूम और शौचालय, को प्राथमिकता से लागू करने के निर्देश दिए हैं।
इससे पहले, कोलकाता हाईकोर्ट ने इस मामले की जाँच केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी थी। अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार को डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त निर्देश दिए थे। इसके अलावा, एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स गठित करने और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की तैनाती का आदेश भी दिया गया था। कोर्ट ने राज्य सरकार से इस मामले में उठाए गए कदमों पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। अब यह मामला CBI की जांच के दायरे में है, जो डॉक्टर के साथ हुई इस भयावह घटना की पूरी सच्चाई को उजागर करेगी।
डॉक्टरों की लंबी लड़ाई जारी
डॉक्टर्स के संघर्ष का यह सिलसिला तभी शुरू हुआ जब 31 वर्षीय महिला डॉक्टर की बलात्कार और हत्या की खबर ने पूरे देश को हिला दिया था। जूनियर डॉक्टरों ने इसे अपनी सुरक्षा के खिलाफ एक चेतावनी के रूप में लिया और पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन किया। सुप्रीम कोर्ट ने भी डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार की सुस्ती पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करना राज्य सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। जूनियर डॉक्टर्स का कहना है कि अगर समय पर सुरक्षा उपाय होते, तो यह घटना रोकी जा सकती थी।
डॉक्टरों की हड़ताल और आमरण अनशन के बाद से राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। पश्चिम बंगाल के जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में राज्य सरकार विफल रही है।