Sunday, November 17, 2024
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‘पीड़िता से रोमांटिक था रिश्ता…’: मेघालय हाई कोर्ट ने यौन शोषण के आरोपित किशोर को दी बेल, पॉक्सो एक्ट से जुड़ा है मामला

कोर्ट ने यौन शोषण के एक आरोपित की बेल याचिका ये कहते हुए मंजूर की कि आरोपित और पीड़िता दोनों के बीच रोमांटिक रिलेशन था और उसी दौरान उनमें संबंध बने थे।

मेघालय हाई कोर्ट ने सोमवार (नवंबर 22, 2021) को यौन शोषण के एक ‘किशोर’ आरोपित की बेल याचिका ये कहते हुए मंजूर की कि आरोपित और पीड़िता के बीच रोमांटिक रिलेशन था और उसी दौरान उनमें संबंध बने थे। आरोपित के विरुद्ध इस केस में पॉक्सो एक्ट के तहत सुनवाई चल रही थी। 

कोर्ट ने 20 हजार रुपए के निजी मुचलके पर याचिका को मंजूर किया। आरोपित को निर्देश दिए गए कि वो केस के गवाहों के साथ छेड़छाड़ न करे और न ही फरार हो या न ही निचली अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर निकले।

जस्टिस डब्ल्यू डिएंगदोह ने कहा कि प्रथम दृष्टया में यह स्पष्ट है कि दोनों के बीच रोमांटिक रिलेशन था और उनके बीच यौन संबंध मर्जी से बने थे। कोर्ट ने ये भी कहा कि इस तथ्य के बावजूद कि पीड़ित के नाबालिग होने के केस में सहमति को नहीं माना जाता। अदालत द्वारा जमानत देने की याचिका पर विचार किया जा रहा है।

कोर्ट ने मामले को सुनते ही इस बात को गौर किया कि पीड़िता और आरोपित के बीच में संबध थे और इस केस में शिकायत पीड़िता की माँ की ओर से की गई है। कोर्ट ने कहा कि ये सबूत मिलने का विषय है कि कथित अपराध पॉक्सो अधिनियम के प्रावधान के अनुसार यौन उत्पीड़न को गठन करता है।

आरोपित के वकील सीबी सेवियन ने कहा कि उनका मुवक्किल उस समय किशोर था और अपनी किए के परिणाम समझने में सक्षम नहीं था। ऐसे में उसे अगर क्रिमिनल्स के साथ रखा जाएगा तो उसके भविष्य पर इसका असर पड़ सकता है। वहीं पीड़िता के पक्ष से अतिरिक्त वकील जनरल बी भट्टाचार्जी ने कहा कि आरोपित वयस्क था जिसे गंभीर आरोपों में हिरासत में लिया गया। पॉक्सो अधिनियम के प्रावधान अपराध की गंभीरता के बीच अंतर नहीं करते हैं चाहे वह रोमांटिक रिश्ते का परिणाम हो।

‘ओरल सेक्स नहीं है गंभीर अपराध’

बता दें कि इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यौन शोषण मामले में एक टिप्पणी की थी। कोर्ट ने बच्चे के साथ ओरल सेक्स के एक मामले की सुनवाई में कहा था कि बच्चे के मुँह में लिंग डालना गंभीर मामला नहीं है। लिहाजा आरोपित को  पॉक्सो एक्ट की धारा 6 और 10 के तहत सजा नहीं सुनाई जा सकती। हाई कोर्ट ने इस मामले में दोषी की सजा घटाकर 10 से 7 साल कर दी थी। साथ ही उस पर 5 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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