एंटीलिया बम कांड मामले में गाड़ी और नंबर प्लेटों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। दो दिन पहले मुंबई पुलिस अधिकारी सचिन वाजे के करीबी एपीआई रियाज़ काज़ी को सीसीटीवी फुटेज में विक्रोली में नंबर प्लेट की दुकान में प्रवेश करते हुए पाया गया। कथित तौर पर काजी वहाँ पर सबूतों को नष्ट करने के इरादे से गया था। इसके अलावा राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) द्वारा बरामद विस्फोटक से लदी स्कॉर्पियो, वाजे की निजी मर्सिडीज कार और सफेद इनोवा के भी नंबर प्लेट नकली पाए गए हैं।
अब सचिन वाजे मामले में एक और नए मोड़ में पता चला है कि दो गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन एक ही नंबर से किया गया था। यह नंबर प्लेट मीठी नदी से बरामद किया गया है। 28 मार्च को राष्ट्रीय जाँच एजेंसी इस केस में सबूत जुटाने के लिए वाजे को लेकर मीठी नदी के पास गई। इस दौरान NIA को नदी से गोताखोरों की मदद से कई महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे।
जानकारी के मुताबिक नदी से जाँच अधिकारियों ने दो सीपीयू, एक लैपटॉप, 2 डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर और 2 गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन की नंबर प्लेट मिली। इसके बाद सोमवार (मार्च 29, 2021) को औरंगाबाद के एक अधिकारी ने दावा किया कि मीठी नदी से निकलने वाला नंबर प्लेट उनका है।
विजय मधुर नाडे ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “मैं वाकई में परेशान हूँ। मुझे नहीं पता कि मेरी चोरी हुई कार की नंबर प्लेट नदी में कैसे पहुँच गई।” अधिकारी ने कहा कि उन्होंने औरंगाबाद में इसके बारे में FIR दर्ज करवाई है और शहर की पुलिस मामले की जाँच कर रही है।
Madhukar Nade of Aurangabad. The number plates retrieved from Mithi yesterday belong to his stolen Maruti Eco
— Sanjay Jog (@SanjayJog7) March 29, 2021
.@fpjindia pic.twitter.com/Ep5H0rC6JG
नाडे ने दावा किया है कि उनकी कार 16 नवंबर, 2020 को औरंगाबाद के उद्धवराव पाटिल चौक से चुराई गई थी और उन्होंने इसके बारे में FIR दर्ज करवाई थी। नाडे ने कहा, “मेरी कार, जिसका नंबर – MH-20-FP-1539 था, 16 नवंबर 2020 को चोरी हो गई थी और FIR दर्ज करवाई थी। मेरे पास उसकी एक कॉपी भी है। तीन महीने तक, कोई जानकारी नहीं थी लेकिन कल, मुझे इसके बारे में सूचित किया गया।” अब NIA कथित तौर पर जाँच कर रही है कि वाजे ने उस रजिस्ट्रेशन नंबर का उपयोग क्यों किया।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नदी से बरामद डीवीआर मुंबई पुलिस हेडक्वार्टर और ठाणे हाउसिंग सोसाइटी में लगाया गया था, जहाँ पर वाजे रहता था। पुलिस हेडक्वार्टर में लगे डीवीआर में गाड़ियों के मूवमेंट के बारे में फुटेज थे, तो वहीं दूसरी डीवीआर में उस गाड़ी की फुटेज थी, जो क्राइम में इस्तेमाल किया गया था और वाजे के हाउसिंग सोसाइटी में पार्क किया गया था। इसके अलावा पता चला है कि जो लैपटॉप और प्रिंटर बरमाद किया गया है, उसका इस्तेमाल वाजे अपने ऑफिस में करता था।
तीन घंटे की मशक्कत के बाद मिले अहम सबूत
एंटीलिया केस और मनसुख हिरेन की मौत की जाँच कर रही NIA अहम सबूत जुटाने के लिए सचिन वाजे को लेकर 28 मार्च की दोपहर 3:15 पर मीठी नदी के किनारे गई, जहाँ वाजे ने नदी में सबूतों को दफन कर दिया था। 10 गोताखोरों की टीम ने 3 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद उन सबूतों को ढूँढ निकाला, जिन्हें वाजे ने हथौड़े से तोड़कर नष्ट करने की कोशिश की थी। NIA का मानना है कि ये सबूत इस केस में अहम कड़ी हो सकते हैं।
वाजे ने सबूतों को हथौड़े से नष्ट करने की कोशिश की
NIA के मुताबिक सचिन वाजे ने लैपटॉप प्रिंटर को हथौड़े से तोड़ कर मीठी नदी में फेंक दिया था। NIA अधिकारी ने बताया कि वाजे के पास इस केस से जुड़े सारे सबूत हैं, लेकिन जब उसे लगा कि मामले की जाँच दूसरी एजेंसी के पास चली गई है तो उसने इन्हें नष्ट करने की कोशिश की।