सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता साई दीपक जे ने कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर चल रही चर्चा के बीच कर्नाटक में हिन्दुओं को निशाना बनाए जाने का मुद्दा उठाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कर्नाटक में निशाना बना कर हिन्दुओं की हत्याएँ की जा रही हैं। उन्होंने इस दौरान जनवरी 1990 में कश्मीरी पंडित सतीश टिक्कू का उदाहरण दिया। आतंकी बिट्टा कराटे ने बाद में कबूल किया था कि पंडित होने और RSS से जुड़े होने के कारण उसने सतीश की हत्या की।
साई दीपक जे ने इस दौरान हर्षा की हत्या का उदाहरण दिया, जिन्हें कर्नाटक में मार डाला गया था। उन्होंने कहा कि केरल और कर्नाटक में कुछ लोगों की हत्याएँ केवल हिन्दू होने के कारण ही हुई हैं। याद दिला दें कि र्षीय हर्षा की हत्या 20 फरवरी, 2022 को कर्नाटक के शिवमोगा जिले में चाकू मारकर कर दी गई थी। हत्या के वक्त वे दोस्तों के साथ खाना खाने बाहर निकले थे। हत्या से पहले उन्होंने कर्नाटक में चल रहे हिजाब विवाद को लेकर फेसबुक पर पोस्ट किया था। हाल ही में स्कूल-कॉलेजों में बुर्का के लिए भी कर्नाटक में इनसे की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता ने लिखा, “इसका कोई तुक नहीं बनता कि BJP, BJYM और RSS से जुड़े लोगों की हत्याओं को अलग-अलग घटनाओं की तरह देखा जाए। ये एक सोची-समझी साजिश के तहत हो रहा है। इसीलिए, इस संगठित अपराध को अंजाम देने वालों और इसके पीछे जिन लोगों का हाथ है, उन्हें कड़ी सज़ा मिले। हर्षा और इस तरह की अन्य हत्याओं में IPC के साथ-साथ ‘Karnataka Organised Crime Control Act, 2000 (KCOCA)’ के तहत भी कार्रवाई हो।”
2. It makes no sense whatsoever to treat d killings of individuals associated with d RSS, BJP or BJYM as lone incidents.These killings are part of a larger organised attempt to silence Hindutvawadis.Therefore,d culprits & their benefactors must be prosecuted for organised crimes.
— Sai Deepak J (@jsaideepak) March 14, 2022
उन्होंने कहा कि हम देश के किसी भी इससे में कश्मीरी हिन्दू नरसंहार की पुनरावृत्ति नहीं होने दे सकते। लेकिन, साथ ही उन्होंने कहा कि कर्नाटक, केरल और पश्चिम बंगाल में खतरा वही है, मानसिकता भी वही वाली है और हथकंडे भी नए नहीं हैं। उन्होंने पूछा कि क्या देर होने से पहले इन राज्यों को ऐसे अपराधों की पहचान कर के कार्रवाई नहीं करनी चाहिए? उन्होंने सवाल किया कि एक के बाद एक हत्याएँ होती रहें और हम उनमें तार जोड़ते फिरें, ऐसा कब तक चलेगा?
जे साई दीपक का ये भी सवाल है कि जब हम वर्तमान और इतिहास को ठीक नहीं करेंगे तो भला इतिहास को जानने-समझने का फायदा ही क्या? उन्होंने कहा कि इतिहास को समझना एक अकादमिक प्रक्रिया नहीं है, ये वास्तविक होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवारों को मुआवजा देना एकदम ज़रूरी है, लेकिन ऐसे अपराधों पर लगाम लगनी चाहिए। अधिवक्ता ने उम्मीद जताई कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ से जो जागरूकता आई है, उससे समाज और सरकारों के रुख में बदलाव आएगा।
6. Providing compensation for affected families is a must, but preventing and creating deterrence is equally important. I genuinely hope that the churn initiated by #TheKashmirFiles translates to change in the attitudes of the society as well as *the State*.
— Sai Deepak J (@jsaideepak) March 14, 2022
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ने कहा, “इन मामलों में KCOCA लगाए जाने के अलावा हर्षा जैसे हिन्दू कार्यकर्ताओं की हत्याओं के मामले में UAPA के तहत भी कार्रवाई होनी चाहिए। ये एक सामान्य और किए जाने लायक सलाह हैं। अपने हितों को लेकर आवाज़ उठाने के कारण हिन्दू समाज कीमत नैन चुका सकता। मैं तमिलनाडु में महालिंगम की हत्या का जिक्र भी करना चाहूँगा। कोयम्बटूर-सालेम क्षेत्र जिहाद का गढ़ बना हुआ है। इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि 1998 में यहाँ बम ब्लास्ट हुआ था।”