केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने फरार चल रहे संजय भंडारी के खिलाफ एक और मामला दर्ज कर लिया है। संजय भंडारी हथियार डीलर है और कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी के पति रॉबर्ट वाड्रा का काफी करीबी है।
केंद्रीय जाँच ब्यूरो ने संजय भंडारी, दक्षिण कोरियाई कंपनी मैसर्स सैमसंग इंजीनियरिंग और ONGC / ONGO पेट्रो (OPAL) के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश का ताजा मामला दर्ज किया है।
जाँच एजेंसी ने आरोप लगाया कि संजय भंडारी ने लोक सेवकों को प्रभावित करने और एसईसीएल के अनुबंध को सुरक्षित करने के लिए सैमसंग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड (एसईसीएल) से लगभग 49,99,969 USD कमीशन के तौर पर लिए थे। यह राशि सैमसंग की तरफ से संजय भंडारी के दुबई वाले अकाउंड में जमा किया गया था।
CBI के मुताबिक साल 2008 में ONGC ने गुजरात के Dahej में ऑयल रिफाइनरी के लिए कॉन्ट्रेक्ट निकाला था, जिसके लिए बोली लगाई गई थी। उसमें SECL ने संजय भंडारी के साथ मिलकर ये कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया और बदले में कमीशन लिया। इसी आरोप के बाद CBI ने संजय भंडारी, उसकी कंपनी और SECL कंपनी, उसके अधिकारी और अज्ञात सरकारी अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
जानकारी के मुताबिक यह डील यूपीए के शासन के दौरान हुई थी। कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा लंदन में लगभग आधा दर्जन बेनामी संपत्ति को लेकर सीबीआई जाँच के दायरे में हैं।
संजय भंडारी के खिलाफ CBI ने ये दूसरा मामला दर्ज किया है। इससे पहले जून 2019 में एयरफोर्स को 75 ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट दिलाने के नाम पर कमीशन लेने के आरोप का मामला दर्ज किया गया था।
आरोप था कि संजय भंडारी ने अपनी कंपनी Offset India Solutions Pvt Ltd के जरिए ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट देने वाली कंपनी Pilatus Aircrats Ltd के साथ मिलकर ये कॉन्ट्रैक्ट दिलवाया। बदले में Pilatus ने संजय भंडारी को 350 करोड़ रुपए दिए।
मामला प्रकाश में तब आया था जब उपरोक्त सौदे के लिए Pilatus Aircrats Ltd की निकटतम प्रतिद्वंद्वी रही दक्षिण कोरियाई कंपनी कोरिया एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज़ ने पिलैटस को यह करार दिए जाने के खिलाफ तत्कालीन यूपीए सरकार से विरोध दर्ज कराया था। उनका दावा था कि पिलैटस की बोली के दस्तावेज़ अधूरे थे, और इसलिए उसे मिला हुआ करार रद्द होना चाहिए। दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री ने इस मामले में भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी से बात की थी और उनसे इस निर्णय पर पुनर्विचार का आग्रह किया था। लेकिन इसका भी कोई नतीजा नहीं निकला, और अंत में यह अनुबंध पिलैटस को ही दिया गया था।
गौरतलब है कि 2008 से 2012 की अवधि में, हथियार डीलर संजय भंडारी कॉन्ग्रेस सरकार के तहत सक्रिय रूप से अपने ‘बिज़नेस’ के लिए वापसी कर रहे थे और दसाँ (Dassault) के ऑफ-सेट पार्टनर बनने के लिए सक्रिय रूप से प्रयास भी कर रहे थे। दसाँ ने संजय भंडारी के ऑफ-सेट पार्टनर बनने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।
हालाँकि, भूमि सौदे को स्वीकार करते हुए, कॉन्ग्रेस ने राहुल गाँधी को भूमि के विक्रेता एचएल पाहवा के साथ संबंधों पर चुप्पी ही साध रखी है।