शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने मुंबई के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में एक मामला दायर किया है। इसमें ट्विटर इंडिया और गूगल इंडिया को उन सभी ट्वीट और अन्य डिजिटल सामग्रियों को हटाने के लिए निर्देश देने की गुहार लगाई गई है, जिसमें मराठी फिल्म निर्माता स्वप्ना पाटकर ने उनके खिलाफ आरोप लगाए हैं।
शिकायत में राउत ने दावा किया है कि उन पर किए गए ट्वीट भ्रामक हैं और देश की ‘शांति और सद्भाव को नुकसान’ पहुँचा सकते हैं। यह दावा करते हुए कि ट्वीट्स अपमानजनक हैं और पाटकर के ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक किया जाना चाहिए, राउत ने कहा कि यह आरोप ‘भारत और विशेष रूप से महाराष्ट्र राज्य में राजनीतिक और सामुदायिक समूहों के बीच भेदभाव पैदा कर सकते हैं।’
राउत ने अदालत से उन सभी वेबसाइटों और ऑनलाइन प्लेटफार्मों को एक निर्देश जारी करने का भी आग्रह किया, जिन्होंने राउत पर पाटकर के आरोपों से संबंधित खबर को चलाया। अदालत से ऐसी खबरों को 24 घंटे के भीतर हटाने के लिए निर्देश देने की अपील की है।
यहाँ यह जानना दिलचस्प है कि राउत ने सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69 ए के तहत शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें केवल केंद्र सरकार को एक सक्षम प्राधिकारी के रूप में एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सामग्री ब्लॉक करने की अनुमति होती है, वो भी तब जब इससे देश की संप्रभुता को खतरा हो। ट्विटर इंडिया की ओर से वकील द्वारा दायर शुरुआती ऑब्जेक्शन में कहा गया है कि शिकायत में उल्लिखित अधिनियम को निजी मामले के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया का प्रतिनिधित्व करने वाले एडवोकेट अनिरुद्ध गनु ने ऑपइंडिया को बताया कि ट्विटर इंडिया और गूगल इंडिया दोनों का कंटेंट पर कोई नियंत्रण नहीं है। कार्यवाही को वैध बनाने के लिए मूल कंपनियों को शिकायत में पार्टी बनाया जाता है।
अधिवक्ता गनु ने बताया कि संजय राउत ने शिकायत करने के लिए सत्ता का दुरुपयोग किया। उन्होंने उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया और केस दर्ज कराने के लिए शॉर्ट कट अपनाया। मराठी फिल्म निर्माता स्वप्ना पाटकर, जिन पर ‘आपत्तिजनक ट्वीट’ करने का आरोप है, को भी इस मामले में पार्टी नहीं बनाया गया। हालाँकि, पाटकर ने अब अपनी भाषा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने के लिए एक हस्तक्षेप याचिका दायर की है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि प्रथम दृष्टया यह वैध मामला न होकर दबाव बनाने का मामला लगता है।
पाटकर ने ट्वीट्स के भ्रामक और विवादास्पद होने के संजय राउत के दावों को नकारते हुए कहा कि उसके पास सभी आरोपों के लिए पर्याप्त सबूत हैं और वह अदालत में लड़ने के लिए तैयार है।
गौरतलब है कि 2015 में शिवसेना संस्थापक बालासाहब ठाकरे के जीवन पर मराठी फिल्म ‘बालकाडू’ बनाने वाली फिल्म निर्माता डॉक्टर स्वप्ना पाटकर ने कुछ दिनों पहले शिवसेना सांसद संजय राउत पर प्रताड़ना के आरोप लगाए थे। स्वप्ना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर न्याय की गुहार लगाई थी। स्वप्ना पाटकर ने आरोप लगाया था कि शिवसेना मुखपत्र ‘सामना’ के सह-संपादक संजय राउत पिछले 8 वर्षों से अपनी पार्टी के रुतबे और सिस्टम पर पकड़ का इस्तेमाल कर न सिर्फ उन्हें गालियाँ दे रहे हैं, बल्कि उनके परिवार और रिश्तेदारों को भी प्रताड़ित कर रहे हैं।
बता दें कि स्वप्ना पेशे से साइकोलॉजिस्ट हैं। साथ ही वो ‘द रॉयल मराठी एंटरटेनमेंट’ नामक फिल्म प्रोडक्शन कंपनी की मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। वे 2013 में मराठी में मोटिवेशनल पुस्तक ‘जीवन फंडा’ भी लिख चुकी हैं।