भारतीय चर्चों में नन्स के साथ हो रहे दुर्व्यवहार ने अंतर्राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान खींचा है। ऐसी अगनित ख़बरें आती रही है जिनसे चर्च की चहारदीवारीयों के बीच ननों के साथ बलात्कार, दुर्व्यवहार और छेड़छाड़ की घटनायों का पता चलता है और इन घृणित कार्यों के पीछे अक्सर पादरियों का हाँथ होता है। मीडिया द्वारा इन ख़बरों को तवज्जो नहीं दी जाती या फिर ये मुख्यधारा की ख़बरें नहीं बन पाती। भारत में मामला चर्च और मस्जिदों का आता है तो फिर मुद्दा संवेदनशील हो जाता और फिर इस पर कुछ बोलने से पुलिस अधिकारी से लेकर बड़े-बड़े राजनेता तक बचते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय समाचार एजेंसी एपी न्यूज़ ने एक लेख प्रकाशित किया है जिसमे ऐसे कई चौंकाने वाले खुलासे किये गए हैं। ननों की दर्दनाक दास्तान सुनाती इन रिपोर्ट में पादरियों की करतूतों की पोल खोली गई है। ये एक दिल दहला देने वाली घटनाओं को ननों के हवाले से सुनाती है ताकि आम जन भी चर्च की बंद दीवारों के पीछे क्या चल रहा है इस बारे में जाने। आइये आगे जानते हैं कि टिम सुल्लिवन द्वारा लिखे गए इस रिपोर्ट में क्या खुलासे हुए हैं। एसोसिएट प्रेस ने पिछले साल ही ये बात बताई थी कि एशिया, अमेरिका और यूरोप के चर्चों में नन्स के साथ हो रहे दुर्व्यवहार से वेटिकन भलीभांति वाकिफ था और उसने इस बारे में कोई एक्शन नहीं लिया।
“वो शराब के नशे में था” एक नन ने कहा वहीं दूसरे ने बताया “ऐसे समय पर पता नहीं चलता कि कैसे मना किया जाये”। यहाँ अपनी डरावनी आपबीती सुनाती ये नन्स बता रही है कि कैसे उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया और चर्च प्रशासन ने उन्हें बचाने और आरोपियों को सजा दिलाने के लिए कुछ भी नहीं किया। एपी न्यूज़ कि वेबसाइट के मुताबिक़ जब उन्होंने भारत में ननों से इस बारे में बात करनी चाही तो वो इतनी डरी हुई थी कि अधिकतर ने कुछ भी बताने इ इनकार कर दिया। काफी मशक्कत के बाद कुछ ने बताया भी तो अपने नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर।
अभी कुछ महीनों पहले ही एक 44 साल की नन ने एक पादरी पर पिछले 3 साल में उसके साथ 13 बार बलात्कार करने का आरोप लगा कर खलबली मचा दी थी और अदालत में इस मामले की सुनवाई भी हुई थी। सिस्टर जोसेफिन ने एपी को बताया कि कुछ लोग उन्हें कहते हैं कि वो चर्च के विरुद्ध काम रही है और शैतान की पूजा कर रही है। उन्होंने बताया कि इन सबसे बावजूद उन्हें सच्चाई के लिए खड़े होने की जरूरत है। 23 सालों से नन रही जोसेफिन दर्द भरे आवाज में बताती है कि वो सभी सिस्टर्स मर जाना चाहती है।
कुछ घटनाएँ तो दसीयों साल पुरानी है। एक नन जो कि 1990 के दशक में किशोरावस्था में थी और एक कैथोलिक चर्च में पढ़ा रही थी, ने बताया कि वो लोग नयी दिल्ली रिट्रीट सेंटर में कुछ अन्य सिस्टर्स के साथ गयी थी और उनका नेतृत्व करने के लिए एक पादरी को लाया गया। नाम नहीं बताने की शर्त पर उन्होंने बताया कि 60 साल के उस पादरी ने रात के साढ़े नौ बजे उनका दरवाजा खटखटाया और उनसे मिलने की इक्षा व्यक्त की। अपने से चालीस साल छोटी लड़की पर बुरी नजर डाल रहे उस पादरी की नजर में खोट उन्हें साफ़-साफ़ नजर आ रहा था और अव्वल तो ये कि उसने पी भी रखी थी।
“आप अभी सही अवस्था में नहीं हैं और इसीलिए मै आपसे नहीं मिलना चाहती”- नन ने उस पादरी से कहा लेकिन वो जिद करता रहा कि वो उनसे आध्यात्मिक चर्चा करना चाहता है। मना करने पर वह पागल हो गया और उसने नन को जकड लिया और बलपूर्वक दरवाजा खोल कर उनके शरीर पर जहां-तहां छूने लगा और फिर जबरदस्ती किस करने की कोशिश की। घबराई हुई नन ने उसे जोर से धकेला और दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया। आज भी इस घटना को याद कर वो सिहर उठती है। वो बताती है कि उन्होंने चर्च प्रशासन को गुप्त रूप से एक चिट्ठी भी लिखी लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। साथ ही उन्होंने बताया कि उस समय वो डर के मारे उस विकृत पादरी के खिलाफ आवाज उठाने की सोंच भी नहीं सकती थी।
कैथोलिक इतिहास में महिलाओं के साथ क्रूरता का पुराना गवाह रहा है। संत लूसी का वक्षस्थल सिर्फ इसीलिए चीर दिया गया था क्योंकि उन्होंने शादी करने से मना कर दिया था, संत लूसी को उनकी वर्जिनिटी साबित करने के लिए जिन्दा दफ़न कर दिया गया था और उनका गला रेत दिया गया था। संत मरिया गोरेटी को 11 वर्ष की उम्र में ही बलात्कार के प्रयास के बाद हत्या कर दी गई थी।
केरल में हालत और भी बुरी है। वहाँ कि नन्स अपने साथ हुए दुर्व्यवहार की घटनाओं को अपने दिल में दबाये रखती है और सार्वजनिक तौर पर न तो कुछ बोल पाती है और ना ही इस बारे में पुलिस में शिकायत दर्ज कराने का साहस कर पाती है। केरल की एक नन ने बताया कि रविवार के दिन वहां कई चर्चों में आवारा लड़के जमा हो जाते हैं ताकि वो अन्दर जाती हुई लडकियों को घूर सके। वो बताती हैं कि जब वो किशोर अवस्था में थी तभी गोवा से आये एक साठ वर्षीय पादरी ने उन्हें जोड़ से जकड लिया था और फिर उनके साथ जबरदस्ती की थी। इस से पहले कि वो कुछ समझ पाती, वो पादरी उन्हें इधर-उधर किस करने लगा। उन्होंने बताया कि वो एक प्रभावशाली पादरी था जिस वजह से वो डर के मारे चिल्ला भी नहीं सकती थी।
चर्च के पादरी के खिलाफ आवाज उठाने का मतलब हुआ कि आप चर्च व्यवस्था में अपने से सीनियर के ऊपर आरोप लगा रही हैं और आपको अलग-थलग होना पड़ता है। चर्च और उनके पादरी इतने शक्तिशाली और प्रभावशाली होते हैं कि कोई भी उनके खिलाफ आवाज उठाने वालों का समर्थन करने से डरता है।
केरल के कैथोलिक पादरी फ्रांसो मुलक्कल का ही उदहारण लीजिये। केरल के एक गाँव से निकल कर उत्तर भारत में बिशप बने मुल्क्कल पर एक नन ने बलात्कार का आरोप लगाया था। तीन सप्ताह जेल में रह कर छूटे मुल्क्कल का स्वागत एक हीरो की तरह किया गया था और केरल में कई लोग ऐसे हैं जो उसे एक हीरो की तरह ही मानते हैं। केरल में इसाई मिशनरियों का दबदबा कुछ ऐसा है कि लोग अपने व्यापार और कम्पनी का नाम भी कुछ इस तरह रखते हैं- संत मेरी फर्नीचर, मरिया इलेक्ट्रॉनिक्स इत्यादि। आलम कुछ यूँ रहा कि पीड़ित नन से मिलने मुट्ठी भर लोग ही पहुंचे और उनके समर्थन में तो न के बराबर ही लोगों ने आवाज उठाई लेकिन उस आरोपित पादरी के समर्थन में तो नेता-विधायक तक ने बयान दिया। ये इस बात को जाहिर करता है कि चर्च और पादरियों की पैठ कितनी गहरी है।
पीड़ित सिस्टर एक आर्मी के पूर्व जवान की बेटी है। जब वो उच्च विद्यालय में थी तभी उनके पिता की मृत्यु हो गयी थी। उस नन ने बाते कि इतने शक्तिशाली आदमी के खिलाफ वो शिकायत करने जाए भी तो कहाँ जाये। वो बताती है कि उन्होंने कई अन्य ननों और चर्च प्रशासन से भी इस मामले की शिकायत की लेकिन सब व्यर्थ।
एपी न्यूज़ द्वारा इस विस्तृत रिपोर्ट में जो बातें बताई गयी है वो चर्चों में चल रहे पादरियों के कुकर्मो पर पर्दा डालने वालो और उनका समर्थन करने वालों की पोल खोलती है। ये सवाल है प्रसाशन और न्याय व्यवस्था के ऊपर भी क्योंकि एक तरफ पीडिता के लिए कोई बोलने वाला भी खड़ा नहीं होता वहीँ दूसरी तरफ बलात्कार का आरोपित पादरी ठीक से एक महीने भी जेल में नहीं रह पाता और जमानत पर बाहर आ जाता है। ये दुखद है और मुख्यधारा की मीडिया द्वारा इस पर बात नहीं करना, पीडिता के लिए आवाज नहीं उठाना- ये सब और भी दुखद है।