Friday, November 22, 2024
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हिंदू नाम से ID बनाते थे शाहरुख और उसके साथी, ₹50 हजार में बेच देते थे: इनका इस्तेमाल कर ही बैंक अकाउंट खोलते थे अपराधी, लेते थे सिम

इस 'सिम जिहाद' का खुलासा शाहरुख नाम के अपराधी के पकड़े जाने के बाद हुआ, जिसमें उसके पास से हिंदुओं की आईडी का इस्तेमाल कर निकलवाए गए सिम, बैंक खातों की जानकारियाँ और एटीएम कार्ड बरामद हुए।

उत्तर प्रदेश में “साइबर फ्रॉड” से जुड़ा नया मामला सामने आया है, जिसे ‘सिम जिहाद’ कहा जा रहा है। इसमें मुस्लिम समुदाय के अपराधी हिंदुओं के नाम से बैंक खाते खोल रहे हैं, सिम कार्ड एक्टिवेट कर रहे हैं, और फिर उन्हें नूहँ और मेवात के साइबर ठगों को बेच रहे हैं। इन सिमों का इस्तेमाल साइबर अपराधों के लिए किया जा रहा है, जिससे धोखाधड़ी के कई मामले सामने आ रहे हैं। इस ‘सिम जिहाद’ का खुलासा शाहरुख नाम के अपराधी के पकड़े जाने के बाद हुआ, जिसमें उसके पास से हिंदुओं की आईडी का इस्तेमाल कर निकलवाए गए सिम, बैंक खातों की जानकारियाँ और एटीएम कार्ड बरामद हुए।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूपी एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने इस नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए शाहरुख खान को गिरफ्तार किया है। यूपी एसटीएफ की आगरा यूनिट ने सूचना के आधार पर बुधवार (16 अक्टूबर 2024) रात को केंद्रीय हिंदी संस्थान रोड, खंदारी इलाके से एक कार रोकी, जिसमें दो लोग सवार थे। टोकने पर एक व्यक्ति फरार हो गया, जबकि दूसरे को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान शाहरुख खान के रूप में हुई, जो अछनेरा का निवासी है। पुलिस ने उसके पास से 10 एक्टिवेटेड सिम कार्ड और 14 बैंक खातों के एटीएम कार्ड बरामद किए।

शाहरुख कबाड़ का काम करता है, लेकिन साइबर क्रिमिनल गैंग के संपर्क में आकर उसने सिम और बैंक खाते उपलब्ध कराना शुरू कर दिया था। उसके दिल्ली में रहने वाले भाई एमके और मेवात, हरियाणा में रिश्तेदारों की वजह से उसने इस गैंग के साथ अपराधों में शामिल होना शुरू किया। शाहरुख अपने साथी मथुरा निवासी तेजवीर के साथ मिलकर आगरा और मथुरा के ग्रामीण इलाकों से मजदूर वर्ग के लोगों को पैसे का लालच देकर उनके नाम पर सिम और बैंक खाते खुलवाता था। इन बैंक खातों और सिमों का इस्तेमाल साइबर अपराधी यूपीआई आईडी और व्हाट्सएप कॉल के जरिए ठगी के लिए करते थे।

शाहरुख और उसके साथी ग्रामीण इलाकों के कम पढ़े-लिखे और मजदूर वर्ग के लोगों को लालच देकर उनके नाम पर सिम और बैंक खाते खुलवाते थे। ये लोग 2 से 5 हजार रुपये की मामूली रकम लेकर अपनी आईडी पर सिम और खाते खुलवाने के लिए तैयार हो जाते थे। शाहरुख और उसके साथी इन खातों, सिमों को 50 हजार रुपए में साइबर ठगों को बेचा करते थे। इन सिमों को साइबर अपराधी ठगी के लिए इस्तेमाल करते थे। खासतौर पर इन सिम कार्डों को यूपीआई पेमेंट धोखाधड़ी और फर्जी व्हाट्सएप कॉल्स के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। साइबर अपराधी इन खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर कराते थे, जिसे बाद में एटीएम या ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए निकाल लिया जाता था।

इस मामले में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई, जब एसटीएफ ने व्हाट्सएप चैट्स की जाँच की। यह पता चला कि साइबर अपराधी विशेष रूप से एक धर्म (हिंदुओं) के लोगों की आईडी पर सिम और खाते खरीद रहे थे। उनका उद्देश्य था कि अगर पुलिस जाँच करे, तो उनके मजहब के लोगों पर कोई कार्रवाई न हो और सारी मुसीबतें दूसरे धर्म (हिंदू) के लोगों पर आएँ। शाहरुख के मोबाइल से मिले संदेशों में यह बात सामने आई कि साइबर अपराधी खासतौर पर ऐसे सिम और खाते माँगते थे जो दूसरे धर्म के लोगों के नाम पर हों, ताकि खुद को बचाया जा सके।

एसटीएफ आगरा यूनिट के इंस्पेक्टर यतेंद्र शर्मा ने बताया कि दिल्ली और मेवात में सक्रिय साइबर अपराधियों को आगरा से सिम कार्ड सप्लाई किए जा रहे थे। पुलिस को सूचना मिली थी कि सिम कार्ड फर्जी आईडी पर खरीदे जा रहे हैं और इन्हें ठगी के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शाहरुख खान और उसके साथी तेजवीर इस साजिश में शामिल थे और कम पढ़े-लिखे लोगों को लालच देकर उनके नाम से सिम और बैंक खाते खुलवा रहे थे।

इस नेटवर्क के कारण आगरा में कई लोग साइबर ठगी का शिकार हो चुके हैं। एक शिक्षिका की साइबर ठगों की धमकी के बाद मौत हो गई, जबकि दूसरी शिक्षिका से लाखों रुपये की ठगी हो चुकी है। यह मामला साइबर अपराधों की गंभीरता को दर्शाता है, जिसमें निर्दोष लोग फंस रहे हैं। पुलिस अब शाहरुख के फरार साथी तेजवीर की तलाश में जुटी है, जो इस अपराध में शामिल था और सिम सप्लाई करता था। मथुरा में पुलिस ने तेजवीर के ठिकानों पर छापे भी मारे, लेकिन वह अब तक फरार है।

आगरा और इसके आसपास के इलाकों में साइबर अपराध पहले भी सामने आ चुके हैं। दिल्ली के जगदीशपुरा इलाके के तीन युवक पहले भी साइबर क्राइम में पकड़े गए थे, जो विदेशों में सिम सप्लाई करने वाले गिरोह से जुड़े थे। अछनेरा इलाके में भी कई अपराधी साइबर ठगी के लिए पकड़े गए हैं, जिनमें से कई परिवारों की रिश्तेदारी राजस्थान के भरतपुर और अलवर जिलों में है। इन इलाकों में साइबर अपराध के कई गिरोह सक्रिय हैं, जो युवाओं को अपने साथ जोड़ते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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