Sunday, November 17, 2024
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लोको पायलट की गलती से मालगाड़ी से नहीं टकराई थी कंचनजंगा एक्सप्रेस, जाँच रिपोर्ट में बताया- ट्रेन रोकने की पूरी कोशिश की थी: पत्नी बोलीं- अब उनकी आत्मा को शांति मिलेगी

घटना के बाद तुरंत बाद मान लिया गया था कि ये हादसा लोको पायलट की गलती के कारण हुआ। इस आरोप को सुन लोको पायलट के परिवार वालों को भी धक्का लगा था। हालाँकि अब रेलवे सुरक्षा के मुख्य आयुक्त (CCRS) ने इस मामले में जाँच की और पाया कि कंचनजंगा ट्रेन के लोको पायलट अनिल कुमार घटना के लिए जिम्मेदार नहीं थे।

पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में मालगाड़ी और कंचनजंगा एक्सप्रेस के बीच हुई टक्कर के मामले में जाँच पूरी होने के बाद कुछ नए तथ्य निकलकर सामने आए हैं। पहले जहाँ पूरे हादसे के लिए लोको पायलट को जिम्मेदार ठहराया जा रहा था तो वहीं अब इस मामले की जाँच के बाद निकलकर आया है कि हादसे में कंचनजंगा एक्सप्रेस का लोको पायलट जिम्मेदार नहीं था।

बता दें कि 17 जून को सिलिगुड़ी में दो ट्रेनों के बीच टक्कर मामले में 10 लोगों की मौत हुई थी जबकि 43 लोग घायल हुए थे। घटना के बाद तुरंत मान लिया गया था कि ये हादसा लोको पायलट की गलती के कारण हुआ। इस आरोप को सुन लोको पायलट के परिवार वालों को भी धक्का लगा था। हालाँकि अब रेलवे सुरक्षा के मुख्य आयुक्त (CCRS) ने इस मामले में जाँच की और पाया कि कंचनजंगा ट्रेन के लोको पायलट अनिल कुमार घटना के लिए जिम्मेदार नहीं थे।

रिपोर्ट में कहा गया है, “ऑटो सिग्नल क्षेत्रों में ट्रेन परिचालन प्रबंधन में कई लेवल पर खामियों, लोको पायलट और स्टेशन मास्टर को उचित परामर्श न दिए जाने से कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसा होना तय ही था।” रिपोर्ट के मुताबिक, हादसे के दिन वहाँ से गुजरने वाले अधिकतर लोको पायलट्स को इसकी जानकारी ही नहीं थी कि खराब सिग्नल हो तो ट्रेन 15 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलानी है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, CCRS की प्रारंभिक रिपोर्ट में सामने आया है कि मालगाड़ी के लोको पायलट को कंचनजंगा एक्सप्रेस की मौजूदगी के बावजूद उस सेक्शन पर जाने की अनुमति दी गई थी। उन्हें बिना किसी सावधानी आदेश के सभी खराब सिग्नल को पार करने का गलत मेमो दिया गया था। जाँच में पाया गया कि मालगाड़ी 78 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल कर रही थी, तभी लोको पायलट ने कंचनजंगा एक्सप्रेस के पिछले हिस्से को देखा और आपातकालीन ब्रेक लगाया।

लोको पायलट ने कोशिश पूरी की कि किसी तरह ट्रेन रुक जाए मगर इतने कम समय में ये संभव नहीं हुआ। ट्रेन कंचनजंगा से टकराने से पहले केवल 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक ही धीमी हो सकी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अनिल ने 5 मिनट में 10 बार थ्रॉटल को एडजस्ट किया था, जो उनकी सतर्कता को दर्शाता है।

अब इस जाँच के बाद रेलवे अधिकारियों ने ये भी बताया है कि अनिल कुमार के परिवार को 25 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया है। एनएफआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पेंशन आदेश भी जारी कर दिया गया है और ग्रेच्युटी का भुगतान जल्द ही कर दिया जाएगा। इसके अलावा चूँकि उनके बेटे अभी नाबालिग हैं, इसलिए उनमें से एक को वयस्क होने पर रेलवे में नौकरी की पेशकश की जाएगी।

परिजनों ने ली राहत की सांस

बता दें कि सीसीआरएस की रिपोर्ट आने के बाद अनिल कुमार की पत्नी ने राहत की सांस ली है। उन्होंने अनिल के इस मामले में दोषमुक्त होने पर कहा ट्रेन हादसे के कुछ ही घंटों के भीतर उनके पति को दोषी ठहरा दिया गया था। वो लोग इस आरोप को सुनकर सदमे में आ गए थे। हालाँकि अब परिवार को संतुष्टि है कि रेलवे ने उचित जाँच की और अनिल कुमार को निर्दोष पाया। पत्नी ने कहा, “अब उनकी आत्मा को शांति मिलेगी”। अनिल कुमार के केवल परिजन ही नहीं बल्कि आस पड़ोस के लोग भी मानते हैं कि इस मामले में कुमार की गलती नहीं हो सकती क्योंकि उनका करियर हमेशा बेदाग रहा है। वे अपनी इमानदारी के लिए जाने जाते थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अनिल कुमार की पड़ोसी काजल दास ने कहा कि एक मृत व्यक्ति को दुर्घटना के लिए दोषी ठहराना गलत है जबकि वो व्यक्ति अपना बचाव करने के लिए मौजूद भी नहीं था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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