केरल की सिस्टर लूसी कलपूरा ने रोम के कैथोलिक चर्च में अपील कर अपने खिलाफ हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई को गलत बताया है। रेप के आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ कोच्चि में हुए प्रदर्शनों में शामिल होने के कारण सिस्टर लूसी को चर्च की गतिविधियों से दूर कर कुराविलंगद कॉन्वेंट स्कूल छोड़ने के कहा गया था।
इस साल जनवरी की शुरूआत में ख़बर आई थी कि बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर आरोप लगाने वाली पीड़िता नन का समर्थन करने वाली पाँच ननों में से चार को कुराविलंगद कॉन्वेंट स्कूल छोड़ने के कहा गया है।
Sister Lucy Kalappura (nun who participated in protest against rape-accused Franco Mulakkal) has filed her appeal before the Catholic Church in Rome against her dismissal from her congregation on disciplinary grounds. (file pic) pic.twitter.com/WJVU6Nb966
— ANI (@ANI) August 17, 2019
ग़ौरतलब है जब सिस्टर लूसी कलपुरा ने छह ननों के साथ मुलक्कल का विरोध शुरू किया तो कैथोलिक क्रिश्चन सोसायटी फ्रासिस्कन क्लेरिस्ट कॉन्ग्रिगेशन (FCC) ने नियमों का हवाला देकर उनकी आवाज दबाने की कोशिश की।
क्रिश्चन कैथोलिक संस्था FCC के ख़िलाफ़ जाकर बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर आरोप लगाए जाने के बाद से ही सभी छह ननों को FCC द्वारा उनके कथित अपराधों के लिए कई बार धमकियाँ तक दी गई हैं। इससे पहले, कैथोलिक चर्च ने सिस्टर कलापुरा को ‘चैनल चर्चा में भाग लेने’, ‘ग़ैर-ईसाई अख़बारों में लेख लिखने’ और कैथोलिक नेतृत्व के ख़िलाफ़ ‘ग़लत आरोप लगाने’ के लिए चेतावनी भेजी थी।
सिस्टर लूसी को वायनाड में मंथावैदी से 260 किलोमीटर दूर अलुवा में FCC मुख्यालय में अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया था। कलपुरा ने यह कहते हुए कि उसने कोई ग़लती नहीं की है, FCC के मुख्यालय में जाने से मना कर दिया। कलपुरा ने यह भी कहा था कि बिशप मुलक्कल के ख़िलाफ़ होने वाले विरोध-प्रदर्शन में वह फिर से भाग लेंगी।
Franciscan Clarist Congregation Superior General issues 2nd canonical warning letter to Sister Lucy Kalapura; states ‘… invite you to change your mind&attitude sincerely…If you don’t respond positively I will be constrained to proceed with your dismissal from Congregation”.
— ANI (@ANI) February 16, 2019
बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर मई 2014 में कुराविलांगड़ के एक गेस्ट हाउस में 44 वर्षीय नन के साथ बलात्कार करने और उसके बाद यौन शोषण का आरोप है। नन ने जून 2018 में एक शिक़ायत दर्ज की थी और यह भी दावा किया था कि उनकी शिक़ायतों के बावजूद, चर्च ने बिशप पर कोई कार्रवाई नहीं की। यही नहीं कैथोलिक संस्था भी बलात्कार के अभियुक्त बिशप के साथ खड़ी हो गई थी और बिशप को “निर्दोष आत्मा” के रूप में प्रस्तुत किया गया।
What pained me is that church couldn't raise its voice when Franco raped a nun 13 times.I felt I should go&support her. How speedy action comes against me while everybody was silent on rape. May be it’s team of the church Vicars who took the decision: Sister Lucy Kalppura #Kerala pic.twitter.com/kB1AGB1jPC
— ANI (@ANI) September 23, 2018
फ्रैंको बिशप को जाँच दल द्वारा उसके ख़िलाफ़ सबूत मिलने के बाद गिरफ़्तार कर लिया गया था, लेकिन बाद में उसे सशर्त ज़मानत पर रिहा कर दिया गया, जिससे उसे हर दो सप्ताह में एक बार जाँच टीम के सामने पेश होने और अपना पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए कहा गया।