बंगाल में एक बेटे को अपने मृत पिता के अंतिम दर्शन के लिए अस्पताल प्रशासन से लेकर पुलिस और मीडियाकर्मियों तक से गुहार लगानी पड़ी। अस्पताल के स्टाफ ने पहले तो बेटे को उसके पिता की मृत्यु के बारे में सूचना नहीं दी और जब बेटे ने पूछा तो पता चला कि शव दाह संस्कार के लिए जा चुका है। बेटा जब श्मशान घाट पहुँचा तो वहाँ उससे मोटी रकम माँगी गई। इसके बाद उस बेटे ने पुलिस से गुहार लगाई और मीडिया से दबाव बनवाया। तब जाकर वह अपने पिता को आखिरी बार देख पाया।
हरि गुप्ता के पुत्र सागर गुप्ता के अनुसार, उनके पिता की मृत्यु कोरोना के कारण शनिवार को हुई। लेकिन अस्पताल ने उन्हें इस संबंध में समय से सूचित नहीं किया और रविवार को फोन करके जानकारी दी कि उनके पिता की मृत्यु हो गई है। जब उन्होंने इस बारे में अस्पताल स्टाफ से सवाल किए, तो जवाब मिला कि उनके पास कॉन्टैक्ट नंबर नहीं था।
परिजन भागते-भागते अस्पताल पहुँचे, पर वहाँ बताया गया कि शव को दाह संस्कार के लिए भेज दिया गया। इसके बाद परिवार श्मशान घाट भी पहुँचा। लेकिन वहाँ अस्पताल के स्टाफ ने उनसे 51000 रुपए की माँग की। इसी बात को सुनकर परिवार वालों की उनसे बहस भी हुई, जिससे अस्पताल का स्टाफ 51000 रुपए की जगह 31000 रुपए माँगने लगा।
स्टाफ का ऐसा बर्ताव देखकर परिवार ने पुलिस को संपर्क किया और अधिकारियों को भी बताया कि पुलिस पहुँच रही है। मगर, तब भी अस्पातल अधिकारियों ने उनकी नहीं सुनी। अधिाकिरयों ने पुलिस को भी कह दिया कि वह वापस जाएँ और उच्चाधिकारियों से इस संबंध में बात करें।
परिवार ने इस बीच ये सारी घटना अपने मोबाइल में रिकॉर्ड करने की कोशिश की। किंतु उन लोगों ने परिजनों का फोन भी छीन लिया। बाद में मीडिया के दबाव में आकर अधिकारियों ने डिपोजिट अमाउंट के रूप में केवल 2500 रुपए लिए और बॉडी को दिखाया। परिवार ने कहा कि यह सब मीडिया दबाव के कारण संभव हो पाया।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, जब इस संबंध में हावड़ा कॉर्पोरेशन कमिशनर धवल जैन से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि श्मशान घाट पर बड़े अक्षरों में नंबर लिखा हुआ है। अगर किसी को कोई बात की चिंता है या शिकायत है तो वह हमें इस नंबर पर कॉल कर सकता है। लेकिन तब भी परिवार ने कोई शिकायत नहीं की। शायद उन्होंने यह नंबर ही नहीं देखा। हमें जैसे ही इस संबंध में शिकायत मिलेगी, तब जाँच करेंगे।