Friday, November 15, 2024
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कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब के विरोध में छात्रों ने पहना भगवा स्कार्फ, श्रीराम सेना प्रमुख बोले- आतंकी मानसिकता को बाहर करे कॉलेज

प्रमोद मुतालिक ने कहा, कहा, "क्या आप इसे (भारत) पाकिस्तान या अफगानिस्तान बनाने के लिए निकले हैं? अपनी अलगाववादी मानसिकता के साथ यदि आप हिजाब और बुर्का की माँग करते हैं तो पाकिस्तान जाइए।"

कर्नाटक के उडुपी के एक कॉलेज में मुस्लिम छात्राओं द्वारा क्लासरूम में हिजाब पहनने की जिद के कारण यह मामला बढ़ता जा रहा है। मुस्लिम छात्राओं द्वारा हिजाब को अपना मौलिक अधिकार बताकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने के अगले दिन कुंडापुर के सरकारी कॉलेज में 100 से अधिक छात्र भगवा स्कार्फ पहनकर कॉलेज पहुँच गए। छात्रों का कहना है कि उनकी कॉलेज में लड़कियाँ हिजाब पहनकर कक्ष में आ सकती है तो वे भगवा दुपट्टा डालकर क्यों नहीं आ सकते। वहीं, श्रीराम सेना के प्रमुख प्रमोद मुतालिक ने कहा कि यूनिफॉर्म को दरकिनार कर हिजाब पहनने की जिद आतंकी मानसिकता है और ऐसे छात्राओं को कॉलेज से बाहर का रास्ता दिखा देना चाहिए।

भगवा दुपट्टा पहनकर उडुपी के पड़ोसी शहर कुंडापुर के सरकारी पीयू कॉलेज के छात्रों का कहना है कि लगभग 28 छात्राएँ अपने धार्मिक पहचान हिजाब पहनकर कक्षा में आती हैं। इसी के विरोध में उन्होंने बुधवार (2 फरवरी) को कक्षा में भगवा दुपट्टा पहनकर आने का निर्णय लिया। हिंदू छात्रों का कहना है कि जब तक कॉलेज कैंपस में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाता, तब तक वे भगवा स्कार्फ पहनकर कॉलेज आएँगे।

कॉलेज डेवलपमेंट कमिटी के अध्यक्ष और कुंडापुर के विधायक हलदी श्रीनिवास ने कहा कि किसी भी पक्ष को कॉलेज के शैक्षणिक माहौल को खराब करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसको लेकर श्रीनिवास ने कॉलेज प्रबंधन के मिलकर मुस्लिम छात्राओं के साथ बैठक की। हालाँकि, बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला। छात्राओं के परिजन लड़कियों के हिजाब पहनने को लेकर अड़े रहे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, विधायक ने कहा है कि मुस्लिम छात्राओं के अभिभावकों के साथ बैठक में निर्णय नहीं हो पाया, इसलिए वह हिजाब और भगवा दुपट्टा पहनकर कॉलेज आने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करेंगे।

इस बैठक का एक वीडियो भी सामने आया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में दिख रहा है कि मुस्लिम माता-पिता तर्क दे रहे हैं कि कि उन्होंने कभी भी किसी भी धर्म के साथ भेदभाव नहीं किया और सभी हिंदू त्योहारों के दौरान अपने बच्चों को कॉलेज भेजा। अभिभावकों का कहना है, “जहाँ तक हिजाब की बता है तो यह अनिवार्य है। हमें यह करना होगा। उनके बीच भेदभाव न करें। वे यहाँ पढ़ने आते हैं।”

उधर श्रीराम सेना के अध्यक्ष प्रमोद मुतालिक ने मंगलवार (1 फरवरी) को कहा कि हिजाब पहनकर कॉलेज आने वालों को बाहर का रास्ता दिखा देना चाहिए। मुतालिक ने कहा, यह उन्हें (छात्राओं को) आतंकवादी के स्तर पर ले जाने की मानसिकता है। आज वे हिजाब कह रहे हैं, कल बुर्का माँगेंगे, फिर नमाज और मस्जिद पर अडेंगे। यह स्कूल है या आपका धार्मिक केंद्र है?”

उन्होंने कहा कि इस बहस मे उलझने के बजाए छात्राओं को स्थानांतरण प्रमाण-पत्र देकर उन्हें कॉलेज से बाहर निकाल देना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि कोलार जिले के कुनिगल तालुक के एक मुस्लिम बहुल गाँव बोम्मनहल्ली के एक सरकारी स्कूल में काम करने वाली एक हिंदू शिक्षिका का तबादला कर दिया गया।

कोलार के ही एक अन्य स्कूल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि चिंतामणि तालुक के एक स्कूल में बच्चों द्वारा नमाज अता करने की घटना को लेकर कहा, “क्या आप इसे (भारत) पाकिस्तान या अफगानिस्तान बनाने के लिए निकले हैं? अपनी अलगाववादी मानसिकता के साथ यदि आप हिजाब और बुर्का की माँग करते हैं तो पाकिस्तान जाइए।” उन्होंने सरकार की इस तरह की मानसिकता पर रोक लगाने की माँग की।

क्लास में हिजाब बैन होने के बाद एक मुस्लिम छात्रा ने कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कोर्ट में याचिका दायर करते हुए मुस्लिम छात्रा ने कहा कि उसका कॉलेज उसके व अन्य मुस्लिम लड़कियों के साथ भेदभाव कर रहा है और उन्हें हिजाब पहनकर कॉलेज में घुसने और क्लास लेने से रोक रहा है। याचिका में दावा किया गया है कि कॉलेज प्रशासन की कार्रवाई असंवैधानिक और मनमानी है।

बता दें कि उडुपी जिले के पीयू कॉलेज में हिजाब का यह मामला सबसे पहले 2 जनवरी 2022 को सामने आया था, जब 6 मुस्लिम छात्राएँ क्लासरूम के भीतर हिजाब पहनने पर अड़ गई थीं। कॉलेज के प्रिंसिपल रूद्र गौड़ा ने कहा था कि छात्राएँ कॉलेज परिसर में हिजाब पहन सकती हैं, लेकिन क्लासरूम में इसकी इजाजत नहीं है। प्रिंसिपल के मुताबिक, कक्षा में एकरूपता बनाए रखने के लिए ऐसा किया गया है।

भले ही इस विरोध प्रदर्शन को ‘हिजाब’ के नाम पर किया जा रहा हो, लेकिन मुस्लिम छात्राओं को बुर्का में शैक्षणिक संस्थानों में घुसते हुए और प्रदर्शन करते हुए देखा जा सकता है। इससे साफ़ है कि ये सिर्फ गले और सिर को ढँकने वाले हिजाब नहीं, बल्कि पूरे शरीर में पहने जाने वाले बुर्का को लेकर है। हिजाब सिर ढँकने के लिए होता है, जबकि बुर्का सर से लेकर पाँव। कई इस्लामी मुल्कों में शरिया के हिसाब से बुर्का अनिवार्य है। कर्नाटक में चल रहे प्रदर्शन को मीडिया/एक्टिविस्ट्स भले इसे हिजाब से जोड़ें, ये बुर्का के लिए हो रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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