491 सालों का लम्बा इन्तजार। बाबरी मस्जिद निर्माण के 491 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुना राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने साफ़ कर दिया कि मुस्लिम पक्ष अयोध्या की विवादित ज़मीन पर अपना दावा साबित करने में विफल रहा।
#Breaking: Alternate land to be allotted to Muslims to construct mosque, Supreme Court orders.#AYODHYAVERDICT pic.twitter.com/SPP536RoaP
— Bar & Bench (@barandbench) November 9, 2019
राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट स्थापित कर 3 महीने के भीतर मंदिर निर्माण के लिए योजना शुरू की जाए, ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है।
The scheme envisaging setting up of Trust should provide for construction of Temple. #AYODHYAVERDICT #AyodhyaHearing #AyodhyaJudgment pic.twitter.com/4gMI0IePfm
— Bar & Bench (@barandbench) November 9, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले के दौरान और क्या-क्या कहा, इसे बिंदुवार समझें:
- सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय पीठ ने सर्वसम्मति से फ़ैसला सुनाया। अर्थात, ये निर्णय 5-0 से आया। कोर्ट ने सबसे पहले निर्मोही अखाड़ा और शिया वक़्फ़ बोर्ड की याचिका को ख़ारिज किया।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महज आस्था और विश्वास के आधार पर फ़ैसला नहीं सुनाया जा सकता। साथ ही केवल एएसआई की रिपोर्ट को आधार बना कर भी निर्णय नहीं सुनाया जा सकता है।
- एएसआई की रिपोर्ट से पता चलता है कि बाबरी मस्जिद के नीचे कोई ढाँचा था, जिसके ऊपर मस्जिद बनाई गई। लेकिन, एएसआई यह साबित नहीं कर पाया कि मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद बनाया गया था।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुसार, वो सभी धर्मों की भावनाओं का ख़्याल रखने के लिए प्रतिबद्ध है और संतुलन का ध्यान रखते हुए यह साबित होता है कि हिन्दू बाहरी हिस्से में काफ़ी पहले से पूजा करते आ रहे थे।
- सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड यह साबित नहीं कर पाया कि विवादित ज़मीन पर उसका विशेषाधिकार अथवा एक्सक्लूसिव स्वामित्व था।
- फ़ैसले का सबसे अहम भाग ये रहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को ट्रस्ट बना कर मस्जिद के लिए अयोध्या में ही कहीं और 5 एकड़ ज़मीन की व्यवस्था करने को कहा। इसी ट्रस्ट के माध्यम से राम मंदिर निर्माण के लिए भी योजना बनाने के लिए कहा गया। इस मामले में केंद्र और यूपी सरकार आपस में बातचीत कर आगे की कार्रवाई करे, ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया।
- केंद्र जो ट्रस्ट स्थापित करेगा, उसे बाहरी और भीतरी अहाते का अधिकार दे दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने साफ़-साफ़ कहा कि हिन्दू विवादित ज़मीन पर अंग्रेजों के आने से पहले से ही पूजा करते आ रहे हैं। कोर्ट ने 1934 के दंगे का जिक्र करते हुए बताया कि भीतरी हिस्सा उसी वक़्त गंभीर विवाद का विषय बन गया था।
- सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दुओं की उस आस्था और विश्वास की भी पुष्टि की, जिसके अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म मुख्य गुम्बद के नीचे हुआ था। हालाँकि, कोर्ट ने बताया कि गवाहों के बयान से ये भी पता चलता है कि वहाँ मुस्लिम भी नमाज पढ़ा करते थे।
- सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का सार यह है कि पूरी की पूरी विवादित ज़मीन हिन्दुओं को दे दी जाएगी और सरकार एक ट्रस्ट बना कर आगे का कार्य करेगी।
- सुप्रीम कोर्ट ने इनर कोर्टयार्ड और आउटर कोर्टयार्ड को लेकर अलग-अलग बातें कहीं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि के न्यायिक व्यक्ति होने की बात भी अस्वीकार कर दी।