Sunday, December 22, 2024
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जस्टिस शेखर यादव ने ‘कठमुल्लों’ को बताया खतरनाक, सुप्रीम कोर्ट ने माँग ली रिपोर्ट: हलाला-चार निकाह को बताया था अस्वीकार्य, नेशनल कॉन्फ्रेंस के MP ने कहा- महाभियोग लाएँगे

सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में एक बयान जारी किया है। इस बयान में कहा गया, "सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव द्वारा दिए गए भाषण की समाचार पत्रों में छपी खबरों पर संज्ञान लिया है। हाई कोर्ट से इसका विवरण और जानकारियाँ मंगवाई गई हैं और यह मामला अभी विचाराधीन है।"

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के विश्व हिन्दू परिषद (VHP) कायर्क्रम में दिए गए वक्तव्य पर सुप्रीम कोर्ट ने जानकारी माँगी है। सुप्रीम कोर्ट ने उनके पूरे बयान का विवरण इलाहाबाद हाई कोर्ट से माँगा है। उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक शिकायत भी की गई है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद रूहुनाल्लाह मेहँदी ने शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग चलाने की बात कही है। जस्टिस शेखर यादव ने एक कार्यक्रम में कह दिया था कि इस देश में हलाला और चार निकाह जैसी रूढ़ियाँ स्वीकार्य नहीं हैं। उन्होंने सामाजिक सुधार पर और भी बातें कही थीं।

सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में एक बयान जारी किया है। इस बयान में कहा गया, “सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव द्वारा दिए गए भाषण की समाचार पत्रों में छपी खबरों पर संज्ञान लिया है। हाई कोर्ट से इसका विवरण और जानकारियाँ मंगवाई गई हैं और यह मामला अभी विचाराधीन है।”

इससे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद रूहुनाल्लाह मेहँदी ने ऐलान किया कि वह जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव संसद में लाएँगे। रूहुनाल्लाह मेहँदी ने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, “मैं संविधान के अनुच्छेद 124(4) के अनुसार माननीय इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर यादव को नोटिस में उल्लिखित आरोपों के आधार पर हटाने के लिए संसद में महाभियोग प्रस्ताव ला रहा हूँ। इस प्रस्ताव को लाने के लिए मुझे 100 सदस्यों के हस्ताक्षर चाहिए। 7 से अधिक सदस्यों ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं।”

मेहँदी ने बताया कि उनके प्रस्ताव पर सपा सांसद जियाउररहमान बर्क और मोहम्मद मोहिबुल्लाह ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। इसके अलावा सांसद सुदामा प्रसाद और राजकुमार रोत ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। मेहँदी ने कहा है कि उन्होंने सपा, कॉन्ग्रेस, DMK और TMC से इस प्रस्ताव का समर्थन करने की अपील की है।

इसके अलावा CJAR नाम के एक वामपंथी रुखों वाले संगठन ने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को शिकायत दी है। CJAR ने जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ एक आंतरिक जाँच करने की माँग की है। CJAR ने कहा,”न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव के इस भाषण ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और तटस्थता के बारे में आम नागरिकों के मन में संदेह पैदा कर दिया है, इसे मिली कवरेज को देखते हुए, एक मजबूत रिएक्शन जरूरी है।”

किस बात पर छिड़ा है विवाद

8 दिसम्बर, 2024 को इलाहाबाद हाई कोर्ट में UCC पर आयोजित किए गए एक कार्यक्रम में जस्टिस शेखर यादव पहुँचे थे। यहाँ उन्होंने मुस्लिम समाज में चल रही रूढ़िवादिता और इस पर लोगों के ना बोलने पर प्रश्न खड़े किए थे। इसके साथ ही उन्होंने UCC जैसे मुद्दों पर अपने विचार रखे थे। उन्होंने ‘कठमुल्ला’ शब्द का उपयोग भी किया था। उन्होंने कहा था कि ‘कठमुल्ले’ देश के लिए खतरनाक हैं।

जस्टिस शेखर यादव ने यहाँ कहा था, “मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि यह हिंदुस्तान है, यह देश हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यकों के अनुसार चलेगा। यही कानून है। आप यह नहीं कह सकते कि मैं हाईकोर्ट के जज होने के नाते ऐसा कह रहा हूँ। दरअसल, कानून ही बहुमत के हिसाब से काम करता है।”

जस्टिस शेखर यादव ने मुस्लिमों में फैली रूढ़िवादिता और दकियानूसी को लेकर प्रश्न खड़े किए थे। उन्होंने कहा, “हमारे हिंदू धर्म में बाल विवाह, सती प्रथा और बालिकाओं की हत्या जैसी कई सामाजिक कुरीतियाँ थीं, राम मोहन राय जैसे सुधारकों ने इन कुरीतियों को खत्म करने के लिए संघर्ष किया। लेकिन जब मुस्लिम समुदाय में हलाला, तीन तलाक और गोद लेने से जुड़े मुद्दों जैसी सामाजिक कुरीतियों की बात आती है, तब उनके पास इनके खिलाफ खड़े होने की हिम्मत नहीं थी।”

VHP के कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा था कि मुस्लिमों की तरफ से भी यह प्रथाएँ खत्म करने को लेकर कोई प्रयास नहीं किए गए। उन्होंने कहा था, “आप उस महिला का अपमान नहीं कर सकते जिसे हमारे शास्त्रों और वेदों में देवी का दर्जा दिया गया है। आप 4 बीवियाँ रखने, हलाला करने या तीन तलाक़ का अधिकार नहीं रख सकते। आप कहते हैं, हमें ‘तीन तलाक’ कहने का अधिकार है, और महिलाओं को भरण-पोषण ना देने का अधिकार है।”

जस्टिस शेखर यादव ने यहाँ कहा था, ” इस तरह से कोई अधिकार नहीं चल पाएगा। UCC कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसकी वकालत VHP, RSS या हिंदू धर्म करता हो। देश का सुप्रीम कोर्ट भी ऐसी ही बात करता है…मैं शपथ ले रहा हूँ कि यह देश UCC कानून ज़रूर लाएगा, और बहुत जल्द लाएगा।” जस्टिस शेखर यादव ने इस बात को लेकर भी प्रश्न खड़े किए गए कि मुस्लिम तीन तलाक और हलाला जैसे मुद्दों को अपना पर्सनल लॉ बताते हैं और कानून से बचते हैं।

उन्होंने कहा था, “अगर आप कहते हैं कि हमारा पर्सनल लॉ इसकी इजाजत देता है, तो ये अस्वीकार्य है। एक महिला को भरण-पोषण मिलेगा, दो विवाह की इजाजत नहीं होगी, और एक आदमी की सिर्फ़ एक पत्नी होगी, चार पत्नियाँ नहीं… अगर एक बहन को भरण-पोषण मिलता है और दूसरी को नहीं, तो इससे भेदभाव पैदा होता है, जो संविधान के खिलाफ है।”

जस्टिस शेखर यादव ने इस दौरान कहा कि सिर्फ गंगा में डुबकी लगाने और माथे पर चंदन लगाने वाला ही हिन्दू नहीं है बल्कि भारतवर्ष को अपनी माँ मानने वाला भी हिन्दू है। उनके इस बयान के बाद लगातार लिबरल जमात में हंगामा मचा हुआ है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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