उन्नाल रेप मामले की पीड़िता इस समय दिल्ली के एम्स में भर्ती है। 28 जुलाई को हुए सड़क हादसे के बाद से उसकी हालत गंभीर है। डॉक्टर उसकी रिकवरी के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं। पूरा देश जानना चाहता है कि आखिर उस दिन सड़क पर क्या हुआ? क्या वाकई विधायक कुलदीप सेंगर की साजिश ने पीड़िता को अस्पताल के बिस्तर पर पहुँचा दिया या फिर हकीकत में यह कोई हादसा था?
इन अटकलों के बीच हादसे को लेकर पीड़िता का एक बयान सामने आया है। दरअसल, पीड़िता ने अपने एक रिश्तेदार को बताया है कि आखिर उस दिन क्या हुआ था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पीड़िता ने रिश्तेदार को बताया कि 28 जुलाई को जब वह कार से रायबरेली जा रहे थे, तो NH-21 पर उसने सामने से एक ट्रक को आते देखा। जिसके बाद कार चला रहे पीड़िता के वकील ने उसे हर संभव कोशिश करके जाने का रास्ता दिया, लेकिन शायद ट्रक के निशाने पर वो कार थी, जिसमें पीड़िता अपनी दो रिश्तेदारों और अपने वकील के साथ बैठी थी।
पीड़िता की मानें तो वकील ने रिवर्स गियर लेकर ट्रक के रास्ते में न आने की पूरी कोशिश की लेकिन ट्रक चालक ने इसके बावजूद उनकी कार को रौंद डाला। वकील की भी हालत गंभीर है और उनका भी एम्स में इलाज चल रहा है। हादसे में पीड़िता की चाची और मौसी की मौत हो गई थी।
लड़की के रिश्तेदार ने बताया कि उसने जब पीड़िता से पूछा कि उस दिन क्या हुआ था तो उसने कहा कि उसने उस दिन एक ट्रक को सीधे आता देखा, जिसने कुछ ही देर में उन्हें कुचल दिया। पीड़िता ने बताया, “मैंने ट्रक को सामने से आते देखा। ट्रक को इस तरह से आते हुए देखकर हम डर गए। हमने अलार्म भी बजाया था, जब हमें महसूस हुआ कि ट्रक को जिस तरह से चलाया जा रहा था उसमें कुछ असामान्य है।”
रिश्तेदार के मुताबिक, पीड़िता ने बताया कि कार चला रहे वकील ने रिवर्स गियर में कार डालकर ट्रक के रास्ते से बचने की कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हो सके, क्योंकि ट्रक बिल्कुल उन्हीं की तरफ मुड़ गया और फिर यह हादसा हो गया। पीड़िता की हालत अभी भी नाजुक है। बीच-बीच में होश में आने पर ये जानकारियाँ उसने रिश्तेदार के साथ साझा की।
मामले की जाँच कर रही सीबीआई को आधिकारिक तौर पर यह बयान नहीं दिया गया है। जानकारी के मुताबिक पीड़िता ने एम्स पहुँचे सीबीआई अधिकारियों से मिलने से मना कर दिया।
परिजन की मानें तो लड़की का विश्वास यूपी सरकार के बाद अब सीबीआई से भी उठ चुका है। क्योंकि उसने पहले ही सीबीआई को बोला था कि उसकी जान को खतरा है लेकिन तब भी उसकी सुरक्षा के मद्देनजर कदम नहीं उठाए गए। इसके अलावा उसका कहना है कि राज्य सरकार ने उसका मामला सीबीआई को अप्रैल महीने में सौंपा था, लेकिन जाँच एजेंसी उससे लगातार वहीं पुराने सवाल-जवाब पूछती रही और उसे न्याय दिलाने में असफल रही।