Friday, November 22, 2024
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PM मोदी की ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के सामने आने लगे अच्छे परिणाम, शोध में खुलासा: भारत में शिशु मृत्यु दर में आई भारी कमी, सालाना 70000 शिशुओं की बच रही जान

स्वच्छ भारत मिशन ने भारत के विभिन्न हिस्सों में स्वच्छता की स्थिति में सुधार लाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसके तहत स्वच्छ शौचालयों का निर्माण, स्वच्छता पर जागरूकता अभियान, और स्वच्छता प्रबंधन के लिए विभिन्न योजनाएँ लागू की गई हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू किया गया स्वच्छ भारत मिशन (SBM) अब एक महत्वपूर्ण सफलता की कहानी बनकर उभरा है। एक नई रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, स्वच्छ भारत मिशन ने भारत में हर साल 60,000 से 70,000 शिशुओं की जान बचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

सुमन चक्रवर्ती, सोयरा गुने, टिम ए. ब्रुकनर, जूली स्ट्रोमिंगर और पार्वती सिंह द्वारा किए गए अध्ययन “स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण और भारत में शिशु मृत्यु दर” को नेचर पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि स्वच्छ भारत कार्यक्रम के तहत शौचालय निर्माण से देश में शिशु और पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी आई है। यही नहीं, देश में स्वच्छता को लेकर जागरुकता भी आई है, जिसके दूरगामी परिणाम अब आने शुरू हो गए हैं। स्वच्छ भारत अभियान की वजह से सालाना 60-70 हजार शिशुओं की जान भी बच रही है।

स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत 2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गाँधी की जयंती के दिन हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में खुले में शौच की आदतों को समाप्त करना और स्वच्छता को बढ़ावा देना है। इस मिशन के अंतर्गत, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में शौचालयों का निर्माण, स्वच्छता शिक्षा, और स्वच्छता प्रबंधन के लिए कई पहल किए गए हैं।

स्वच्छ भारत मिशन ने भारत के विभिन्न हिस्सों में स्वच्छता की स्थिति में सुधार लाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसके तहत स्वच्छ शौचालयों का निर्माण, स्वच्छता पर जागरूकता अभियान, और स्वच्छता प्रबंधन के लिए विभिन्न योजनाएँ लागू की गई हैं। इस लेख में, हम स्वच्छ भारत मिशन के प्रभाव और शिशु मृत्यु दर में कमी के प्रमुख आँकड़े और विश्लेषण प्रस्तुत करेंगे।

शिशु मृत्यु दर में कमी के आँकड़े

स्वच्छता में सुधार के परिणामस्वरूप, भारत में शिशु मृत्यु दर (IMR) में महत्वपूर्ण कमी देखी गई है। नई रिपोर्ट के अनुसार, स्वच्छ भारत मिशन ने हर साल 60,000 से 70,000 शिशुओं की जान बचाई है।

शिशु मृत्यु दर में कमी: यह शोधपत्र शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) और 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर (यू5एमआर) पर शौचालय निर्माण के प्रभाव का अनुमान दो-तरफ़ा निश्चित-प्रभाव प्रतिगमन मॉडल का उपयोग करके लगाता है। इसमें पाया गया कि जिन जिलों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत 30% घरों में शौचालय बने थे, उनमें प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 5.3 शिशु मृत्यु दर और 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में 6.8 की कमी आई, जो बाल जीवित रहने की दरों पर बेहतर स्वच्छता के परिणाम को दर्शाता है।

वार्षिक जीवन बचत: एक नई अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, स्वच्छ भारत मिशन हर साल 60,000 से 70,000 शिशुओं की जान बचाने में सफल रहा है। इस आँकड़े से यह स्पष्ट होता है कि स्वच्छता में सुधार का प्रत्यक्ष प्रभाव शिशु मृत्यु दर पर पड़ा है।

स्वच्छता का प्रभाव: स्वच्छता की स्थिति में सुधार और स्वच्छ शौचालयों की उपलब्धता के कारण, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, शिशु मृत्यु दर में कमी आई है। 2014 में 38 मिलियन स्वच्छ शौचालयों की संख्या अब 2023 तक 100 मिलियन से अधिक हो गई है।

डायरिया और संक्रामक बीमारियों में कमी: स्वच्छता में सुधार के कारण, डायरिया जैसी संक्रामक बीमारियों में भी कमी आई है। डायरिया के मामलों में 2014 से 2023 तक 20% की कमी देखी गई है। इसके साथ ही, अन्य संक्रामक बीमारियों जैसे कि हैज़ा और कॉलरा के मामलों में भी कमी आई है।

स्वच्छ भारत मिशन की सफलताएँ

इस शोध पत्र के मुताबिक, साल 2011 से 2020 तक 640 जिलों को कवर करने वाले सभी भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के डेटा का उपयोग किया गया है। इस अध्ययन का उद्देश्य बच्चों के स्वास्थ्य पर इस विशाल स्वच्छता कार्यक्रम के प्रभाव का आकलन करना है। लेखकों ने कार्यक्रम के तहत शौचालय प्राप्त करने वाले घरों के जिला प्रतिशत हिस्से पर ध्यान केंद्रित किया है, जो स्वच्छता तक बेहतर पहुँच और शिशु मृत्यु दर में कमी के बीच स्पष्ट संबंध दर्शाता है।

स्वच्छ शौचालयों का निर्माण: मिशन के तहत, 2014 से 2024 तक भारत में 100 मिलियन से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया है। इसके परिणामस्वरूप पहले के 30% के मुकाबले अब अधिकतम ग्रामीण घरों में अब स्वच्छ शौचालय की सुविधा उपलब्ध है।

स्वच्छता शिक्षा और जागरूकता: स्वच्छ भारत मिशन ने स्वच्छता शिक्षा के लिए कई अभियान चलाए हैं। स्कूलों और समुदायों में स्वच्छता के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कार्यक्रम चलाए गए हैं, जिनसे लोगों को स्वच्छता की आदतें अपनाने में मदद मिली है।

स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार: स्वच्छता की दिशा में उठाए गए कदमों के साथ, भारतीय सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में भी सुधार किया है। स्वास्थ्य केंद्रों में स्वच्छता और सुविधाओं की स्थिति में सुधार हुआ है, जिससे लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो रही हैं।

भविष्य की योजनाएँ और चुनौतियाँ

स्वच्छ भारत मिशन की सफलता के बावजूद, कुछ चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता की स्थिति को बनाए रखना और सुधारना एक सतत प्रक्रिया है। सरकार ने आगामी वर्षों में निम्नलिखित योजनाएँ बनाईं हैं:

  • स्वच्छता का स्थायित्व: स्वच्छता को स्थायी रूप से बनाए रखने के लिए, नियमित निगरानी और रखरखाव के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं। स्वच्छता की आदतों को जन-आंदोलन के रूप में बनाए रखने के लिए शिक्षा और जागरूकता अभियानों को जारी रखा जाएगा।
  • नए शौचालयों का निर्माण: शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में और अधिक स्वच्छ शौचालयों का निर्माण जारी रहेगा। विशेष रूप से उन क्षेत्रों में ध्यान केंद्रित किया जाएगा जहां स्वच्छता की सुविधाएँ अभी भी अपर्याप्त हैं।
  • स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार: स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए सरकार ने कई नई योजनाएं बनाई हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में स्वच्छता और सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए निवेश किए जाएंगे।

स्वच्छ भारत मिशन ने भारत में स्वच्छता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं, विशेष रूप से शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में। इस मिशन के तहत उठाए गए कदमों के परिणामस्वरूप, स्वच्छता की स्थिति में सुधार हुआ है और हर साल 60,000 से 70,000 शिशुओं की जान बचाई गई है। स्वच्छता में सुधार और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से, भारत एक स्वस्थ और स्वच्छ भविष्य की ओर बढ़ रहा है। हालाँकि, चुनौतियाँ अभी भी हैं, लेकिन सरकार की योजनाओं और मिशन की सफलता से यह स्पष्ट है कि भारत स्वच्छता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई दिशा में अग्रसर है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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